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श्रेष्ठ गुरु हमारे मिथ्या ज्ञान को नष्ट कर देता है-प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

 


    
पृथ्वी में कोई ऐसा धन नहीं जो 
गुरु की कीमत अदा कर सके -पाण्डेय
इंगाँराजवि.में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
 व्यास महोत्सव संपन्न
  (हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा)
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के योग विभाग द्वारा गुरु पुर्णिमा के पावन पर्व पर आयोजित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय व्यास महोत्सव का समापन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि श्रेष्ठ गुरु हमारे मिथ्या ज्ञान को नष्ट कर देता है और हमें शास्त्रों में निहित ज्ञान विज्ञान के श्रेष्ठ अर्थों का बोध करा देता है। सुगति एवं कुगति के मार्गों तथा कर्म एवं अकर्म का भेद समझा देता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य अविनाश चन्द्र पाण्डेय, निदेशक, अंतर विश्वविद्यालय योग विज्ञान केंद्र बेंगलुरु एवं त्वरक केंद्र स्वायत्त संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली ने गुरु की महिमा को बताते हुये कहा कि पृथ्वी में कोई ऐसा धन नहीं जो गुरु की कीमत अदा कर सके। आस्तिक एवं नास्तिक को विस्तार से बताते हुए उन्होनें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मात्रभाषा से जोड़ते हुये योग पर प्रकाश डाला और कहा कि योग सम्पूर्ण मानव जाति, धर्म सम्प्रदाय का है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आचार्य जटा शंकर, अध्यक्ष, अखिल भारतीय दर्शन परिषद ने दार्शनिक शब्दों में गुरु की महत्ता को बताया। ब्रम्हानन्द बल्ली के अनुसार गुरु और शिष्य के बारे मे प्राच्य एवं पाश्चात्य की बात कही। विद्या सिद्धि के पहले ईश्वर, गुरु, माता-पिता के प्रति आदर करना चाहिए। गुरु मुक्त होने से पहले एवं मुक्त होने के बाद भी वंदनीय रहता है। कार्यक्रम के अतिथि वक्ता आचार्य कृष्ण कान्त शर्मा, पूर्व संकायाध्यक्ष संस्कृत धर्म विद्या विज्ञान बी.एच. यू., वाराणसी ने गुरु शब्द की महत्ता को बताते हुये कहा कि गुरु ज्ञान से अंधकार रूपी अज्ञानता दूर हो जाती है । गुरु शब्द का अर्थ ,उत्पत्ति एवं महत्ता को अनेक ग्रंथो के अनुसार बताया। गुरु ज्ञान रूपी जल के द्वारा शिष्य का हृदय रूपी ज्ञान का संचन करता है। अर्थात अंधकार रूपी अज्ञान को दूर करता है। साथ ही कुगति, सुगति एवं पाप पुण्य आदि का बोध कराते है। कार्यक्रम के अतिथि वक्ता आचार्य रामकृष्ण गोस्वामी ने श्रेष्ट भारत बनने की बात कही, श्रीमद भगवत गीता के अनुसार गुरु एवं शिष्य की महत्ता को विस्तार से बताते हुये श्री कृष्ण एवं अर्जुन संवाद को बताया गुरु के माध्यम से ऐसी शिक्षा जो राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो वही सच्चा ज्ञान है।
अतिथि वक्ता आदित्य सत्संगी, संस्थापक एवं अध्यक्ष सत्तोलाजी संस्थान यू.यस.ए. सत्तोलाजी को बहुत ही विस्तार से बताया कि इसका उदय हमारी सनातन धर्म परंपरा से हुआ है। सम्पूर्ण विश्व को चलाने वाली सत्ता का रहस्य हमारे वेद, पुराण, उपनिषद, गीता एवं अनेक सद ग्रन्थों में निहित है।
कार्यक्रम का सुभारंभ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अर्चक डॉ. टेक नारायण उपाध्याय के मंगलाचरण से हुआ।अतिथियों का स्वागत योग संकाय के संकायाध्यक्ष एवं आयोजन समिति के निदेशक प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने किया उन्होने अपने वक्तव्य में गुरु की महत्ता को बहुत ही सरल एवं सारगर्भित शब्दों में गुरु ज्ञान को ही जीवन बताया।
कार्यक्रम का संचालन आयोजक सचिव डॉ. हरेराम पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर जितेंद्र शर्मा ने किया।कार्यक्रम का आयोजन वेबैक्स के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एवं यूट्यूब पर लाइव हुआ पूरे देश विदेश से करीब 550 लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुड़े।कार्यक्रम के आयोजन में विश्वविद्यालय के डॉ. प्रवीण कुमार गुप्ता, डॉ. कृष्ण मुरारी, डॉ. श्याम सुंदर पाल, डॉ. संदीप ठाकरे, डॉ. नीलम श्रीवास्तव, अरविंद गौतम, गुरुनाथ करनाल एवं विवेक नेगी की सराहनीय भूमिका रही।

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