(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) आत्मानिर्भर भारत के तहत अनूपपुर जिले के माली प्रशिक्षण केन्द्र शासकीय उद्यान अमरकंटक में उद्यानिकी के क्षेत्र में रूचि रखने वाले शिक्षित बेरोजगार युवकों को 25 दिवसीय आवासीय माली प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 16 जनवरी 2023 से प्रारंभ होकर 09 फरवरी 2023 को सम्पन्न होगा।
माली प्रशिक्षण केन्द्र शासकीय उद्यान अमरकंटक में आयोजित माली प्रशिक्षण में संभाग रीवा एवं शहडोल के 30 प्रशिक्षणार्थियों को ऑनलाईन आवेदन के आधार पर लॉटरी के माध्यम से संचालनालय द्वारा चयन किया गया है, जिसमें महिला प्रशिक्षणार्थी भी हैं। 25 दिवसीय प्रशिक्षण का प्रतिदिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य स्तर से नियत किया गया है जिसमें सैद्धांतिक प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। नर्सरी पर पौध उत्पादन तकनीक, मातृवृक्ष रखरखाव के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी विधि से पौध रोपे तैयार करने की विधि से खेती का भी प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आधुनिक कृषि यंत्र, संरक्षित खेती, टपक सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई के साथ-साथ पॉली हाउस एवं नेट हाउस में बेमौसम सब्जी एवं पुष्प उत्पादन की उच्च तकनीक का भी प्रशिक्षण दिया गया है। मृदा एवं जलवायु के आधार पर उपयुक्त फल, सब्जी एवं फूलों की खेती, मौसमी पुष्प, झाड़ीदार, शोभायमान पौधों एवं पेडों की जानकारी, अलंकृत उद्यान, लॉन आदि लगाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण के साथ-साथ फूलों से माला, कलात्मक द्वार, बेडी एवं पुष्पगुच्छ बनाना भी सिखाया गया है। वहीं उद्यानिकी विशेषज्ञों द्वारा फल सब्जियों का भण्डारण तथा परिरक्षण करने (सुखाना, पावडर बनाना, कैचप, सॉस, अचार, मुरब्बा, चटनी, स्कवेश शर्बत, जैम, जैली, मटर फ्रोजन करने) का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र के विषय विशेषज्ञों तथा विभागीय अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है। प्रशिक्षणार्थियों में भी अच्छा उत्साह देखने को मिला है। प्रशिक्षणार्थी देशी फलदार पेड़ों में टॉप वर्किंग विधि, वनस्पतिक प्रसारण (वेजीटेटिव प्रोपोगेशन) विधि बडिंग, ग्राफ्टिंग विधि सीखकर अपने क्षेत्र में देशी पौधों को कलमी पौधे बनाकर फल उत्पादन में सहयोग करेंगे तथा बेरोजगारी से बचकर स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर आय में वृद्धि करेंगे व आय अर्जित कर आत्मिनिर्भर होंगे।
माली प्रशिक्षण केन्द्र शासकीय उद्यान अमरकंटक में आयोजित माली प्रशिक्षण में संभाग रीवा एवं शहडोल के 30 प्रशिक्षणार्थियों को ऑनलाईन आवेदन के आधार पर लॉटरी के माध्यम से संचालनालय द्वारा चयन किया गया है, जिसमें महिला प्रशिक्षणार्थी भी हैं। 25 दिवसीय प्रशिक्षण का प्रतिदिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य स्तर से नियत किया गया है जिसमें सैद्धांतिक प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। नर्सरी पर पौध उत्पादन तकनीक, मातृवृक्ष रखरखाव के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी विधि से पौध रोपे तैयार करने की विधि से खेती का भी प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आधुनिक कृषि यंत्र, संरक्षित खेती, टपक सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई के साथ-साथ पॉली हाउस एवं नेट हाउस में बेमौसम सब्जी एवं पुष्प उत्पादन की उच्च तकनीक का भी प्रशिक्षण दिया गया है। मृदा एवं जलवायु के आधार पर उपयुक्त फल, सब्जी एवं फूलों की खेती, मौसमी पुष्प, झाड़ीदार, शोभायमान पौधों एवं पेडों की जानकारी, अलंकृत उद्यान, लॉन आदि लगाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण के साथ-साथ फूलों से माला, कलात्मक द्वार, बेडी एवं पुष्पगुच्छ बनाना भी सिखाया गया है। वहीं उद्यानिकी विशेषज्ञों द्वारा फल सब्जियों का भण्डारण तथा परिरक्षण करने (सुखाना, पावडर बनाना, कैचप, सॉस, अचार, मुरब्बा, चटनी, स्कवेश शर्बत, जैम, जैली, मटर फ्रोजन करने) का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र के विषय विशेषज्ञों तथा विभागीय अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है। प्रशिक्षणार्थियों में भी अच्छा उत्साह देखने को मिला है। प्रशिक्षणार्थी देशी फलदार पेड़ों में टॉप वर्किंग विधि, वनस्पतिक प्रसारण (वेजीटेटिव प्रोपोगेशन) विधि बडिंग, ग्राफ्टिंग विधि सीखकर अपने क्षेत्र में देशी पौधों को कलमी पौधे बनाकर फल उत्पादन में सहयोग करेंगे तथा बेरोजगारी से बचकर स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर आय में वृद्धि करेंगे व आय अर्जित कर आत्मिनिर्भर होंगे।
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