( मनोज द्विवेदी ,अनूपपुर)
अनूपपुर (अंचलधारा) भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ जनजातीय नेता बिसाहूलाल सिंह का यदि सांसद हिमाद्री सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल रॊतेल से समन्वय हो पाया तो शहडोल संभाग में भाजपा आगामी 15 वर्षों तक फिर अजेय होने वाली है। पार्टी के शीर्ष नेताओं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समझ समन्वय की इस बागडोर को साधे रखना बडी चुनौती होगी।
दिसम्बर , 2018 में अल्पमत की कांग्रेस ने निर्दलीय, सपा , बसपा विधायकों के समर्थन से लंगडी सरकार बना तो ली, लेकिन सरकार चलाने में मुख्यमंत्री कमलनाथ से जिस कुशलता की अपेक्षा थी , वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तथा विधायकों के लिये तो पूरी होती नहीं दिखी। शपथ ग्रहण के पहले ही बिना मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे छिंदवाड़ा के तब के पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह का दिसम्बर 2018 मे उन्होंने पहला ट्रांसफर आर्डर पी एच क्यू भोपाल के लिये किया ...जो मार्च 2020 मे आया के ट्रांसफर आर्डर के साथ बदलापुर के साथ ट्रांसफर उद्योग की सरकार के रुप में बदनाम कर गयी।
*** आम जनता की दशा भी इससे कुछ अलग नहीं थी। भले ही उसके कार्यकर्ता ऋणमाफी का प्रमाणपत्र दिखला कर ऋण माफी वचन के पूरा होने का दावा करते रहे हों,जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग थी । जब ऐसा नही हुआ तो कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बार बार अपनी शिकायत दर्ज कराने का अवसर नही मिलने लगा।
*** खैर ! शरद कोल , नारायण त्रिपाठी जैसे भाजपा विधायकों की अपरिपक्वता की वजह से भाजपा तोडने की हूल देते कमलनाथ को जमीनी हकीकत पता ना रही हो,ऐसा नहीं था । सत्ता व संगठन की एक साथ कमान हाथों में लिये कमलनाथ ना तो प्रदेश अध्यक्ष के रुप में संगठन को विस्तार दे पाए , ना ही अल्पमत / विधायकों को ही साधे रख सके। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया, बिसाहूलाल सिंह, अजय सिंह राहुल, ऐंदल सिंह कंसाना की नाराजगी बाकी की कहानी पूरी कर दी।
*** शहडोल संसदीय क्षेत्र में बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता रहे हैं। मंत्री ना बनाए जाने के बाद, जब उनके पुत्रों से भी छोटे विधायकों को मंत्री बनाया गया & उसी कद के अपेक्षाकृत नये विधायकों ने उन्हे आंखे तरेरना शुरु कर दिया तो श्री सिंह ने भी नया रास्ता पकड़ लिया। एक झटके से कांग्रेस को तिलांजलि दी तथा वो पहले कांग्रेसी विधायक थे , जिन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय जा कर शिवराज सिंह चौहान के सामने व बाद में केन्द्रीय कार्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के सामने भाजपा की सदस्यता ले ली। जाहिर है यह उनके लिये आसान निर्णय नहीं था। जनजातीय नेता के स्वाभिमान को चोट कांग्रेस को भारी पड गयी।
