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देश की प्रगति का आधार स्तम्भ हो सकते हैं परम्परागत औषधीय पौधे-श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के फार्मेसी विभाग में “औषधि उत्पाद विकास भारतीय औषधि उद्योग और अनुसंधान का सन्दर्भ” बिषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों के 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया।मुख्य अतिथि के रूप में पद्धश्री से सम्मानित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. कमलाकर त्रिपाठी सम्मिलित हुये।निर्मल अवस्थी, समन्वयक, लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान, भारत द्वारा  विशिष्ट अतिथि के रूप में व्याख्यान दिया गया। इस संगोष्ठी में प्रो. अजय शर्मा, दिल्ली फर्मास्यूटिकल साइन्स रिसर्च विश्वविद्यालय, डॉ. नीलेश मेहरा राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा व अनुसंधान संस्थान, हैदरावाद ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये । इस कार्यक्रम में जनजातीय समुदाय के 05 वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे, वैद्य अवधेश कुमार कश्यप, वैद्य सरोजनी गोयल पनिका, वैद्य सावित्री साहू व वैद्य गंगाधर ध्रुवे का ग्रामीण स्वास्थ्य में उनके योगदान के लिये सम्मान भी किया गया। 
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रतिभागियों से अपने विचार साझा करते हुये कहा कि देश में प्रचुर मात्रा में परम्परागत औषधीय पौधों का ज्ञान उपलब्ध है जिसका संवर्धन, प्रमाणीकरण व उत्पाद विकास करने के लिये इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक का फार्मेसी विभाग निरंतर रूप से कार्य कर रहा है । कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र व मॉडेल भी प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अध्यापको की भी उपस्थिति रही। संगोष्ठी की आयोजन समिति में प्रो. हरिनारायण मूर्ति, प्रो. सब्यासची मैती, डॉ. ऋषि पालीवाल व डॉ. कुंजबिहारी सुलखिया इत्यादि ने योगदान दिया। 

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