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ब्राम्हण विरोधी संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान-चैतन्य

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का स्तर लगातार तेजी से नीचे गिरता जा रहा है जो हमारे देश की अखंडता और अश्मिता को बाटने की कुत्सित प्रयास कर रहा है, राम चरितमानस विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था पर बड़ी बात कही है। संघ प्रमुख के बयान के बाद रविवार शाम से ही ब्राह्मणों में नाराजगी दिखनी शुरू हो गई। सोमवार दोपहर तक सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने भागवत, संघ और भाजपा को घेरना शुरू कर दिया। जिला अनूपपुर के आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा के जिला अध्यक्ष चैतन्य मिश्रा ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित और जातीय नफरत पैदा करने वाला बताया और कहा की समाज में वर्ण व्यवस्था गुण और कर्म के अनुसार निर्धारित है, लेकिन राजनीतिज्ञों और पदों पर आसीन लोग वर्ण व्यवस्था में भेदभाव कर रहे हैं। सिर्फ वोट बैंक और सत्ता प्राप्त करने के लालच में लोगों को जातियों में बांटा जा रहा है। यह वर्ण व्यवस्था पंडितों ने नहीं बल्कि राजनीतिज्ञों ने बनाई है। मात्र 10 साल के लिए लागू किया गया आरक्षण आज सत्तर सालो बाद तक समाप्त नहीं किया जा सका है, सिर्फ और सिर्फ जातियों और धर्मो में बाँट कर सत्ता प्राप्त की जा रही है। अगर संघ प्रमुख मोहन जी अपने बयानों पर अक्षरशः कायम है तो आज की व्यवस्था को देखते हुए आरक्षण प्रथा को अविलम्ब समाप्त कराने सम्बंधित कार्य करे। ब्राम्हणो  ने हमेशा सभी जाती का सम्मान किया है इसीलिए ब्राम्हण को हमेशा टारगेट किया जाता है, ब्राम्हण संगठित है और वह अपनी आवाज उठाना जनता है। लोग अपनी बयानबाजी कर हिंदुओं को आपस में लड़ा रहे हैं। असल में यही लोग देश विरोधी है देश को बाटने में लगे हुए है।

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