(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा)।20 सितम्बर। मेरे जीवन में ढेर सारे दुख आए मेरे पिता मुझे बीच में ही छोड़ कर चले गए हाल ही में मेरी माता जी मुझे दुखी छोड़ कर अपने धाम सिधार गईं । उक्त आशय के विचार मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष शलभ भदौरिया ने व्यक्त करते हुए कहा कि
मेरे कई बाल सखा अब इस दुनिया में नहीं हैं ।आज पत्रकारिता और संगठन के संकट में भागीरथ भी बेईमानी कर संघर्ष के दौर में छोड़ गए। भागीरथ मराज का स्थान भी मेरे जीवन में उक्त सभी के समान है। भागीरथ का जाना मेरी ही नहीं संगठन और मेरे परिवार की व्यक्तिगत क्षति है जो कभी पूरी नहीं हो सकेगी । भागीरथ तिवारी टीकमगढ़ का मेरा साथ 1985 से भी पहले से था जो सनेः सने: नितांत गहरा और पारिवारिक होता चला गया!सबसे पहले मैंने उन्हें 1985 में उस समय जाना जब मैं भोपाल श्रमजीवी पत्रकार संघ का महासचिव और स्व.विष्णुवर्मा विद्रोही द्वारा खड़ा किया युवा पत्रकार मंच का प्रदेश अध्यक्ष बना । तिवारी जी को युवा पत्रकार मंच का टीकमगढ़ अध्यक्ष नियुक्त किया था ।
तब से लेकर आज तक भागीरथ अनुज की भांति मेरे हर संघर्ष में साथ रहे । वे मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ की टीकमगढ़ जिला इकाई के अध्यक्ष रहे, संभागीय महासचिव रहे,
सागर संभाग के अध्यक्ष, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य,।प्रदेश के संयुक्त सचिव और सचिव भी रहे ।
पिछले वर्ष 2019 में ही तो बांधवगढ़(उमरिया) महाधिवेशन में वे प्रदेश उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे ।
उन्हें कभी पद की लालसा नहीं रही । और ना ही कोई घमंड ।वे संगठन में तमाम पदों के बावजूद सिर्फ एक सक्रिय कार्यकर्ता की तरह ही रहे ।
भागीरथ महाराज की आत्मा की पवित्रता और उनके मेरे परिजनों से प्रगाढ़ रिश्तों की अंतरंगता का इसी सेअंदाजा लगाया जा सकता है कि आई एफ डब्लयू के अहमदाबाद राष्ट्रीय अधिवेशन में रैली के दौरान मेरी पत्नी की चप्पल टूट गई ।उन्होंने अपनी भाभी को लंगड़ाते देखा तो दौड़ कर जा पहुंचे और लपक कर दोनों चप्पलें पैरों से निकलवा कर हाथ में ले लीं । और इधर उधर देख कर मोची को खोजा और चप्पल दुरुस्त करा कर पांव में पहना दी ।
शाम को मुझे पता चला तो मैंने उन्हें डांटा । कहा महाराज ब्राह्मण हो हमे पाप में डाल दिया ।मुस्कुराते हुए भागीरथ महाराज ने कहा
क्या ब्रह्मण को अपनी मां की सेवा करने का अधिकार नहीं होता मां की सेवा में काहे का पाप.…?
इससे उनके मन की पवित्रता ऑर निष्चलता को आसानी से महसुसा जा सकता है ।
उनके व्यवहार और आचरण में घनघोर आध्यात्मिक तथा पुजापाठी ब्राह्मण होते हुए जातिवाद का दूर दूर तक एहसास भी नहीं होता था ।2010में सागर अधिवेशन के समय कुछ हमारे साथियों ने जाती के आधार पर संगठन के चुनाव को रंगने का प्रयास किया था ।भागीरथ रात भर नहीं सोए और तमाम ब्राह्मण पत्रकारों में मेरी अच्छाइयां प्रचारित करते रहे ।सुबह 4 बजे मेरे पास सर्किट हाउस आए और पूरा वाक्या कह सुनाया ।उनके नाम भी बताएं जो इस कृत्य में संलग्न थे
सुनकर मुझे उनकी सरलता निर्मलता पर मोह उमड़ा और आंखों में आंसू आ गए साथ ही साथ हंसी फुट पड़ी ।उन्हें थोड़ा बुरा भी लगा ।वे बोले भाई साहब आप हंसे काय..?तब मैंने कहा महाराज आप बड़े भोले हो जब मेरे फार्म के अलावा किसी ने अध्यक्ष के लिए फार्म भरा ही नहीं है तो आप रात भर उन मूर्खों की बातों में क्यों आ गए जब आपको उनकी बैठक का पता लगा था तो दमोह के सुनील गौतम की तरह आप भी बता देते तो आपको रात भर तो परेशान नहीं होना पड़ता ।उनका जवाब भी उतना ही मासूम और आत्मा को गदगद करने वाला था।
अपने नेता पर आए संकट
को दूर करने में लगना आवश्यक होता है ।किसी से पूछने बताने या इजाज़त लेने की किसे सुझती है।
