Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस एवं प्रशासन में तकरार पुरानी परंपराओं को तोड़ने का पत्रकारों ने किया विरोध

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंचलधारा) भारत में लोकतंत्र को बनाये रखने के लिए चार मजबूत स्तम्भ निर्मित किए गए हैं।जिसमें न्यायपालिका,कार्यपालिका,विधायिका एवं प्रेस शामिल है।    
    लेकिन विधानसभा निर्वाचन 2023 में जिला प्रशासन या कहां जाए जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्देशों के अनुरूप पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए नाम निर्देशन पत्र जमा करते समय पत्रकारों को पूरी तरह से नो एंट्री करने को लेकर प्रशासन एवं प्रेस के बीच तकरार हो गई।विधानसभा निर्वाचन 2023 में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश सिंह द्वारा नाम निर्देशन पत्र जमा करते समय पत्रकारों ने जाने की इच्छा जाहिर की एवं पूर्व की परंपराओं का हवाला दिया।लेकिन सहायक निर्वाचन अधिकारी तहसीलदार गौरी शंकर शर्मा द्वारा पत्रकारों को पूरी तरह से नो एंट्री कर दिया गया और साफ शब्दों में कह दिया गया कि प्रशासन को पत्रकारों की कोई आवश्यकता नहीं है।तहसीलदार ने कहा कि जिला प्रशासन को पत्रकारों की कोई जरूरत नहीं है।खबरों का प्रकाशन करें या ना करें हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।जिस पर उपस्थित पत्रकारों ने नाराजगी जाहिर की एवं इस बात की शिकायत समाचारों के माध्यम से एवं निर्वाचन आयोग तक की है।
         सहायक रिटर्निग ऑफिसर द्वारा यह कहा जाना की सिर्फ जनसंपर्क ही आपको जो सामग्री उपलब्ध कराएगा वही आप छाप सकते हैं और उसे छापना हो तो छापिये ना छापना हो तो ना छापिये।ऐसे में वहां पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार अरविंद बियानी, राजेश शिवहरे, राजेश शुक्ला, 
अजीत मिश्रा, मनोज शुक्ला,  निजामु, गिरीश राठौर, आनंद पांडे, हिमांशु बियानी, पुष्पेंद्र त्रिपाठी, विजय तिवारी, अविरल गौतम, जीवन यादव, शिवम साहू सभी ने यह कहा अगर प्रशासन को मीडिया की जरूरत नहीं तो मीडिया आज से सरकारी चुनावी कवरेज को बंद करती है।इस पर सहायक निर्वाचन अधिकारी और तहसीलदार अनूपपुर गौरी शंकर शर्मा ने कहा कि मीडिया स्वतंत्र है कवरेज करें चाहे ना करें हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।
       देखना यही है कि क्या जिला प्रशासन बिना मीडिया के सहयोग के यह चुनाव करने पर आमादा है।जबकि निर्वाचन आयोग का स्पष्ट कहना है कि हर सूचनाओं मीडिया तक पहुंचाई जाए।मीडिया को स्वतंत्र रखा जाए।लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की अपनी एक अहमियत होती है और अगर जिला निर्वाचन अधिकारी सहायक,निर्वाचन अधिकारी और अनूपपुर विधानसभा के निर्वाचन अधिकारी की मीडिया के बारे में यह सोच है तो वह पूरी तरह गलत है।
            जबकि हर चुनाव में मुख्यमंत्री तक ने आकर फॉर्म भराया और अनूपपुर जिले की मीडिया आर ओ ऑफिस में उपस्थित होकर के फोटो खींचती रही वीडियो बनाती रही कभी निर्वाचन कार्य में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हुई।आज मीडिया के साथ कुछ इस तरह का व्यवहार किया गया है जैसे अनूपपुर के पत्रकार आतंकवादी हो और वहां पर कोई अपराधिक घटना कर सकते हो।जबकि प्रथम प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने यह बात हुई थी कि दो-दो लोगों को करके यह फोटो और वीडियो ग्राफी कराई जा सकती है।
👉इनका कहना है-
अनूपपुर के इतिहास में आज तक पत्रकारों को नाम निर्देशन पत्र भरते समय नहीं रोका गया।हमेशा 5-5 पत्रकारों को एंट्री दी जाती थी।जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्देश के कारण पत्रकारों को अंदर जाने से उनके सहायक निर्वाचन अधिकारियों ने रोक दिया।पत्रकार ऐसे रवैया की निंदा करते हैं।तहसीलदार द्वारा यह कहा जाना की मीडिया की जरूरत नहीं है इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।अन्यथा पत्रकार जनसंपर्क के खबरों का बहिष्कार करेंगे।
अरविंद बियानी  वरिष्ठ पत्रकार
कलेक्टर तत्काल संज्ञान ले,अन्यथा आने वाले दिनों में पत्रकार एक जुटता की परिचय देते हुए शासकीय खबरों का बहिष्कार करेंगे।
राजेश शिवहरे जिलाध्यक्ष पत्रकार संघ, अनूपपुर
प्रशासन के ऐसे निर्णय का निंदा करते हैं।
राजेश पयासी ब्यूरो कीर्ति क्रांति
स्वतंत्र पत्रकारिता पत्रकारों को कवरेज से रोकना व खबरों के प्रकाशन के लिए सहायक रिटर्निंग अधिकारी का बयान सही नही है।जिला निर्वाचन अधिकारी इस मामले में संज्ञान ले।
आनंद पाण्डेय  सम्भागीय महासचिव 
एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट

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