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आकाशीय बिजली गिरने के खतरे से बचने सावधानी जरूरी जिला प्रशासन ने जारी की एडवायजरी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) मानसून ने दस्तक दे दी है। बारिश के मौसम में अकसर आकाशीय बिजली (वज्रपात) गिरने का खतरा रहता है। जिसके प्रभाव से आकस्मिक रूप से लोगों/मवेशी की मौत हो जाती है। इस संबंध में लगातार समाचारों के माध्यम से घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।लेकिन थोड़ी सी सावधानी से आकाशीय बिजली के गिरने के खतरे से बचा जा सकता है।  
        आकाशीय बिजली, जिसे तड़ित भी कहते हैं,हर साल ग्रामीण इलाकों में हजारों लोगों की जान लेती है।लेकिन अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए,तो इससे जान बचाई जा सकती है।आकाशीय बिजली ज्यादातर बरसात के दिनों में गिरती है।इसकी चपेट में वो लोग आते हैं,जो खुले आसमान के नीचे,हरे पेड़ के नीचे होते हैं, पानी के करीब होते हैं या फिर बिजली और मोबाइल के टॉवर के नजदीक होते हैं।अगर आसमान में बिजली कड़क रही है और आप घर के बाहर हैं तो सबसे पहले सुरक्षित (मजबूत छत) वाली जगह तक पहुंचने का प्रयास करें। 
           अगर ऐसे संभव नहीं है तो तुरंत पानी, बिजली के तारों, खंभों, हरे पेड़ों और मोबाइल टॉवर आदि से दूर हट जाएं। आसमान के नीचे हैं तो अपने हाथों को कानों पर रख लें, ताकि बिजली की तेज आवाज़ से कान के पर्दे न फट जाएं।अपनी दोनों एड़ियों को जोड़कर जमीन पर पर उकड़ू बैठ जाएं।अगर इस दौरान आप एक से ज्यादा लोग हैं तो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बिल्कुल न रहें, बल्कि एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें। छतरी या सरिया जैसी कोई चीज हैं तो अपने से दूर रखें, ऐसी चीजों पर बिजली गिरने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। पुआल आदि के ढेर से दूर रहें, उसमें आग लग सकती है आकाशीय बिजली की प्रक्रिया कुछ सेंकेड के लिए होती है, लेकिन इसमें इतने ज्यादा बोल्ट का करंट होता है कि आदमी की जान लेने के लिए काफी होता है। क्योंकि इसमें बिजली वाले गुण होते हैं तो ये वहां ज्यादा असर करती है, जहां करेंट का प्रवाह होना संभव होता है। आकाश से गिरी बिजली किसी न किसी माध्यम से जमीन में जाती है, और उस माध्यम में जो जीवित चीजें आती हैं, उनको नुकसान पहुंचता है।  

क्या होती है 
आकाशीय बिजली


गर्मी में पानी भाप बनकर ऊपर उड़ जाता है। जब पानी भाप बनकर ऊपर उठता है तो प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर जाने पर तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की कमी आती है। जैसे-जैसे पानी ऊपर उठता है वह जमने लगता है। जब बर्फ के टुकड़े आपस में टकराने लगते हैं तो इनमें घर्षण उत्पन्न हो जाता है। इस घर्षण के कारण स्ट्रेटिक करंट उत्पन्न हो जाता है। करेंट का पॉजिटिव चार्ज ऊपर चला जाता है और निगेटिव चार्ज नीचे आ जाता है। अब ये निगेटिव चार्ज पॉजिटिव को ढूंढने लगता है और जैसे ही इसे जमीन पर जहां कहीं भी पॉजिटिव चार्ज नजर आता है यह वहीं गिर जाता है। इसी को आकाशीय बिजली या वज्रपात बोलते हैं। इस बिजली का वोल्टेज 10 करोड़ वोल्ट होता है। यही वजह है कि इस बिजली से आदमी की मौत हो जाती है।
  
आकाशीय बिजली 
से कैसे बचें


जिला प्रशासन ने आकाशीय बिजली से बचने के लिए एडवायजरी जारी करते हुए लोगों से अपील की है कि वज्रपात के समय पक्की छत के नीचे चले जाएं। खिड़की के कांच, टिन की छत, गीले सामान और लोहे के हैंडलों से दूर रहें। वज्रपात के समय यदि पानी में हैं तो तुरंत बाहर आ जाएं। सफर के दौरान अपने वाहनों में शीशे चढ़ा कर रखें। मजबूत छत वाले वाहन में रहें, खुली छत वाले वाहन में सवारी न करें।  
क्या न करें

वज्रपात के समय पेड़ के नीचे न खड़े हों। बिजली के उपकरणों जैसे टेलीफोन/मोबाइल आदि का प्रयोग न करें। दीवार के सहारे टेक लगाके न खड़े हों। किसी बिजली के खंभे के पास न खड़े हों। नहाना तुरंत बंद कर दें।

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