*** विंध्य क्षेत्र की राजनीति का यह सबसे बडा टर्निंग प्वाइंट साबित होने जा रहा है। किसी समय स्व के पी सिंह , स्व दलवीर सिंह, स्व मृगेन्द्र सिंह, गंभीर सिंह, स्व राजेश नन्दिनी सिंह , स्व रामकिशोर शुक्ला , बिसाहूलाल सिंह, कमला सिंह जैसे
क्षत्रपों से सजी कांग्रेस अब फुन्देलाल सिंह, सुनील सराफ जैसे विधायकों के कंधो पर जा टिकी है। ये स्वयं कितना टिकेगें...यह उनके जग जाहिर कार्य व्यवहार तथा जनता के फैसलों पर निर्भर करेगा। अनूपपुर, शहडोल, उमरिया जिला कांग्रेस में पहली, दूसरी ,तीसरी पीढी का ना तो कोई नेता बचा है, ना ही जमीनी कार्यकर्ता । वहीं भाजपा की सरकार अब केन्द्र तथा राज्य में है, तो दूसरी ओर संगठनात्मक रुप से भाजपा अधिक मजबूत है।
**** बिसाहूलाल सिंह जनजातीय समाज के वरिष्ठ कद्दावर नेता हैं । उनके भाजपा प्रवेश का संभाग के सभी वरिष्ठ नेताओं ने स्वागत् किया है। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं अनूपपुर के पूर्व विधायक रामलाल रॊतेल के लिये बिसाहूलाल को बडी चुनौती माना जाता रहा है। लेकिन उन्होंने भी संगठन के निर्णय को स्वीकार कर उसका स्वागत् किया है। अनूपपुर की राजनीति से वाकिफ लोग जानते हैं कि दोनों प्रमुख दलों मे गुटबाजी होने के बावजूद समीकरण मे भी परिवर्तन होगा। अनूपपुर कांग्रेस में जिला स्तर पर गुटबाजी के कद का कोई नेता बचा नहीं है। फुन्देलाल सिंह पुष्पराजगढ तथा सुनील सराफ कोतमा के नेता है । दोनो में ना कोई आत्मघाती होड है , ना ही हाल फिलहाल सरकार बनने जैसी स्थिति ही है कि मंत्री बनने के लिये एक दूसरे पर पिल पडें।
*** वहीं भाजपा उस बडे खानदान जैसा हो गया है, जिसमें विधानसभा स्तर पर जितने चेहरे , उतनी महत्वाकांक्षा। अनूपपुर नगरपालिका चुनाव होना है । इसके साथ संगठनात्मक विस्तार भी। शहडोल संभाग के नये संगठन मंत्री श्याम महाजन के सामने संगठन को साधे रखने का पुराना हुनर है ,जो उन्हे दूसरों से अलग दिखलाता है। संभाग की पूरी कमान उनके हाथों में रहने वाली है।
अनूपपुर में यदि वे 1+ +1 = 11 के फार्मूले पर कार्य कर पाए तो आने वाले 20 वर्ष तक इस विधानसभा में भाजपा को कहीं कोई चुनौती नहीं है। बिसाहूलाल तथा रामलाल की जोड़ी को सुपरहिट करने के लिये यदि बिसाहूलाल को मंत्री बनाए जाने पर प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल रॊतेल को प्रदेश या केन्द्र में किसी महत्वपूर्ण पद पर स्थापित करना पार्टी की आवश्यकता होगी। हिमाद्री, जय सिंह मरावी, बिसाहूलाल तथा रामलाल के बीच का तालमेलजनजातीय समाज को नई चेतना देगा। बिसाहूलाल सिंह का सांसद हिमाद्री सिंह से समन्वय यदि हो पाया तो पुष्पराजगढ में फुन्देलाल सिंह का रास्ता कठिन होगा। उन्हे यहाँ चुनौती देने के लिये तीन स्थापित बडे चेहरे हैं। जबकि एक मात्र सामान्य सीट कोतमा में सोच विचार कर पिछले अनुभवों के सबक से काम करना होगा। अनूपपुर जिलाध्यक्ष बृजेश गौतम की संगठनात्मक क्षमता जानी पहचानी है। उनकी कार्यकारिणी का विस्तार उनकी कुशलता का परिचायक होगा। देखना यह होगा कि कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ शिव सिंह जो बिसाहूलाल सिंह के साथ पार्टी छोड चुके हैं ,उन्हे भाजपा कैसे समाहित करती है।
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