(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर रेलवे जोन एवं रेल मंडल के अफसरों का पूरा ध्यान इस समय माल ढुलाई पर ज्यादा है जनता की परेशानी से उन्हें कोई लेना देना नहीं।देखा जा रहा है कि मालगाड़ियां पूरी द्रुतगति के साथ धड़धड़ाते हुए चल रही हैं उनके लिए रेलवे के काम का कोई नुकसान नहीं हो रहा।लेकिन यात्री गाड़ियों को जानबूझकर रोक दिया जाता है काम का बहाना बनाकर।रेलवे विकास के काम के बहाने आए दिन यात्री गाड़ियों को रोक देती है लेकिन सच्चाई कोई भी नजर नहीं आ रही कि वास्तव में कहीं उनका काम चल रहा है।क्योंकि मालगाड़ी धड़धड़ाते हुए एक के पीछे एक चली आ रही है।शहडोल संभाग का दुर्भाग्य है कि यहां की सांसद पूरी तरह से खामोश बैठी है जिसके वजह से संभाग की बात केंद्र तक नहीं पहुंच पा रही।शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद काफी समय से रेल मंत्री, रेल बोर्ड के अध्यक्ष से मिलती हैं पत्र देती हैं आश्वासन लेती हैं और चली आती हैं काम कुछ भी नहीं होता।केवल पत्राचार तक एवं पेपरों में समाचार प्रकाशित तक ही सीमित हैं जिसके कारण जनता को रेल सुविधाएं आज दिनांक तक नहीं मिल पा रही।आवश्यकता तो इस बात की है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र के सांसद रेल पटरी पर उतर कर आम जनता का साथ दें तो निश्चित ही दिल्ली से लेकर बिलासपुर जोन भी हिल जाएगा और जनता को उसकी परेशानी से मुक्ति भी मिल जाएगी। देखा जा रहा है कि सांसद को एसी में एरोप्लेन में यात्रा करना है जनता की परेशानी से उन्हें क्या लेना देना।शादियों का दौड़ भी चालू है लेकिन बिलासपुर कटनी रूट में चलने वाली मेमू पैसेंजर ट्रेनों को 3 मई तक बंद कर दिया गया है यही नहीं यात्रियों की महत्वपूर्ण ट्रेन अंबिकापुर जबलपुर अंबिकापुर के साथ ही बिलासपुर शहडोल ट्रेन को भी बंद कर दिया गया।कुछ पैसेंजर ट्रेन 2 साल बाद भी चालू नहीं की गई।स्पेशल के नाम पर ट्रेन चलाकर रेलवे कमाई कर रहा है।अगर रेलवे पटरी पर मरम्मत का कार्य नवीनीकरण का कार्य कर रहा है तो वह मालगाड़ियां, लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन के साथ-साथ लोकल पैसेंजर ट्रेनों का संचालन क्यों नहीं कर सकता ? लोकल ट्रेन बंद होने से डेली अप डाउन वाले पैसेंजर, कोचिंग करने वाले छात्र छात्राएं सभी परेशान हैं।लेकिन रेलवे को अपनी कमाई के आगे किसी की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं।जनता का जनप्रतिनिधि होने का दम भरने वाले सांसद जनता की आवाज नहीं उठा पा रहे हैं।जबकि उनके संसदीय क्षेत्र की जनता निरंतर ट्रेनों में सफर करती है।कई बड़े महत्वपूर्ण स्टेशनों पर 2 साल बाद भी ट्रेनों के स्टॉपेज नहीं हो पाए। सांसद केवल रेल मंत्री रेल बोर्ड अध्यक्ष से मुलाकात तक सीमित है उनकी बातों में दम नहीं है।उनके निकल जाने के बाद उनके पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिए जाते हैं जिसका नतीजा है कि आज तक उनको किसी तरह की सफलता नहीं मिली। आज पूरी तरह से व्यापार ठप हो चुका है। क्योंकि छोटे-छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों की सुविधा नहीं है जिससे ग्रामीण अंचल के लोग अपनी फसलों को लेकर मार्केट नहीं आ पा रहे उनकी सुधि लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा कि किस तरह उनका काम चल रहा है।जनरल टिकट की उपलब्धता भी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने सेक्शन में नहीं करा पाया जबकि अन्य रेलवे यह सुविधा प्रारंभ कर चुके हैं। लेकिन धन्य है शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद जिनको जनता से कोई लेना-देना नहीं जिसका परिणाम जनता ही भुगत रही है।अब जनता भी निर्वाचन का इंतजार कर रही है और निर्वाचन में जनता इसका मुंहतोड़ जवाब देगी। आवश्यकता है एक बार शहडोल संसदीय क्षेत्र की जनता और जेडआरयूसीसी के सदस्य एवं डीआरयूसीसी के सदस्य मिलकर रेल पटरी पर आएं तभी कोई काम बन सकता है। अन्यथा 1 जुलाई 2022 के पहले रेल की पूर्ववत सुविधाएं बहाल होते नजर नहीं आ रही। पता चला है कि जनरल टिकट की सुविधाएं एवं पूर्ववत स्टॉपेज 1 जुलाई 2022 से ही लोगों को मिल पाएंगे अगर लोग चुप्पी साधे बैठे हुए हैं तो और आंदोलन पर उतरे तो फिर सुविधाएं जल्दी भी मिल सकती हैं।
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