अनूपपुर (अंंचलधारा) राजनीति में कब क्या हो जाए इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।अपने ही बेगाने हो जाते हैं और बेगाने ही अपने हो जाते हैं यह राजनीति की पराकाष्ठा है।जिले के अंदर कभी दो धुरंधर बिसाहूलाल सिंह एवं रामलाल रौतेल आमने सामने होते थे एक कांग्रेस से तो एक भाजपा से लेकिन राजनीति में अचानक ऐसा भूचाल आया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बन चुके बिसाहूलाल सिंह ने एकाएक कांग्रेस को बाय बाय कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और उसी दिन से भाजपा को जड़ से सिंच कर दहलीज पर लाने वाले रामलाल रौतेल की उल्टी गिनती शुरू हो गई।देखते ही देखते विधानसभा उपचुनाव आ गए और एक झटके के साथ पूर्व विधायक रह चुके रामलाल रौतेल की टिकट कट गई और उनकी उल्टी गिनती भी शुरू हो गई।महत्व पर महत्व कांग्रेश से आए भाजपा में बिसाहूलाल सिंह को मिलते चला गया अच्छे बहुमत से चुनाव को उन्होंने जीता और जीतने के बाद मंत्री पद पहली बार में ही उनको प्राप्त हो गया।जबकि रामलाल कई बार विधायक रह चुके लेकिन मंत्री पद से उन्हें नवाजा नहीं गया और देखा गया कि रामलाल की उपेक्षा भारतीय जनता पार्टी के अंदर जमकर होने लगी तमाम कार्यक्रमों में उनको बाय काट कर दिया जाता था और उनकी पूछ परख पार्टी में बिल्कुल बंद हो गई थी और वह धीरे-धीरे पार्टी में रहते हुए भी अपनी नाराजगी समय-समय पर व्यक्त करते थे।लेकिन उनकी नाराजगी पर पार्टी में कोई परिवर्तन नहीं आया।जिले की राजनीति में भारतीय प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र देकर रमेश सिंह ने कांग्रेस के सहारे अपनी राजनीति प्रारंभ की और धीरे-धीरे उनके पैर कांग्रेश के अंदर मजबूत होते चले गए नतीजा यह हुआ जिला पंचायत के चुनाव में वे अपनी सोची समझी राजनीतिक गणित से अपनी धर्मपत्नी को जिला पंचायत में अध्यक्ष बनाने में कामयाब हुए।भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए रमेश सिंह ने पहले भारतीय जनता पार्टी के अंदर प्रवेश की रणनीति बनाई थी और उन्हें सांसद पद के लिए उम्मीदवार बनाना लगभग तय हो चुका था लेकिन इतने में ही राजनीति में हुई उठापटक में कांग्रेस की हिमाद्री सिंह भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली परिणाम यह हुआ कि रमेश सिंह की टिकट कट कर हिमाद्री सिंह को शहडोल संसदीय क्षेत्र से सांसद की टिकट दे दी गई और रमेश सिंह की राजनीति उस वक्त प्रारंभ नहीं हो सकी और वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में सेवारत रहे। लेकिन धीरे-धीरे बदलते माहौल को देखते हुए और बिसाहूलाल सिंह के भाजपा में चले जाने पर वह कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने का मूड बना लिए और कांग्रेस में शामिल हो गए।उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में बिसाहूलाल सिंह के साथ उनकी टक्कर होगी लेकिन ऐन वक्त पर उनको टिकट न देकर एक हल्के प्रत्याशी को कांग्रेस ने टिकट दे दिया परिणाम यह हुआ कि बिसाहूलाल सिंह भारतीय जनता पार्टी में अपने चुनावी राजनीतिक सफर में सर्वाधिक मतों से चुनाव जीत गए।इसके बाद धीरे-धीरे बिसाहूलाल सिंह के लोग उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी में जाना प्रारंभ हो गए देखते ही देखते भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा प्रारंभ हो गई नए रूप में भारतीय जनता पार्टी का उदय हो गया या कहा जाए कि भाजपा का कांग्रेसी करण हो गया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।लेकिन उसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी में सभी सिस्टम समाप्त होकर बिसाहूलाल सिंह के सिस्टम प्रारंभ हो गए और बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी के सर्वे सर्वा नेता बन गए। लेकिन देखा जा रहा है कि धीरे धीरे राजनीति में उथल-पुथल की गणित प्रारंभ होने लग गई और विधानसभा 2023 के चुनाव में बिसाहूलाल सिंह की टिकट उम्र को लेकर लगभग कटना तय माना जा रहा है लेकिन आदिवासी नेता होने के नाते और उनमें अभी पूरा दमखम राजनीति में है इतनी उम्र होने के बाद भी दौड़-धूप में कोई कमी वह अपने दौरे के समय नहीं रखते जिससे उनकी छवि आम जनता में बनी हुई है और विकास के कार्यों में अनूपपुर जिले में उनकी छवि नंबर वन है।जिला बनाना उसके बाद चुनाव हार जाना यह एक अलग परिकल्पना है लेकिन यह निश्चित है कि चाहे वह कांग्रेस में रहे हो या भाजपा में विकास के लिए धनराशि की कमी कभी आड़े नहीं आई जिसके कारण आज गांव गांव तक सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं लगभग लगभग पहुंच चुकी हैं और सारा श्रेय बिसाहूलाल सिंह को ही जाता है।लेकिन अब चर्चाओं का दौर कुछ और ही शुरू हो गया आने वाले विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर की बिसाहूलाल सिंह अभी चुप बैठने वाले नहीं है 5 साल विधायक फिर बनेंगे अभी पूरी दमखम उनमें है।लेकिन अब राजनीति किस करवट 2023 के चुनाव के पूर्व परिवर्तन लाएगी इसको लेकर लोगों को काफी जिज्ञासा है।वही रमेश सिंह को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। राजनीति के चाणक्य तो वह बन चुके हैं लेकिन राजनीतिक भविष्य उनका क्या होगा इसको लेकर भी संदेहास्पद स्थिति निर्मित हो गई है।आज कोई भी डंके की चोट पर यह नहीं कह सकता वक्त पर राजनीति क्या करवट लेती है इसका पार्टी के लोग, कार्यकर्ता भी अंदाजा नहीं लगा सकते। बिसाहूलाल सिंह अचानक कांग्रेश छोड़कर भाजपा में चले जाएंगे ऐसा कांग्रेस के लोगों ने जिंदगी में अपने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन वक्त का तकाजा कब क्या गुल खिला दे यह किसी के वश में नहीं है।लेकिन अब अनूपपुर जिला मुख्यालय में बदलते राजनीतिक समीकरण से सभी चिंतित हैं कार्यकर्ता अपना भविष्य समझ नहीं पा रहा कि उसका भविष्य निकट भविष्य में क्या होगा।नेता तो अपना मतलब निकाल कर अपनी नेतागिरी चमका लेते हैं लेकिन कार्यकर्ता विचारा मासूम बनकर अपने राजनीतिक भविष्य के लिए चिंतित रहता है।लेकिन यह फाइनल है 2023 विधानसभा चुनाव के श्री गणेश के पूर्व अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले की राजनीति में एक बहुत बड़ा भूचाल आएगा उसका सभी अब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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