(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के राजनीति विज्ञान और मानवाधिकार विभाग द्वारा "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के अवसर पर 4 अगस्त, 2021 को प्रातः 11 बजे 'भारतीय संविधान: राज्य का स्वरूप' विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन प्रोफ़ेसर अनुपम शर्मा विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग द्वारा किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि प्रो. एस.के. द्विवेदी (पूर्व विभागाध्यक्ष - राजनीति विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ) तथा मुख्य वक्ता प्रो.एम.एम. सेमवाल (विभागाध्यक्ष, विभाग राजनीति विज्ञान एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड) ने की "आज़ादी का अमृत महोत्सव" वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष में मनाया जा रहा है, इसी क्रम में विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन किया गया।
वेविनार के अध्यक्षीय उद्बोधन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्याल,अमरकंटक के माननीय कुलपति जी ने कहा कि भारत में राज व्यवस्था का संचालन लोकमत एवं संविधान से संचालित होता है।भारत का ग्रंथ संविधान सर्वोच्च ग्रंथ है, यह दुनिया में अपना विशेष स्थान रखता है। भारतीय संविधान सभी को समान अवसर प्रदान करता है यह सहयोग, सदभाव, सबका विकास जैसे मूल्यों पर बल देता है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर सेमवाल ने कहा संविधान भविष्य का एजेंडा है तथा शासन को चलाने का विधान होता है उन्होंने अपने व्याख्यान में भारत के संविधान की विकास यात्रा का विस्तृत रूप से वर्णन किया तथा संविधान में हुए प्रमुख संवैधानिक संशोधनों को समय की मांग बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान राजनीतिक दस्तावेज के साथ-साथ संभावित परिवर्तन का माध्यम भी है।
वेबीनार के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस.के. द्विवेदी जी ने विभिन्न राजनीतिक विचारकों के विचारों के माध्यम से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक दलों को विचारधारा के आधार पर अंतर कम बल्कि राष्ट्रीय दल नेता के माध्यम से अधिक जाते हैं। राष्ट्रीय दलों का प्रमुख उद्देश्य चुनाव जीतना रह गया है। स्वतंत्रता के पश्चात उपेक्षित दलीय व्यवस्था एवं नेतृत्व विकसित हो पाया है, इसलिए इन परिस्थितियों में मतदाताओं को जागरूक होने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय बेविनार में प्रोफ़ेसर आर. एस. गढ़वाल, विभागध्यक्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, डॉ. सूर्यभान सिंह हरियाणा, प्रोफेसर उमेश गहरोलिया, गणित विभाग एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय परिवार के संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षणेत्तर अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी तथा राजनीति विज्ञान विभाग के समस्त साथी उपस्थित रहे।
उक्त कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन गूगल मीट प्लेटफार्म पर सम्पन हुआ, जिसमे समस्त भारत से 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए और यूट्यूब के माध्यम से 500 से ज्यादा लोगों ने इस वेविनार का लाभ उठाया।
कार्यक्रम का आयोजन प्रोफ़ेसर अनुपम शर्मा विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग द्वारा किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि प्रो. एस.के. द्विवेदी (पूर्व विभागाध्यक्ष - राजनीति विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ) तथा मुख्य वक्ता प्रो.एम.एम. सेमवाल (विभागाध्यक्ष, विभाग राजनीति विज्ञान एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड) ने की "आज़ादी का अमृत महोत्सव" वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष में मनाया जा रहा है, इसी क्रम में विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन किया गया।
वेविनार के अध्यक्षीय उद्बोधन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्याल,अमरकंटक के माननीय कुलपति जी ने कहा कि भारत में राज व्यवस्था का संचालन लोकमत एवं संविधान से संचालित होता है।भारत का ग्रंथ संविधान सर्वोच्च ग्रंथ है, यह दुनिया में अपना विशेष स्थान रखता है। भारतीय संविधान सभी को समान अवसर प्रदान करता है यह सहयोग, सदभाव, सबका विकास जैसे मूल्यों पर बल देता है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर सेमवाल ने कहा संविधान भविष्य का एजेंडा है तथा शासन को चलाने का विधान होता है उन्होंने अपने व्याख्यान में भारत के संविधान की विकास यात्रा का विस्तृत रूप से वर्णन किया तथा संविधान में हुए प्रमुख संवैधानिक संशोधनों को समय की मांग बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान राजनीतिक दस्तावेज के साथ-साथ संभावित परिवर्तन का माध्यम भी है।
वेबीनार के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस.के. द्विवेदी जी ने विभिन्न राजनीतिक विचारकों के विचारों के माध्यम से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक दलों को विचारधारा के आधार पर अंतर कम बल्कि राष्ट्रीय दल नेता के माध्यम से अधिक जाते हैं। राष्ट्रीय दलों का प्रमुख उद्देश्य चुनाव जीतना रह गया है। स्वतंत्रता के पश्चात उपेक्षित दलीय व्यवस्था एवं नेतृत्व विकसित हो पाया है, इसलिए इन परिस्थितियों में मतदाताओं को जागरूक होने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय बेविनार में प्रोफ़ेसर आर. एस. गढ़वाल, विभागध्यक्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, डॉ. सूर्यभान सिंह हरियाणा, प्रोफेसर उमेश गहरोलिया, गणित विभाग एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय परिवार के संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षणेत्तर अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी तथा राजनीति विज्ञान विभाग के समस्त साथी उपस्थित रहे।
उक्त कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन गूगल मीट प्लेटफार्म पर सम्पन हुआ, जिसमे समस्त भारत से 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए और यूट्यूब के माध्यम से 500 से ज्यादा लोगों ने इस वेविनार का लाभ उठाया।
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