(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा "राष्ट्र निर्माण में भारतीय जवानों की भूमिका" विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के तौर पर 'जय हिंद से अपना उद्बोधन शुरू करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डॉक्टर ए. के. मिश्रा ( कुलपति मंगलायतन विश्वविद्यालय, जबलपुर) ने कहां की लोगों को विशेषकर छात्रों को अपनी सेना के बारे में जानना चाहिए सेना का मतलब हथियार उठाए हुए जवान नहीं है। भारतीय सेना 15 जनवरी 1948 को स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर आज तक भारतीय सेना ने विभिन्न लड़ाइयों में दुश्मनों के दांत खट्टे करने के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भी अहम योगदान दिया है। आज इस कार्यक्रम में सेना के स्वाभिमान की याद ताजा हो रही है। राष्ट्र के विकास और निर्माण में सेना ने भूमिका निभाई है। सेना देश में आने वाली आपदा के समय राहत और बचाव के काम में लगी रहती है। आंतरिक सुरक्षा में भी वह अपना योगदान देती रहती है। नई शिक्षा नीति में रक्षा को विषय के रूप में शामिल करना एक एक अनूठी पहल है। सेना ने आजादी के बाद अपनी क्षमता को बढ़ाया है और इस समय सेना के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। देशवासियों को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह सेना का मनोबल बढ़ाने वाला काम करे। छात्र छात्राओं को एन.सी.सी. में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए जो कि राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी कारगर साबित होगा'। मिश्रा जी द्वारा एक वीडियो भी दिखाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा कहा गया कि आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, सही मायने में यह तभी पूरा होगा जबकि हिंद की जय जयकार की गूंज चौतरफा गूँजेगी। अपने शौर्य और साहस से देश को चमत्कृत करने वाले, राष्ट्र की सेवा करने वाले, हमारे जवान जो कि सीमा पर प्रहरी के रूप में खड़े हैं और जो बिना मौसम की परवाह किए दिन रात अपने कार्य में जुटे रहते हैं। वे सभी जगह अलग-अलग रूप में नजर आते हैं, चाहे थल हो, आकाश हो या फिर जल हो, उनके अंदर देश सेवा सर्वोपरि होती है उनके अंदर सिर्फ युद्ध कौशल ही नहीं है बल्कि मानवता के प्रति सेवा भाव भी होता है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत में हमारे सैनिकों की अहम भूमिका है। अतः हमें अपने सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। हमें सैनिकों से सीखना चाहिए कि राष्ट्र पर कैसे अपने प्राण निछावर कर दिए जाते हैं। हम सभी को किसी न किसी रूप में सेना में अपनी सेवाएं देने का प्रयास करना चाहिए और हमें सदैव अपनी सैनिकों का सम्मान करना चाहिए'।
कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर तरुण कुमार ठाकुर (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष - पर्यावरण विज्ञान संकाय) थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर विजय दीक्षित सहायक प्राध्यापक वाणिज्य संकाय) द्वारा किया गया और तकनीकी सहयोग विनोद वर्मा द्वारा दिया गया। यह कार्यक्रम गूगल की एक सर्विस गूगल मीट पर आयोजित किया गया जिसमें इस विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा कहा गया कि आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, सही मायने में यह तभी पूरा होगा जबकि हिंद की जय जयकार की गूंज चौतरफा गूँजेगी। अपने शौर्य और साहस से देश को चमत्कृत करने वाले, राष्ट्र की सेवा करने वाले, हमारे जवान जो कि सीमा पर प्रहरी के रूप में खड़े हैं और जो बिना मौसम की परवाह किए दिन रात अपने कार्य में जुटे रहते हैं। वे सभी जगह अलग-अलग रूप में नजर आते हैं, चाहे थल हो, आकाश हो या फिर जल हो, उनके अंदर देश सेवा सर्वोपरि होती है उनके अंदर सिर्फ युद्ध कौशल ही नहीं है बल्कि मानवता के प्रति सेवा भाव भी होता है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत में हमारे सैनिकों की अहम भूमिका है। अतः हमें अपने सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। हमें सैनिकों से सीखना चाहिए कि राष्ट्र पर कैसे अपने प्राण निछावर कर दिए जाते हैं। हम सभी को किसी न किसी रूप में सेना में अपनी सेवाएं देने का प्रयास करना चाहिए और हमें सदैव अपनी सैनिकों का सम्मान करना चाहिए'।
कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर तरुण कुमार ठाकुर (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष - पर्यावरण विज्ञान संकाय) थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर विजय दीक्षित सहायक प्राध्यापक वाणिज्य संकाय) द्वारा किया गया और तकनीकी सहयोग विनोद वर्मा द्वारा दिया गया। यह कार्यक्रम गूगल की एक सर्विस गूगल मीट पर आयोजित किया गया जिसमें इस विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
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