(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) यह बात सच है कि इंसान,इंसान के ही काम आता है लेकिन आपा-धापी भरे जीवन में व्यक्ति अपने कामों को छोड़कर दूसरी ओर देख भी नहीं पता और इसी का परिणाम है कि लोग कहते हैं कि इंसानियत मर गई है।
लेकिन जब कभी कुछ एक व्यक्ति अपने जीवन में ऐसे काम कर जाते हैं जिसे देखकर वास्तव में लगता है कि इंसानियत जिंदा है।उनमें से एक है जिला मुख्यालय अनूपपुर के पत्रकार अनीश तिगाला जो सोमवार की शाम अनूपपुर रेलवे फाटक के समीप से गुजर रहे थे तभी उनकी नजर सड़क पर पड़े एक काले रंग के पर्स पर पड़ी पहले उन्होंने सोचा कि इसे उठाऊं की न उठाऊं इतने में उनके मन में ख्याल आया कि शायद किसी व्यक्ति कि जेब से यह गिर गया है और इसमें अहम चीज होगी जिसकी वजह से वह इधर-उधर भटक रहा होगा ऐसे में उन्होंने पर्स को उठाया और जब उसे खोल कर देखा तो उसमें 8 हजार पांच सौ रुपयों सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज थे।पर्स में रखे दस्तावेज से पर्स किसका है यह तो मालूम चल गया।लेकिन वह कहां पदस्थ है यह ज्ञात नहीं हुआ।
वह पर्स पुलिस विभाग में पदस्थ आरक्षक कृष्ण कुमार मेश्राम का था।पत्रकार अनीश तिगला ने अपने वरिष्ठ मार्गदर्शक पत्रकार अजीत मिश्रा एवं चैतन्य मिश्रा को इस संबंध में जानकारी दी फिर तीनो पत्रकार साथी पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवार के पास पहुंचे।जहां उन्होंने पूरा वाक्या उन्हें बताया और पर्स देते हुए उक्त आरक्षक की पता साजी कर उसे सौंपने के लिए कहा।
पुलिस अधीक्षक ने पत्रकार की इस इंसानियत पर उसे साधुवाद देते हुए साथी पत्रकारों को भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें बताया कि आरक्षक कृष्ण कुमार मेश्राम अनूपपुर पुलिस लाइन में पदस्थ है और उन्होंने इस बात की जानकारी आरक्षक को दी की तुम्हारा खोया हुआ पर्स पत्रकार अनीश तिगाला को मिला था जिन्होंने इंसानियत का परिचय देते हुए वह पर्स मुझे सौपा है।जिसमें तुम्हारा रखे हुए पैसे व दस्तावेज यथावत हैं।पत्रकार अनीश तिगाला ने इंसानियत जिंदा है की मिसाल पेश करते हुए जिले में पत्रकारों का सम्मान बढ़ाया है।
लेकिन जब कभी कुछ एक व्यक्ति अपने जीवन में ऐसे काम कर जाते हैं जिसे देखकर वास्तव में लगता है कि इंसानियत जिंदा है।उनमें से एक है जिला मुख्यालय अनूपपुर के पत्रकार अनीश तिगाला जो सोमवार की शाम अनूपपुर रेलवे फाटक के समीप से गुजर रहे थे तभी उनकी नजर सड़क पर पड़े एक काले रंग के पर्स पर पड़ी पहले उन्होंने सोचा कि इसे उठाऊं की न उठाऊं इतने में उनके मन में ख्याल आया कि शायद किसी व्यक्ति कि जेब से यह गिर गया है और इसमें अहम चीज होगी जिसकी वजह से वह इधर-उधर भटक रहा होगा ऐसे में उन्होंने पर्स को उठाया और जब उसे खोल कर देखा तो उसमें 8 हजार पांच सौ रुपयों सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज थे।पर्स में रखे दस्तावेज से पर्स किसका है यह तो मालूम चल गया।लेकिन वह कहां पदस्थ है यह ज्ञात नहीं हुआ।
वह पर्स पुलिस विभाग में पदस्थ आरक्षक कृष्ण कुमार मेश्राम का था।पत्रकार अनीश तिगला ने अपने वरिष्ठ मार्गदर्शक पत्रकार अजीत मिश्रा एवं चैतन्य मिश्रा को इस संबंध में जानकारी दी फिर तीनो पत्रकार साथी पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवार के पास पहुंचे।जहां उन्होंने पूरा वाक्या उन्हें बताया और पर्स देते हुए उक्त आरक्षक की पता साजी कर उसे सौंपने के लिए कहा।
पुलिस अधीक्षक ने पत्रकार की इस इंसानियत पर उसे साधुवाद देते हुए साथी पत्रकारों को भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें बताया कि आरक्षक कृष्ण कुमार मेश्राम अनूपपुर पुलिस लाइन में पदस्थ है और उन्होंने इस बात की जानकारी आरक्षक को दी की तुम्हारा खोया हुआ पर्स पत्रकार अनीश तिगाला को मिला था जिन्होंने इंसानियत का परिचय देते हुए वह पर्स मुझे सौपा है।जिसमें तुम्हारा रखे हुए पैसे व दस्तावेज यथावत हैं।पत्रकार अनीश तिगाला ने इंसानियत जिंदा है की मिसाल पेश करते हुए जिले में पत्रकारों का सम्मान बढ़ाया है।
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