(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग ओबीसी के आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी की अति महत्वपूर्ण पत्रकार वार्ता जिला भाजपा कार्यालय अनूपपुर में संपन्न हुई।पत्रकार वार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष बृजेश गौतम द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर चर्चा कर अपनी बात रखी। पत्रकारवार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष बृजेश गौतम, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह, भाजपा जिला उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शिव सिंह, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह ,जिला कार्यालय मंत्री चंद्रिका द्विवेदी मौजूद रहे।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष बृजेश गौतम ने कहा कि नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्यप्रदेश सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके पुन: अदालत से आग्रह करेगी कि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न हो। बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराए जाने की वर्तमान परिस्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है।मध्यप्रेदश में तो 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव प्रक्रिया चल ही रही थी एवं सरकार द्वारा इसके अंतर्गत वार्ड परसीमन, वार्ड का आरक्षण, महापौर तथा अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करना आदि समस्त तैयारी कर ली गई थी। यहां तक कि ओबीसी एवं अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिया गया था, किंतु कांग्रेस इसके विरुद्ध हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे होने वाले चुनाव प्रभावित हुए एवं व्यवधान उत्पन्न हुआ।
पंचायत चुनाव का एक अरसा बीत गया है और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को वर्गों के विबाद घसीटने की आवश्यकता नहीं है। माननीय न्यायालय का आदेश भारतीय जनता पार्टी एवं भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरा करेगी। संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। सरकार चाह रही है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दिया जाए। लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद यह संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। इस मुद्दे को मुख्यमंत्री लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अपने अपने बयान दे चुके है।उन्होंने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को वर्गों के विवाद में घसीटने की जरूरत नहीं है।पंचायत चुनाव को एक अरसा बीत गया है।ऐसे में उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार संविधान दायरे चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।इसके साथ उन्होंने कहा कि बीजेपी में सबसे ज्यादा हरिजन आदिवासी और ओबीसी के सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि है।भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2004 से लगातार 3 अन्य पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री प्रदेश को दिए। मंत्रिमंडल में भी ओबीसी के मंत्रियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व,स्थान दिया गया है। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के कई निर्णयों से ओबीसी आरक्षण की प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने ओबीसी की केंद्रीय सूची का दर्जा बढ़ाकर इस सूची को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और इस में परिवर्तन करने के लिए संसद को शक्ति प्रदान की।संविधान संशोधन अधिनियम 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया।उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान जो स्वयं अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं उन्होंने स्वयं तत्काल दिल्ली जाकर माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में संशोधन किए जाने का आवेदन लगाए जाने के लिए चर्चा की तथा निर्णय को संशोधन कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है।आदेश में संशोधन की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि वर्ष 2022 में नया परिसीमन त्रिस्तरीय पंचायतों का किया गया है तथा वर्ष 2019 से 2022 के मध्य 35 नए नगरीय निकाय गठित हुए हैं इन नगरीय निकायों में ग्रामीण क्षेत्र से 128 ग्राम पंचायतें तथा उनके 297 ग्राम नगरीय निकाय में चले गए हैं।जबकि उच्चतम न्यायालय के आदेश में वर्ष 2019 में त्रिस्तरीय पंचायतों के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे कई विसंगतियां उत्पन्न होगी। चुनाव नवीन परिसीमन के अनुसार कराया जाना आवश्यक है।भाजपा शीघ्र चुनाव करना चाहती है तथा उसके लिए पहले भी कई बार प्रयास किए गए हैं।भाजपा यह भी चाहती है कि चुनाव पिछड़े वर्ग के आरक्षण के साथ हो। शीघ्र चुनाव कराए जाने एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ कराए जाने का प्रयास भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है।
पंचायत चुनाव का एक अरसा बीत गया है और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को वर्गों के विबाद घसीटने की आवश्यकता नहीं है। माननीय न्यायालय का आदेश भारतीय जनता पार्टी एवं भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरा करेगी। संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। सरकार चाह रही है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दिया जाए। लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद यह संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। इस मुद्दे को मुख्यमंत्री लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अपने अपने बयान दे चुके है।उन्होंने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को वर्गों के विवाद में घसीटने की जरूरत नहीं है।पंचायत चुनाव को एक अरसा बीत गया है।ऐसे में उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार संविधान दायरे चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।इसके साथ उन्होंने कहा कि बीजेपी में सबसे ज्यादा हरिजन आदिवासी और ओबीसी के सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि है।भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2004 से लगातार 3 अन्य पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री प्रदेश को दिए। मंत्रिमंडल में भी ओबीसी के मंत्रियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व,स्थान दिया गया है। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के कई निर्णयों से ओबीसी आरक्षण की प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने ओबीसी की केंद्रीय सूची का दर्जा बढ़ाकर इस सूची को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और इस में परिवर्तन करने के लिए संसद को शक्ति प्रदान की।संविधान संशोधन अधिनियम 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया।उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान जो स्वयं अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं उन्होंने स्वयं तत्काल दिल्ली जाकर माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में संशोधन किए जाने का आवेदन लगाए जाने के लिए चर्चा की तथा निर्णय को संशोधन कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है।आदेश में संशोधन की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि वर्ष 2022 में नया परिसीमन त्रिस्तरीय पंचायतों का किया गया है तथा वर्ष 2019 से 2022 के मध्य 35 नए नगरीय निकाय गठित हुए हैं इन नगरीय निकायों में ग्रामीण क्षेत्र से 128 ग्राम पंचायतें तथा उनके 297 ग्राम नगरीय निकाय में चले गए हैं।जबकि उच्चतम न्यायालय के आदेश में वर्ष 2019 में त्रिस्तरीय पंचायतों के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे कई विसंगतियां उत्पन्न होगी। चुनाव नवीन परिसीमन के अनुसार कराया जाना आवश्यक है।भाजपा शीघ्र चुनाव करना चाहती है तथा उसके लिए पहले भी कई बार प्रयास किए गए हैं।भाजपा यह भी चाहती है कि चुनाव पिछड़े वर्ग के आरक्षण के साथ हो। शीघ्र चुनाव कराए जाने एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ कराए जाने का प्रयास भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है।
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