Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

मेरी पत्रकारिता के जनक थे बाबूजी कैलाश चंद्र अग्रवाल - अरविंद बियानी

 अनूपपुर /बचपन से ही मुझे समाचार पत्रों को देखने समाचार पढ़ने और यह अभिलाषा होती थी की मेरे समाचार भी समाचार पत्रों में प्रकाशित हो मेरी निगाह में दैनिक भारती समाचार पत्र आया मैंने शौक शौक में समाचार लिखें दैनिक भारती प्रेस भेजें उसका प्रकाशन हुआ मुझे कितनी खुशी हुई मेरा नाम अरविंद बियानी देखकर बाबूजी ने मुझे बुलाया और बड़े भैया अरुण भैया जिनके साथी मेरे बड़े भैया अरुण भैया थे ने मुझ से बातचीत की और समाचार भेजते रहने का आशीर्वाद दिया निरंतर मेरे समाचार जाते रहे और प्रकाशित होते रहे समाचार पत्र की एजेंसी किसी के पास थी लेकिन विशेष संवाददाता के रूप मैं मैं कार्य करता रहा समाचार मेरे लगने लगे और डांटे मुझे बहुत पड़ने लगी घर में पिताजी ताऊ जी चाचा जी सभी जगह शिकायतें पहुंचती थी और सभी मुझे इस लाइन से किनारे होने को कहते थे क्योंकि उस समय खबरें छपती थी तो उसका असर होता था एक बार मैंने कोयला चोरी का समाचार लगाया उस पर सीबीआई की टीम कोलकाता से जांच में आई और कार्यवाही की आज मेरे जीवन में बाबूजी कैलाशचंद्र जाने से बहुत बड़ी क्षति हुई है यह व्यक्त मैं नहीं कर सकता लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि पत्रकारिता की एबीसीडी उन्होंने मुझे बहुत अच्छी तरह सिखाई उसके बाद छोटे भैया चंद्रशेखर अग्रवाल ने मुझे आगे बढ़ाया बहुत साथ दिया लगभग 15 वर्ष मैंने दैनिक भारती की पत्रकारिता की कुछ मतभेद हो गए तो कटनी दैनिक भारती देखा फिर राह मेरी बदल गई और दैनिक समय में पत्रकारिता का सफर प्रारंभ किया समाचार पत्र की एजेंसी मेरे पास नहीं थी लेकिन संपादक जी संस्थापक जी का आशीर्वाद मेरे साथ था वह आज तक बना हुआ है एजेंसी चलाने वालों ने काफी शिकवा शिकायतें की लेकिन कभी भी मुझे पत्रकारिता से किनारे नहीं किया गया दैनिक भारती में विशेष संवाददाता फिर समय में विशेष संवाददाता अब ब्यूरो चीफ के रूप में आज भी कार्यरत हूं आज मैं स्वयं बीमार हूं लेकिन बाबू जी के निधन की जानकारी से बहुत ज्यादा विचलित हूं मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं सच्चे मन से दिल से तन से/ मेरे बचपन की जिद थी समाचार लिखना आज वह मुझे इस मुकाम पर ले आई लाख कोशिशें हुई मुझे इस लाइन से हटाने की लेकिन वरिष्ठ पत्रकारों का आशीर्वाद मुझे मेरे मिशन पर मुझे कायम रखा।

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