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अटल जी के सुशासन के नजरिए से आज भारत में दूरगामी प्रभाव दिखते हैं-प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

 

 (हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) सुशासन दिवस एक परिचर्चा नामक कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में आयोजित किया गया। ज्ञात हो कि सुशासन दिवस पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. कपिल देव मिश्रा, कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. ए.के. शुक्ल, अध्यक्षता भूविज्ञान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विजय कुमार दीक्षित द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत हुआ। मुख्य अतिथि (प्रो. के.डी. मिश्रा जी) का स्वागत - प्रो. जी.बी.एस. जौहरी द्वारा एवं विशिष्ट अतिथि (प्रो. ए.के. शुक्ल जी) का स्वागत - डॉ. संदीप बक्शी तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कुलपति (प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी) का स्वागत - डॉ. विजय दीक्षित द्वारा किया गया। प्रो. ए.के. शुक्ल द्वारा अटल बिहारी वाजपेई द्वारा रचित कविताओं के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि भारत में अच्छे सुशासन व्यवस्था की नींव वाजपेई जी के विचारों और उनके कर्यो के माध्यम से रखी गई है। अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी द्वारा "सुशासन क्या है? सुशास के शाब्दिक अर्थ को समझाते हुए अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं को बतलाया साथ ही अटल जी की विदेश नीति, प्रधानमंत्री का कार्यकाल, संसद में दिये गये उद्बोधनों और वाकपटुता के साथ-साथ हाजिर जवाबी को अपने शब्दों में व्यक्त किया और बताया कि वाजपेयी ने देश को अपने व्यवहार और  समावेशी नीति के जरिए ऐसे लोकतांत्रिक मानदंड स्थापित किए जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है। उनका सुशासन का सिद्धांत आज भी प्रसिद्ध है। वाजपेयी ने अपने विपक्षीय नेता के तौर पर संसदीय कार्यकाल में लोकतांत्रिक संस्थाओं को रचनात्मक आलोचना के लिए मंच की तरह उपयोग किया। अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में वाजपेयी ने कई जनकेंद्रित नीतियों को अपनाया जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नदियों की जोड़ने, राष्ट्रीय ग्राम स्वास्थ्य कार्यक्रम, सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाएं शामिल थीं। इनका सुशासन के नजरिए से दूरगामी प्रभाव दिखाई दिया। इसी वजह से वाजपेयी के सम्मान में ही हर साल 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को विश्वविद्यालय में मनाने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बतलाना है, कि सरकार की लोगों के प्रति क्या-क्या जिम्मेदारियां हैं"। कर्यक्रम में प्रो. अनुपम शर्मा, प्रो. जी.बी.एस. जौहरी, प्रो. आशीष माथुर, डॉ. अर्चना श्रीवास्तव द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी की नीतियों और व्यक्तित्व पर चर्चा की गई। कार्यक्रम संचालक डॉ. विजय दीक्षित द्वारा अटल जी के 1977 में दिए यादगार भाषण को बतलाते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की जबकि तकनीक पक्ष सम्हाल रहे श्री अरविंद गौतम द्वारा स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के उद्बोधनों के अंश को स्क्रीन पर दिखाया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन ऑनलाइन, गूगल मीट के माध्यम से हुआ। अथितियों एवं प्रतिभागियों को आभार डॉ. अर्चना श्रीवास्तव (हिंदी अधिकारी) द्वारा दिया गया।

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