(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री सोनिया मीना ने अनावेदक राजा बसोर पिता संतोष बसोर उम्र 23 वर्ष निवासी दर्रीटोला कोतमा थाना कोतमा जिला अनूपपुर जो 2014 से 2018 तक लगातार 12 आपराधिक गतिविधियों में संलग्न पाया गया है को आगामी 6 माह तक की कालावधि तक प्रत्येक मंगलवार के 12 बजे दिन थाना प्रभारी कोतमा जिला अनूपपुर (म.प्र.) के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर हाजिरी दर्ज कराने का आदेश दिया है। उन्होंने अनावेदक को आदेश दिया है कि वह अपने आपराधिक कृत्यों को पूर्णतः त्याग दे, अन्यथा एक भी आपराधिक प्रकरण दर्ज होने की दशा में उसके विरुद्ध जिला बदर का प्रकरण पुनः प्रांरभ किया जाकर समुचित कार्यवाही की जा सकेगी। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त आदेश का पालन न करने, उल्लंघन करने या विरोध करने पर, म.प्र. राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 14 के अंतर्गत अनावेदक को गिरफ्तार किया जावेगा जो 03 वर्ष के कारावास व जुर्माने से दण्डनीय होगा।
प्रकरण का विवरण इस प्रकार है कि पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के प्रतिवेदन में कहा गया है कि, अनावेदक वर्ष 2014 से अपराध जगत में प्रवेश कर लगातार आपराधिक जीवन व्यतीत कर रहा है। अनावेदक थाना क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में निरंतर आपराधिक गतिविधियों में संलग्न होकर गैर झगड़ा, मारपीट, गुण्डागर्दी, चोरी जैसे अपराध करना इसकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। क्षेत्र में व्याप्त अनावेदक के दहशत के कारण आम जन जीवन संकटापन्न हो गया है। ग्रामवासियों एवं शांतिप्रिय आमजन मानस में इसकी दहशत व्याप्त है, फलस्वरूप अनावेदक के खिलाफ न तो कोई थाना में रिपोर्ट करने में हिम्मत ही करता न ही न्यायालय में साक्ष्य देने को तैयार होता है। सामान्य प्रचलित कानूनी प्रावधानों के तहत अनावेदक के विरुद्ध एक दर्जन अपराध पंजीबद्ध है, जिनमें अनावेदक की गिरफ्तारी की जाकर प्रकरण सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किए गए हैं, किन्तु अनावेदक के कार्य व्यवहार में कोई सुधारात्मक परिवर्तन नहीं हुआ, सामान्य प्रचलित कानूनी कार्यवाही अनावेदक के उत्श्रखल व्यवहार नियंत्रित करने हेतु नाकाफी साबित हुये हैं।
प्रकरण का विवरण इस प्रकार है कि पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के प्रतिवेदन में कहा गया है कि, अनावेदक वर्ष 2014 से अपराध जगत में प्रवेश कर लगातार आपराधिक जीवन व्यतीत कर रहा है। अनावेदक थाना क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में निरंतर आपराधिक गतिविधियों में संलग्न होकर गैर झगड़ा, मारपीट, गुण्डागर्दी, चोरी जैसे अपराध करना इसकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। क्षेत्र में व्याप्त अनावेदक के दहशत के कारण आम जन जीवन संकटापन्न हो गया है। ग्रामवासियों एवं शांतिप्रिय आमजन मानस में इसकी दहशत व्याप्त है, फलस्वरूप अनावेदक के खिलाफ न तो कोई थाना में रिपोर्ट करने में हिम्मत ही करता न ही न्यायालय में साक्ष्य देने को तैयार होता है। सामान्य प्रचलित कानूनी प्रावधानों के तहत अनावेदक के विरुद्ध एक दर्जन अपराध पंजीबद्ध है, जिनमें अनावेदक की गिरफ्तारी की जाकर प्रकरण सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किए गए हैं, किन्तु अनावेदक के कार्य व्यवहार में कोई सुधारात्मक परिवर्तन नहीं हुआ, सामान्य प्रचलित कानूनी कार्यवाही अनावेदक के उत्श्रखल व्यवहार नियंत्रित करने हेतु नाकाफी साबित हुये हैं।
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