(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) मध्यप्रदेश में फरवरी - मार्च 2020 के मध्य बहुत कुछ ऐसा बीता,जिसका लंबे समय के लिये प्रदेश के भीतर की परिस्थितियों पर असर पडना तय माना जा रहा है। एक ओर चीनी वायरस ने जो विश्वव्यापी संक्रमण फैलाया , उसकी चपेट में मध्यप्रदेश भी आ गया। दूसरे,कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपनी पार्टी का दामन छोड़ कर भाजपा की सरकार बनवा दी। आने वाले अगस्त - सितंबर के बीच अनूपपुर सहित अन्य 23 विधानसभाओं में उप चुनाव की तैयारी की जा रही है। अनूपपुर के कद्दावर नेता एवं कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह इस्तीफा देने वाले अग्रणी विधायक रहे हैं। अब अनूपपुर भी चुनाव मैदान में है। 2018 के विधानसभा चुनाव एवं उसके पूर्व के कई चुनाव में बिसाहूलाल सिंह के परंपरागत प्रतिद्वंदी रामलाल रॊतेल रहे हैं। दोनों नेताओं का अपना- अपना जनाधार तथा अपनी - अपनी राजनैतिक समझ है। बिसाहूलाल के भाजपा में आ जाने से परिस्थितियाँ बदल गयी हैं। जो दो प्रतिद्वंद्वी आमने - सामने होते थे, वो एक ही पाले में साथ - साथ खडे हैं । वो दोनों ना केवल साथ - साथ दिख रहे हैं बल्कि इसे उन्हे चुनाव जीत कर साबित भी करना होगा। रामलाल रॊतेल को भाजपा ने चुनाव संचालक बना कर बिसाहूलाल सिंह को चुनाव जितवाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की है सबकी नजर इस बात पर है कि क्या यह इतना सरल होगा ....वो भी तब जबकि दोनों दिग्गज नेताओं के समर्थकों में अपने-अपने कारणों से व्यापक नाराजगी है। जिसे दूर करने का कोई प्रयास अभी तक नहीं किया गया है।
सरल नहीं है
रामलाल होना
जैतहरी के समीप चोरभठी में स्व सोनई राम रॊतेल के घर 1 जुलाई , 1967 को जन्मे रामलाल रॊतेल का प्रारंभिक जीवन अत्यंत गरीबी तथा संघर्षमय तरीके से बीता । खेती - मजदूरी करने वाले सोनई राम के अन्य बच्चों से अलग रामलाल को पढने, साफ-सुथरे कपडे पहनने तथा गाँव की समस्याओं को लेकर संघर्ष करना बहुत पसंद था। तब के अशासकीय तुलसी महाविद्यालय ,अनूपपुर में पढते हुए उन्होंने विधानसभा चुनाव लडा तथा उसमें हार गये। संभवतः यह उनका पहला बड़ा चुनावी अनुभव था। उसके पहले वे वार्ड सदस्य ( 1988) निर्वाचित हुए थे। 1992 से 2000 तक वे भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री, मंडल अध्यक्ष, जिलामंत्री भाजयुमो एवं मंडल अध्यक्ष, जिला मंत्री भाजपा रहे। 2002 से 2006 तक वे प्रदेश अजजा मोर्चा के प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, 2010-13 तक म. प्र. अजजा आयोग अध्यक्ष,2014 मे राष्ट्रीय महामंत्री अजजा मोर्चा, एवं 2016 से अभी तक प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा हैं । 2003 व 2013 में वे विधायक रहे। 1998, 2003,2008,2013,2018 में वे भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी रहे हैं। इन सभी चुनावों में उनका मुख्य मुकाबला बिसाहूलाल सिंह से ही हुआ।अब वही दोनो चिरप्रतिद्वंदी एक ही पार्टी मे साथ - साथ हैं बल्कि रामलाल के कंधों पर बिसाहूलाल को जितवा लाने का पूरा दारोमदार है।2020 का उप चुनाव जीतने के लिये चुनाव संचालक के रुप में समन्वय के साथ 22 सदस्यीय प्रबंध समिति का गठन रामलाल ने किया है। लेकिन सवाल है कि क्या दो विपरीत ध्रुवों के साथ आ जाने से सब कुछ ठीक हो गया है ? 1980 से धुर-कांग्रेसी रहे बिसाहूलाल के भाजपाई अवतार से ना केवल कांग्रेस में उनके कट्टर समर्थक रहे लोगों मे भारी नाराजगी है बल्कि स्वत: भाजपा का एक खेमा, जो लगातार बिसाहूलाल तथा उनके समर्थकों के निशाने पर रहा है ,वह हतप्रभ है। इन दोनों वर्गों को एक मंच पर लाए बिना बिसाहूलाल की राह आसान नहीं है। ऐसे में राजनैतिक जानकारों का मानना है कि राम जी ही बिसाहूलाल का बेड़ा पार लगवा सकते हैं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व को यह पुष्ट करना होगा कि बिसाहूलाल की कीमत पर रामलाल एवं उनके समर्थकों के हितों की बलि नहीं चढाई जाएगी। यह थोथा आश्वासन ना होकर, धरातल पर प्रत्यक्ष दिखलाए बगैर भाजपा के मूल सदस्यों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। इसके साथ यह भी तय है कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को संतुष्ट किये बिना चुनाव जीतने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।जाहिर है कि चुनाव में कड़ी परीक्षा रामलाल की भी है। यह चुनाव उनके लिये परीक्षा पूर्व अभ्यास योजना जैसा भी है। 2023 या उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन मजबूत करने का उनके लिये सुनहरा अवसर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा , संगठन महामंत्री सुहास भगत ने राजेन्द्र शुक्ला, संजय पाठक को अनूपपुर चुनाव प्रभारी बना कर सामान्य मतदाताओं के पिछले गुस्से पर मरहम लगाने की कोशिश की है। 22 सदस्यीय प्रबंध समिति के गठन मे रामलाल को जिस तरह से फ्री हैण्ड दिया गया है, वह भी पार्टी की रणनीति का संकेत दे रहा है।यद्यपि बिसाहूलाल से नाराज कांग्रेस अभी अधिक एकजुट दिख रही है लेकिन रामलाल रॊतेल का राजनीतिक इम्यून सिस्टम दूसरों की अपेक्षा अधिक मजबूत है। उनकी यह मजबूती ही कांग्रेस की चिंता की मुख्य वजह है। रामलाल को नजदीक से जानने वालों का मानना है कि शान्त, अंतर्मुखी, सहज दिखने वाला रामलाल वास्तव मे संभाग के अन्य राजनैतिक व्यक्तियों से अधिक जीवट, ज्यादा सक्रिय, कुशल रणनीतिकार है। यह इस चुनाव में भी भाजपा की विजय का मार्ग प्रशस्त करने में बडा कारक होगा।
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