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प्राचीन भारत में योग परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत विषय पर इंगाँराजवि. में सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गॉधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के योग विभाग एवं प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति तथा पुरातत्व विभाग के सयुंक्त तत्वाधान में ’’प्राचीन भारत में योग परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत’’ विषय पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों से लगभग 300 प्रतिभागी गूगल मीट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े।   
                    कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने की। कार्यशाला

के विषय का परिचय एवं अतिथियों का स्वागत प्रो. आलोक श्रोत्रिय, अधिष्ठाता योग संकाय द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, कुलपति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं विशिष्ट अतिथि के रूप प्रो. वी. आर. रामकृष्ण, माननीय कुलपति, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू ने भाग लिया।
                     मुख्य अतिथि गिरिधर मालवीय जी ने कहा कि प्राचीन भारतीयों द्वारा प्रतिपादित योग एक ऐसा विषय है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है एवं इसके द्वारा लोगों को स्वस्थ्य रहने की प्रेरणा मिलती है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मन को नियंत्रित करने की विद्या ही योग है जिसके द्वारा तन एवं मन निर्मल होते है। कुलपति महोदय ने योग को पर्यावरण को जोड़ते हुए उसकी शुद्धता पर विशेष बल दिया।
                             प्रो. वी. आर. रामकृष्ण ने अपने संबोधन में योग को विज्ञान की एक शाखा के रूप में विश्लेषित किया जिसमें अध्यात्मिकता एवं दर्शन समाहित है।
                 तकनीकी सत्र में विशेषज्ञ के रूप में प्रो. वी. आर. रामकृष्ण माननीय कुलपति, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू ने वर्तमान समय में योग की प्रासंगिकता एवं देश के परंपरागत ज्ञान के रूप में उसके महत्व एवं उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने यह भी कहा कि योग की वैज्ञानिकता से संबंध में काफी शोध हुये हैं और बाहर हजार से अधिक शोध आलेखों का प्रकाशन हो चुका है। उन्होने योग की शिक्षा को प्राथमिक स्तर से प्रारम्भ करने का भी सुझाव दिया।
               कार्यक्रम का समन्वय डॉ. मोहनलाल चढ़ार, प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग तथा संचालन डॉ. हरेराम पाण्डेय, योग विभाग द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. जितेंद्र कुमार शर्मा, योग विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोगों में डॉ. मनोज कुमार, डॉ. जिनेन्द्र जैन, डॉ. जनार्दन बी., डॉ. गोविंद मिश्रा, डॉ. पूनम पाण्डेय, डॉ. प्रवीण कुमार गुप्ता, डॉ. श्याम सुंदर पाल,अरविंद गौतम,सुप्रियों दास एवं गुरूनाथ करनाल थे।  

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