उस समय तो समर्थकों को तो बिना सोचे काम पर जुट जाना चाहिए सो मैं जुट गया ।भागीरथ जीवन भर सीखने की ललक संजोए रहते थे ।वे अपने आस पास की गतिविधियों से भी काफी प्रभावित रहते । दस्यु जीवन के कठिन दौर से आत्मसमर्पित होने के बावजूद वे इतने संवेदन शील थे ।उसका उदाहरण सभी को छतरपुर के अध्यक्ष भाई श्याम खरे के प्रयास से आयोजित खजुराहो के पर्यटन निगम की होटल झंकार के नव निर्मित सभागार में संपन्न प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में उनके एक संक्षिप्त से भाषण से पता चला ।
खजुराहो के आयोजन में यद्यपि श्याम भाई ने रुकने आदि के बेहतरीन इंतजामात किए थे ।फिर भी हमारी कुछ साथियों को जो था उससे भी बेहतर इंतजाम चाहिए था । जिसे जैसे तैसे श्याम भाई ने सुलझाया । इस प्रकरण का जिक्र यहां इसलिए किया क्यों की भागीरथ का भाषण का प्रसंग इसी को लेकर एक सास्वत सीख था । भागीरथ आरंभ में पत्रकारिता के साथ साथ छोटी मोटी ठेकेदारी किया करते थे ।
उन्होंने अपने उद्बोधन को अपने ठेकेदारी के समय के एक प्रसंग से जोड़ा था ।जो काफी प्रभाव शाली था।
वे टीकमगढ़ से अपनी साइट जा रहे थे ।
यात्रा स्थानीय बस से हो रही थी ।धीरे धीरे अन्य यात्रियों से बात चीत होने लगी तो पता चला कि बस में लोग आदिवासी हैं और बारात में का रहे हैं। बस आगे के किसी बस स्टैंड पर रुकी उस से दो यात्री और चढ़े ।इत्तेफाक से वे दोनों तिवारी जी के मजदूर थे ।उन्हें पास बिठा लिया ।मजदूर बगल में कपड़े का एक बंडल सा दबाए हुए था। पूछा यह क्या दबाए हुए हो.?आदिवासी ने कहा रोटियां बांध कर लाए हैं सेठ जी....! तिवारी जी ने यह सुनकर बस के सभी यात्रियों को ध्यान से देखा ।सभी ने बगल में रोटियां वाला बंडल दबा रखा था ।
आगे फिर बस रुकी बस पर चार पांच लोग फिर सवार हुए । उन्होंने अपने टिकिट
कटवाए और स्थान पा कर बैठ गए । वे भी बगल में रोटियां दबाए हुए थे ।
भागीरथ को उनका स्वयं टिकिट कटवाना अट पटा लगा पास बैठे हुए अपने मजदूर से पूछ लिया क्या ये बाराती नहीं है..? उसने कहा ये सब बाराती ही हैं ।भागीरथ रोटियां बांध कर बारात जाने से ही आश्चर्य में थे ।जिस पर बारातियों का खुद टिकिट कटवाना परेशान कर रहा था ।
पूछा भाई बारात जा रहे हो रोटियां साथ ले जा रहे हो टिकिट के पैसे भी खुद दे रहे हो तो दूल्हे का बाप क्या करेगा ऑर लड़की वाला क्या आप लोगों को भोजन भी नहीं खिला सकता है ।
आदिवासी का जवाब हम तथा कथित सिविलाइज लोगों के ढोंग पर एक जोरदार तमाचा है ।उसने कहा कि साहब यदि दूल्हे वाला सभी बारातियों को खाना खिला कर किराया देकर ले बारात के जा रहा होता तो वैसे ही 5- 6 हजार का कर्ज दार हो जाता और यही स्थिति लड़की वाले की भी हो जाती दोनों कई सालों तक कर्ज दार के घर ब्याज पर ही काम करते करते मर जाते । हम सभी भाई हैं वजन नहीं बल्कि उनका सहारा होते हैं ।
भागीरथ तिवारी का 2012 के उस भाषण को लोग आज भी याद करते हैं और अब रुकने आदि पर बहस नहीं होती ।भागीरथ विचारधारा से तो बीजेपी से ना केवल संबद्ध ही थे बल्कि एक बार भाजापा से पार्षद भी रह चुके हैं ।लेकिन पत्रकारिता में वे सिर्फ पत्रकार ही थे ।
संगठन पर उनके कई कर्ज वे छोड़ कर गए है ।टीकमगढ़ जिला इकाई के अध्यक्ष के रूप में युवा पत्रकार महेंद्र
दिवेदी दिया इसके बाद उन्होंने एक समाजवादी सोच के लिथोरा निवासी जिले के वरिष्ठ पत्रकार रघुवीर सहाय पस्तोर को खोज कर दिया । और उनके सामने ही निवाड़ी को टीकमगढ़ से काट कर नया जिला बनाया तो एक बार फिर पस्तोर जी के साथ भागीरथ तिवारी ने मिलकर निवाड़ी के नए अध्यक्ष के रूप में हसन मोहम्मद को दिया ।मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ स्व.तिवारी का सदैव उनकी सेवाओं के लिए ऋणी रहेगा और स्मरण करता रहेगा।
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