(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) जिले की धर्मनगरी अमरकंटक के सौंदर्यीकरण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने सहयोगात्मक रवैया अपनाते हुए जुलाई 2021 में किए गए पत्राचार पर 15 जून 2022 को जवाबी पत्र भेजते हुए अमरकंटक के विकास कार्य व सौंदर्यीकरण को हरी झंडी दिखाई है। ज्ञात हो कि धर्मनगरी अमरकंटक से जुड़े हुए बहुत से स्थल मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के बंटवारे के बाद विकास व सौंदर्यीकरण के लिए दोनों सरकारों की हीलाहवाली पर प्रतीक्षारत रहे हैं।आज भी कई धार्मिक व आध्यात्मिक स्थल अपने प्राकृतिक सौंदर्य व रमणीयता के लिए याद किए जाते हैं लेकिन प्रकृति के साथ लगातार किए जा रहे खिलवाड़ और उपेक्षा के कारण ये स्थल आज लोगों के दिमाग से ओझल होते जा रहे हैं।पुराणों में भी वर्णित है की त्रेता काल में भगवान राम अपने वनवास काल में इसी अमरकंटक मार्ग से ग्राम धनपुर होते हुए माई का मंडप होते हुए छत्तीसगढ़ के ग्राम शिवनी से गमन किए थे,जहां सोन नदी पर बना घाट आज भी लखन घाट के नाम से प्रख्यात है, लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बंटवारे के बाद अमरकंटक के बहुत से स्थल छत्तीसगढ़ में चले गए और लगातार उपेक्षित होने के कारण इन स्थलों पर पर्यटक भी कम पहुंच पाते हैं और स्थानीय लोग ही इन स्थलों के माहात्म्य को जानते हैं। अमरकंटक में छत्तीसगढ़ बॉर्डर से लगा हुआ जालेश्वर धाम, दुर्गा धारा, अजमेरगढ़, माई का मंडप, सोन मुड़ा, अमाडोब, इत्यादि को पर्यटक स्थल घोषित करने और इनके सौंदर्यीकरण के लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव श्रीधर शर्मा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जुलाई 2021 में पत्र लिखकर मांग की थी, जिस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने हरी झंडी दिखाई है।अमरकंटक की सुंदरता पर चार चांद लगाने के लिए आपकी प्रतिबद्धता सराहनीय है जो कि आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय निकाल कर धर्म व अध्यात्म के लिए एक अभूतपूर्व पहल की है, जिससे कि मां नर्मदा के कृपा से अभिसिंचित कई क्षेत्रों का विकास हो सके।पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर पर्यटकों के आवागमन से आसपास के आदिवासी परिवार के लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होने के साथ-साथ मां नर्मदा के आसपास के उन आध्यात्मिक स्थलों के विषय में लोगों को जानकारी हो सकेगी, जिनके विषय में स्थानीय जिले के भी लगभग 10 फीसदी लोग ही जानकारी रखते हैं। विकास कार्यों और सौंदर्यीकरण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार का रुख भी दिलचस्प होगा कि मां नर्मदा के पावन धाम के सौंदर्यीकरण पर क्या कदम उठाती है।
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