हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो
अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय विशेष न्यायाधीश(लैगिंक अपराध) कोतमा रविन्द्र कुमार शर्मा के न्यायालय से आरोपी भीम कोल पिता शंभू कोल आयु 32 निवासी ग्राम फुलहा निगवानी थाना कोतमा जिला अनूपपुर की जमानत याचिका निरस्त की गई।
सहायक मीडिया प्रभारी विशाल खरे ने राजगौरव तिवारी एडीपीओ के हवाले से बताया गया कि मामला थाना भालूमाडा के अ.क्र. 62/20 धारा 363, 376, 376 एबी, 376(2), 376 डीबी भादवि 3, 4, 5 एम, 5 जी, 6 पाक्सों एक्ट से संबंधित है। यह सह आरोपी है जो कि मुख्य आरोपी के साथ पीडिता को,जो कि मानसिक रूप से विकलांग है,बलात्संग के समय उपस्थित था और पीडिता के चिल्लाने की आवाज पर मुंह दबाया हुआ था। घटना दिनांक 04/07/2020 को करीब 7 बजे पीडिता कही चली गयी जो तलाश करने पर नही मिल रही थी फिर तभी करीब 11.30 बजे गांव के दो लोग पीडिता को घर लाये और वो लोगों ने बताया कि मुख्य आरोपी पीडिता को अपने घर के तरफ से ला रहे थे तो हमने उसे पहुचा दिया।तब पीडिता की मां ने पीडिता के गंदे कपडे और खून के दाग देखकर अंदर ले गयी और अपने धर के अन्य महिला सदस्यो को भी दिखाया जिस पर महिला सदस्यों ने तुरंत पीडिता के पिता को बुलवाकर थाना जाकर रिपोर्ट करने को कहा।उक्त अपराध को थाना कोतमा द्वारा पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया जिसमें विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया,उक्त मामले में ही सहयोगी रहे आरोपी उपरोक्त के द्वारां आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स.का प्रस्तुत किया था।
आरोपी ने यह लिया था आधार-आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में यह आधार लिया गया था कि आरोपी को झूठा फसाया गया है। वह 05 माह से जेल में है,आवेदक अनूपपुर जिले का स्थायी निवासी है विचारण में समय लगने की संभावना है आरोपी जमानत की शर्तों का पालन करने के लिए तैयार है।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध-उक्त आवेदन पत्र विशेष लोक अभियोजक राजगौरव तिवारी द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया गया कि पीडिता करीब 07-08 वर्षो की मानसिक विकलांग है जो कि न कुछ बोल और समझ सकती है,उसके साथ मुख्य अभियुक्त द्वारा बलात्संग की घटना के समय आवेदक उपस्थित था और अभियोक्त्री के चिल्लाने के समय उसका मुंह दबा रखा था।इस प्रकार घटना में आवेदक की सक्रिय सहभागिता प्रकट होती हैं।अपराध की गंभरता को देखते हुए जमानत का लाभ दिया जाना उचित नही होंगा। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439 द.प्र.स. निरस्त कर दिया।
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