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पश्चिम बंगाल से आई टीम ने हाथियों से बचाव के बताए तरीके दिया प्रशिक्षण 40 हाथियों के समूह से गांव में मचा है कोहराम

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) वन मंडल अनूपपुर अंतर्गत कोतमा क्षेत्र के टांकी बीट में विगत 27 सितंबर 2021की शाम लगभग 40 हाथियों का समूह छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पार कर पहुंचा जो निरंतर 28 दिन से टांकी एवं मलगा की जंगल में निरंतर


रहवास बनाकर पूरे दिन जंगल मे रह कर शाम होते ही जंगल की चारों ओर लगे गांव के कृषकों द्वारा लगाए गए धान एवं अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बना रहे हैं वहीं खाने की तलाश में हाथियों ने अब तक 25-30 कच्चे घरों की दीवारें बाउंड्री व घर को क्षतिग्रस्त कर घर के अंदर रखें अनाज व महुआ को अपना आहार बनाया है। जिला प्रशासन एवं वन विभाग तथा ग्रामीण हाथियों के अब तक के सबसे बड़े समूह के निरंतर ठहरने एवं खेतों के नुकसान को लेकर हाथियों के समूह से निजात पाए जाने हेतु पश्चिम बंगाल के हाथी दल विशेषज्ञों के स्वयंसेवी संस्थाओं को आमंत्रित किया। इस दौरान चार सदस्य दल के टांकी पहुंचने पर उनके द्वारा वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों एवं ग्रामीणों को हाथियों से बचाव तथा सुरक्षा के संबंध में तकनीकी जानकारी दी गई।इस दौरान संस्था प्रमुख एस.सेन गुप्ता,पिंटू महाजा ने बताया कि हाथियों का समूह पूर्व में भी कभी इस इलाके में आये होगे।वन्य प्राणियों में सबसे समझदार होते हैं हाथी तथा सबसे शांत प्रवृत्ति के होते हैं। हाथियों का मुख्य काम अपना पेट भरना तथा विचरण करना है। अनूपपुर जिले में विगत 2014-2015 से हाथियों का समूह पहले कम संख्या में उसके बाद बढ़ते-बढ़ते वर्तमान में 40 हाथियों के दल के सबसे बड़े दल स्वरूप में इस वर्ष आए हैं।यदि हाथियों के समूह को रोकने के उपाय  नहीं किए गए तो आने वाले समय में हाथियों के आने की संख्या दिनों दिन बढ़ेगी।विशेषज्ञों द्वारा  ग्रामीणों को सुझाव दिया गया कि हाथी प्रभावित तथा संभावित खेतों के आसपास हाथियों के नापसंद वाली फसलें मिर्ची तथा कड़वी चीजों को लगाएं तथा कटीले पेड़ लगाएं ताकि हाथी उसी स्थान पर आने से रुक सके।उन्होंने हाथी प्रभावित क्षेत्रों में नव युवकों की टीम बनाकर हाथियों को गांव के अंदर प्रवेश करने से रोकने हेतु तैयार कर प्रशिक्षित कराए जाने की बात कही।इस दौरान विशेषज्ञों ने हाथियों से बचाव हेतु शराब व अन्य घातक सामग्रियों का सेवन कर करने वाले व्यक्तियों को नजदीक न जाने देने हाथियों के समूह से दूरी बनाए रखने तथा रात्रि में अकेले समूह के विचरण क्षेत्र के अंदर न जाने देने की सलाह दी। तथा वन विभाग के मैदानी अमले को भी पूरी सुरक्षा तथा निगरानी से कार्य करने की अपेक्षा की गई।इस दौरान सानिध्य सेन गुप्ता एनजीओ संचालक, पिंटू महाजा ,वन परिक्षेत्र अधिकारी कोतमा परितोष सिंह भदौरिया, ग्राम पंचायत सरपंच पुष्पराज सिंह,अनूपपुर जिला के वन्यप्राणी संरक्षण एवं सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल, परिक्षेत्र सहायक मलगा एम.पी. सिंह, परिक्षेत्र सहायक राजनगर तुलसीदास नापित, वनरक्षक दादू राम कुशवाहा ,शंकर सिंह ,विजय बहादुर, रामस्वरूप सिंह एवं अन्य जन उपस्थित रहे।इस दौरान ग्रामीणों के साथ देर शाम हाथियों का समूह महानीम कुंडी तथा लक्ष्मण धारा के जंगल से निकलकर गांव की ओर आने दौरान ग्रामीणों को तथा वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों को हाथियों के समूह के गांव के अंदर न जाने देने के संबंध में जानकारी दी।तथा स्वयं दो दिनों तक हाथियों के समूह पर निगरानी रखते हुए इनकी जानकारी संकलित की।श्री गुप्ता ने बताया कि यह हाथियों का दल मई माह ने पश्चिम बंगाल में विचरण कर रहा था जो भगाए जाने पर झारखंड से छत्तीसगढ़ होकर अनूपपुर जिले में पहुंचा है। इस दल में एक दंन्तेल हाथी काफी आक्रोशित रहता है जो सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।हाथियों के समूह से दूरी बनाए रखने का आग्रह सबसे किया गया।

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