Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

पहाड़ों से घिरे ग्राम खुरसा में निरोग नारी केंद्र का शुभारंभ महामारी स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) महावारी एक ऐसा विषय है जिस पर कोई भी खुलकर बात नहीं करना चाहता जबकि यह एक सामान्य तथा आवश्यक विषय है जिस पर ना केवल खुलकर बात करने की आवश्यकता है वरन इस पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है। 
                  माहवारी से संबंधित भ्रांतियां तथा अंधविश्वास समाज में इस कदर व्याप्त हैं कि पुरातन की शिक्षा वर्तमान की कुप्रथा बन चुकी है। बड़े बुजुर्ग महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें बहुत से कार्य न करने की आजादी दिए थे जो अब एक अभिशाप बनकर रह गई है। रूढ़िवादी मान्यताओं को तोड़ने हेतु प्रणाम नर्मदा युवा संघ संस्था विगत कई वर्षों से जिले में माहवारी स्वच्छता जागरूकता के लिए कार्य कर रही है। संस्था द्वारा ग्रामीण तथा जनजातिय समुदाय में महावरी की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि,माहवारी स्वच्छता,भ्रांति तथा अंधविश्वास आदि विषयों पर ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं, साथ ही सुदूर अंचल के गांव में जन सहयोग से निरोग नारी केंद्र की स्थापना भी की जा रही है।
       पहाड़ों से घिरे ग्राम खुरसा (भेलमा) में निरोग नारी केंद्र का शुभारंभ संस्था द्वारा किया गया, ग्रामीण तथा जनजाति माताओं बहनों को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस केंद्र का स्थापना किया गया है जहां ग्रामीण महिलाओं को आसानी से सेनेटरी पैड उपलब्ध हो सकेगा,विदित हो कि संस्था द्वारा पूर्व में भी इस गांव में महावारी स्वच्छता का कार्यक्रम किया जा चुका है,जिससे ग्रामीण जन काफी प्रभावित हुए थे तथा निरोग नारी केंद्र खोलने का प्रस्ताव रखा था जिस पर संस्था ने कदम बढ़ाते हुए निरोग नारी केंद्र की स्थापना किया। 

गाँव के लिए वरदान 
है निरोग नारी केंद्र


केंद्र के उद्घाटन सत्र में परिचर्चा से प्रभावित होकर गांव के बुजुर्ग माताओं ने एक स्वर में इसे गांव के लिए वरदान माना है, इनका कहना है कि अब हमारे बच्चों को आसानी से पैड उपलब्ध हो सकेगा तथा इस तरह की जानकारी मिलने से उन्हें भविष्य में होने वाले रोगों से मुक्ति मिल सकेगी जो किसी वरदान से कम नहीं है।

सभी जीवो में 
मां दुर्गा का वास है


संस्था के अध्यक्ष विकास चंदेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि कुछ दिन पहले ही मां आदिशक्ति की उपासना हेतु नव दिवसीय नवरात्र मनाया गया जिसमें प्रत्येक पूजा में उच्चारित होने वाला मंत्र 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता' अर्थात मां आदिशक्ति का हर जीवो में वास है और हम हमारी मां की सेवा कर रहे हैं, हर नारी निरोग रहे, इसी उद्देश्य के साथ निरोग नारी केंद्र का शुभारंभ किया जा रहा है। 

अमावस्या को खेत में हल 
ना चलाना धरती मां के 
माहवारी का प्रतीक


कार्यक्रम में उपस्थित ग्राम के उपसरपंच बिहारी सिंह राठौर ने बताया कि अमावस्या को किसानों द्वारा खेत में हल नहीं चलाया जाता जिसके पीछे का कारण यह है कि ऐसा माना जाता है की इस दिन धरती मां का मासिक धर्म चल रहा है जिसे रजसोला भी कहा जाता है।हमारे बुजुर्गों द्वारा बड़ी वैज्ञानिक ढंग से चीजों को प्रथा के रूप में चलाया गया था किंतु वर्तमान में सच्चाई मालूम ना होने के कारण यह कुप्रथा में परिवर्तित होने लगे हैं। 

मिथक और 
सत्य में अंतर समझें


संस्था के सचिव हरीश कुमार धुर्वे ने अपने उद्बोधन में बताया की माहवारी के दौरान माताओं को मंदिर में पूजा करना, पानी लाना, गोबर उठाना, भोजन बनाना आदि वर्जित होता है, इसके पीछे क्या कारण मालूम ज्ञात ना होने के कारण अब यह कुप्रथा तथा छुआछूत में परिवर्तित हो गया है, यदि माहवारी का सुरक्षित प्रबंधन किया जाए तब किसी भी चीज के लिए प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता नहीं है वरन पूर्वजों द्वारा भी माताओं को उस दौरान आराम करने हेतु इस तरह के कार्यो से आजादी दी गई थी जिसे अब छुआछूत और अशुद्ध होने की दृष्टिकोण से देखा जाता है। 
        कार्यक्रम में संस्था के निरोग नारी इकाई से शकुन बाई गोंड, माखन सिंह धुर्वे, अवधेश प्रताप तथा ग्राम खुरसा की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनुसुइया राठौर सहित ग्रामीण माताएं तथा किशोरी बालिका के उपस्थित रहे।

Post a Comment

0 Comments