(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) आज अनूपपुर की एक घटना ने सभी अनूपपुर वासियों को झकझोर कर रख दिया । अनूपपुर मे बिधाता आचार्य जी के नाम से विख्यात शिक्षक हमारे बीच नहीं रहे । वह घटना नहीं बहुत बडी दृर्घटना थी जिसमें अनूपपुर ने शिक्षा जगत से जुड़ी एक महान विभूति को खो दिया । सूचना असहनीय थी फिर भी समय का चक्र नहीं रुका । शिक्षक समाज की रीढ़ होता है वह एक ऐसा रास्ता है जो अनेकों राहगीरों को मंजिल तक पहुचाता है पर स्वयं मंजिल से अछूता रहता है या फिर शायद यही उसकी मंजिल होती है । आज वह रास्ता जिसने अनेकों राहगीरों को उनके गंतव्य तक पहुचाया, सदा सदा के लिए बंद हो गया ।एक शिक्षक जो अपनी शर्तों पर जीता था ,उसने अपनी अलग पहचान बनायी, अपना एक अलग रास्ता बनाया, अपनी एक अलग शैली के साथ जिया अनूपपुर के लिए वास्तव में बिधाता ही तो थे किन्तु बिधाता को उनका आगे का सफर मंजूर नहीं था ,और आज वो सदा सदा के लिए काल के गाल मे समा गए । कोई कुछ नहीं कर पाया सब देखते रह गए ।वो सबको रोता बिलखता छोड़कर चले गए । अभी कल की ही तो बात थी स्व. श्री विधाता प्रसाद दुबे जी , जो पूरे अनूपपुर शहर मे बिधाता आचार्य जी के नाम से मसहूर थे हनुमान चौक पर हनुमान मंदिर के सामने अपने बादको के साथ पूरी रात हारमोनियम बजाते हुए अकेले दम पर पूरा राम चरित मानस का संगीत मय पाठ पूरा किये, हनुमान जयंती के उपलक्ष्य पर ।यह भी उनकी एक विलक्षण प्रतिभा थी । वे राम चरित मानस के अभूतपूर्व प्रेमी थे संगीत व गायन के लिए संपूर्ण रात जागरण उनके लिए आम बात रही ।किन्तु हनुमानजी भी उन्हें काल के गाल मे जाने से नहीं बचा सके विश्वास होने लगता है कि सचमुच विधि के विधान को नहीं बदला जा सकता
प्रदीप जी का वो गीत आद आने लगता है कि
कोई लाख करे चतुराई करम का लेख मिटे न रे भाई .
स्थिर पानी में जब कोई पत्थर के गिरता है तो हलचल होता ही है जब छोटा पत्थर गिरता है तो कम हलचल होती है और जब बड़ा पत्थर गिरता है तो बडी हलचल होती है ।अनूपपुर के लिए आज नीरव जल में एक बड़ा पत्थर गिरा है हलचल भी बडी हुई है ।अनूपपुर के लिए यह गंभीर व अपूरणीय क्षति है , क्योंकि वे अनूपपुर के विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा रास्ता थे जिसमे चलकर मंजिल तक पहुंचना अवश्यंभावी था। और वह पथ आज शून्य में समा गया अनूपपुर का एक देदीप्यमान नक्षत्र अंतरिक्ष में विलीन हो गया उस परम आत्मा को समस्त शिक्षक समुदाय की ओर से एवं उस पथ से गुजरे हुए समस्त प्रथिकों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अनूपपुर के आचार्य जी के नाम से विख्यात विधाता प्रसाद दुबे हमारे बीच रविवार की रात नही रहे । शहडोल - बुढार के बीच लालपुर मे रविवार की देर रात्रि सडक दुर्घटना मे अनूपपुर के लोकप्रिय शिक्षक , रामायणी विधाता प्रसाद द्विवेदी का दुखद निधन हो गया। उनके साथ २० वर्षीय युवक चेतन राजपूत ने भी इलाज के दौरान दम तोड दिया। अनूपपुर की कई पीढ़ियों के निर्माण मे विधाता जी का योगदान रहा है। सरस्वती शिशु मन्दिर, आदर्श विद्यालय मे अध्यापन करते हुए एवं बाद मे विधाता जी का कोचिंग सेंटर सैकडों अभिभावकों के विश्वास का बडा आधार रहा है। सस्वर रामायण गायन करते उन्हे सबने हजारों अवसरों पर देखा है। अत्यंत मिलनसार , विनम्र,अनुशासित समाजसेवी श्री दुबे के निधन की खबर से समूचा नगर स्तब्ध है। उनका अचानक ऐसे चले जाना अत्यंत दुखद है। बतलाया गया है कि रविवार को वे लगभग रात्रि दस बजे शहडोल से अनूपपुर अपनी मोटरसाइकिल से चेतन राजपूत के साथ आ रहे थे। लालपुर के पास सडक की पटरी दबा कर खडे डंपर से वे टकरा गये। माना जा रहा है कि सामने किसी वाहन के हाई बीम लाईट से ब्लाईंड एंगल बनने तथा सडक पर खडे डंपर मे रिफ्लेक्टर ,इंडिकेटर ना होने से वे सीधे इससे जा टकराए। शहडोल - कोतमा हाईवे तथा शहडोल - अमरकंटक मार्ग पर ऐसे बेतरतीब खडे वाहनों को कभी भी देखा जा सकता है। सैकडों लोग इनसे टकराकर मर गये, लेकिन प्रशासन नहीं चेता। आरटीओ, यातायात पुलिस यदि इनके विरुद्ध समयबद्ध कडी कार्यवाही करती तो ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता था। विधाता जी तथा चेतन का अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर सोन नदी के तट पर किया गया। सैकडों लोग इस अवसर पर श्रद्धांजलि देने के लिये उपस्थित थे। श्री विधाता दुबे एवं चेतन राजपूत के दुखद निधन पर विधायक बिसाहूलाल सिंह, पूर्व विधायक रामलाल रौतेल , प्रेमकुमार त्रिपाठी , शंकर प्रसाद शर्मा, ओमप्रकाश द्विवेदी, डा एस आर पी द्विवेदी, पत्रकार राजेश शिवहरे, मनोज द्विवेदी, अरविन्द बियाणी, राजेश शुक्ला, अजीत मिश्रा, मनोज शुक्ला, मुकेश मिश्रा ,अजय मिश्रा, राजेश पयासी, राजनारायण द्विवेदी,चैतन्य मिश्रा, सुधाकर मिश्रा, विजय उर्मलिया, अमित शुक्ला, हिमांशु बियानी ,मनीष त्रिपाठी, धर्मेन्द्र चौबे, जीवेन्द्र सिंह, निरंजन यादव, अखिलेश सिंह ,मनमोहन तिवारी, राजेश द्विवेदी, अरुण सिंह, गजेन्द्र सिंह, जितेन्द्र शुक्ला,सुभाष मिश्रा, राजेन्द्र तिवारी ,हरिशंकर वर्मा, दीपक शुक्ला, मधुकर चतुर्वेदी, अजय पाण्डेय, अजय धुप्पड, महेन्द्र केशरवानी,दुर्गेन्द्र भदौरिया, अजय मिश्रा, पप्पू अग्रवाल के साथ अन्य लोगों ने दुख प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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