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फाइलों में दफन हो गई शहडोल से जयसिंहनगर होते हुए रीवा तक नई रेल लाइन,मुख्यमंत्री से उम्मीद भरी निगाहें

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) भारतीय रेलवे रेल परियोजनाओं को अछूते स्थानों पर भी पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है।लेकिन केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अगर ढीले पड़ जाए तो परियोजनाएं ठंडे बस्ते में दफन हो जाती हैं।मध्यप्रदेश के  शहडोल जिला एवं संभाग मुख्यालय शहडोल से जयसिंहनगर,ब्यौहारी,बाणसागर होते हुए रीवा तक नई रेलवे लाईन का कार्य प्रारंभ कराया जाना जनमानस के लिए आवश्यक है।मध्यप्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य अति गरीब क्षेत्र है।गरीबी के चलते यहां के लोग आवागमन की सुविधा से वंचित रहते है।उत्तरप्रदेश का प्रयागराज यहां के लोंगो का आस्था का केन्द्र है।किन्तु सडक मार्ग का किराया अत्यधिक होने से नहीं पहुंच पाते है।इसलिए शहडोल से प्रयागराज (इलाहाबाद) तक रेलवे की सुविधा विस्तार करने हेतु पूर्व में जनमानस द्वारा माँग की गई थी।जिस आधार पर पहले शहडोल से जयसिंहनगर तथा बाद में जयसिंहनगर से रीवा तक रेलवे लाईन की सुविधा के तहत सर्वे हेतु बजट स्वीकृत किया गया।किन्तु आज दिनांक तक जनमानस की जानकारी में रेलवे लाईन का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।जिस कारण इस क्षेत्र के लोगों को रेलवे की सुविधा प्राप्त करने में देरी हो रही है।जिससे 21वी सदी में भी हमारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र रेलवे की सुविधा से वंचित है।इस संसदीय क्षेत्र के लोगों की इच्छा है कि इस कार्य को अमलीजामा पहनाया जाए।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान से अपेक्षा है कि प्रदेश के आदिवासी जिला शहडोल अंतर्गत जयसिंहनगर,ब्यौहारी, बाणसागर होते हुए रीवा तक नई रेल लाइन के कार्य का शीघ्र श्री गणेश कराएं।जिससे रेल परियोजना से वंचित क्षेत्र को रेल सुविधाएं मिल सके।
                 केंद्र सरकार में पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा रीवा-जयसिंहनगर रेलवे लाइन के सर्वे हेतु 7 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि 2017 के रेल बजट में स्वीकृत की गई थी।पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह द्वारा राज्यसभा में मुद्दा भी उठाया गया था। रेल मंत्री का ध्यान आकर्षित किया गया था।सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने मध्यप्रदेश विधानसभा में संकल्प पारित कराया था। जिसके बाद भी रेल मंत्री की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।शहडोल जयसिंहनगर का पूर्व में सर्वे भी हो चुका है।लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित संकल्प का संज्ञान भी नहीं लिया गया।जिसका सर्वे कराया जाना चाहिए वनवासी, आदिवासी,गरीब,मजदूर की आकांक्षाओं को बल देते हुए उनके सपने को साकार करना चाहिए।
                     नई रेल लाइन की योजना फाइलों में दफन होकर रह गई है। विगत पांच वर्षों से लोग केंद्र सरकार की ओर आशा भरी निगाह लगाए हुए हैं।लेकिन कार्य शुरु नहीं हुआ। नई रेल लाइन में रीवा से गोविन्दगढ़-ब्यौहारी होते हुए जयसिंहनगर एवं शहडोल तक प्रस्तावित किया गया था।परंतु कई वर्ष व्यतीत हो जाने के बावजूद रेल लाइन का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया।
            केंद्र सरकार में पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा रीवा- जयसिंहनगर रेलवे लाइन के सर्वे हेतु 7 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि 2017 के रेल बजट में स्वीकृत किया गया था।उक्त राशि इंजीनियरिंग यातायात सर्वेक्षण के तहत रेल लाइन के सर्वे कार्य के लिए स्वीकृत किया गया था।रेल मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के रेल बजट में रीवा से जयसिंहनगर नई रेल लाइन प्रस्ताव के सर्वेक्षण के लिए उक्त राशि आवंटित की गई एवं मंत्रालय द्वारा यातायात एवं इंजीनियरिंग सर्वे के लिए विधिवत रूप से बजट आवंटित कर दिया गया। उक्त कार्य रेल संयोजक यात्री जन कल्याण संघ रीवा द्वारा कराए जाने का प्रावधान किया गया था। लेकिन आज तक रेल लाइन का सपना अधूरा ही बना हुआ है।अब मुख्यमंत्री से उम्मीद भरी निगाहें क्षेत्र के लोगों की बनी हुई है।देखना है कि कब कार्य का श्रीगणेश प्रारंभ होता है।निश्चित ही रेल लाइन से जुड़ने से विकास के नए मार्ग प्रशस्त होंगे और क्षेत्र का विस्तार होगा।

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