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गृहस्थ संत पूज्य देव प्रभाकर शास्त्री के निधन पर दद्दा शिष्टमंडल ने जताया शोक:श्रद्धांजलि अर्पित की

            (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का गत दिनों बीमारी से 84 वर्ष की आयु में आकस्मिक निधन हो गया था। उन्हें पूर्व मंत्री संजय पाठक इलाज के लिए
दिल्ली लेकर गए थे । डॉक्टरों ने इलाज के बाद वापस उनके निवास के लिए रवाना करा दिया वह सकुशल अपने आश्रम पर पहुंच गए। एवं वहां उनका इलाज जारी रहा उनके शिष्य उनके आश्रम पर पहुंचकर उनका दर्शन लाभ ले रहे थे लेकिन एका एक रात्रि में वह ब्रह्मलीन हो गए । अपने असंख्य शिष्यों को रोते बिलखते छोड़ गए। उनके निधन की खबर मिलते ही दद्दा शिष्य मंडल में शोक की लहर दौड़ गई ।
पूरे देश के साथ ही हर क्षेत्र में कोरेना वायरस के संक्रामक के चलते झिंझरी देवप्रभाकर नगर में ही अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया। बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों ने अंतिम दर्शन लिए एवं अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट किए । पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। कलेक्टर शशि भूषण सिंह और पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार ने राज्य शासन की ओर से पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। दद्दा
धाम से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। वैदिक विधि विधान से पूज्य दद्दा जी की अंत्येष्टि उनके ज्येष्ठ सुपुत्र अनिल त्रिपाठी द्वारा की गई। दद्दा शिष्य मंडल अनूपपुर के प्रमुख संतोष अग्रवाल के निवास पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने कहा कि पूज्य गुरुदेव देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी के आकस्मिक निधन पर सभी को गहरा आघात पहुंचा है। उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए परम पिता परमेश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने एवं शोकाकुल परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है। इस अवसर पर संतोष अग्रवाल एडवोकेट, भगवती शुक्ला, रामखेलावन राठौर पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, मुलायम सिंह परिहार, अनिल सिंह, श्रीमती मीना सिंह ,पंकज अग्रवाल, राकेश गौतम , मल्लू गुप्ता गुलाब पटेल, दिनेश कुमार, रितेश दुबे, विजय अग्रवाल आदि उपस्थित थे । इस अवसर पर दद्दा शिष्य मंडल अनूपपुर के प्रमुख संतोष अग्रवाल ने बताया कि दद्दा जी ने अपने जीवन काल में सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पूरे भारत के
कई स्थानों पर कराया। 134 यज्ञ भी कराएं । टोटल 660 करोड़ शिवलिंग बनवाए । उनका उद्देश्य विश्वकल्याण था जिसके लिए वह स्वयं उपस्थित रहकर कार्य को संपादित कराते थे । उन्होंने चारों धाम की यात्रा ,नर्मदा यात्रा तो की ही है साथ ही अपने शिष्यों के साथ रामेश्वरम के लिए पूरी ट्रेन लेकर भी गए थे। उन्होंने कहा कि वे अपने शिष्यों के रग रग में समा चुके हैं वह कहीं भी रहेंगे उनका आशीर्वाद सदैव उनके सभी शिष्यों को मिलता रहेगा।

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