Anchadhara

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पानी व शुद्ध वातावरण के बगैर नहीं जी सकते हम-उईके

 

वन परिक्षेत्र अहिरगवा में 
आयोजित हुआ अनुभूति कार्यक्रम
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) वन मंडल के अंतिम छोर में स्थित वन परिक्षेत्र अहिरगवा के प्राकृतिक एवं पुरातात्विक स्थल राजारानी में पडमनिया,बिजौरा,गिजरी, खरसोल विद्यालयों के 140 से अधिक छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस दौरान मुख्य अतिथि के आसंदी से संबोधित करते हुए शहडोल वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक एल.एल.उईके ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को जंगल बचाना आवश्यक है जिससे हमें पानी व स्वच्छ वातावरण में सासे मिल सके।वर्षा का पानी विभिन्न तरह के पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से जमीन में सोखकर जमीन मे एकत्रित कर रखते हैं जो वर्ष भर नाला,नदी के रूप में बहते हुए वह पानी हम सभी को मिलता है।स्वच्छ वातावरण से हमें सांसे मिलती हैं वनों को बचाने का भरपूर प्रयास करना चाहिए। इन्हीं उद्देश्यों के तहत जन जागरूकता फैलाने हेतु शासन द्वारा अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।कार्यक्रम में उप वन मंडल अधिकारी राजेंद्रग्राम प्रदीप खत्री ने बच्चों को वन,पर्यावरण के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बच्चों से आने वाले समय में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए जागरूक रहने की बात कही। वन परिक्षेत्र अधिकारी अहिरगवा अशोक कुमार निगम ने बच्चों को जैव-विविधता के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि पृथ्वी में जीवित सभी तरह के घास,पेड़-पौधे,जीव-जंतु जैव विविधता में आते हैं जिनका संरक्षण हम सभी को करना चाहिए।इस दौरान परिक्षेत्र सहायक खरसोल जे.पी.साहू ने वृक्षों के प्रकार एवं उनकी विविधताओं के संबंध में बच्चों को अवगत कराया।कार्यक्रम प्रारंभ होने पर छात्र-छात्राओं को वन भ्रमण कराते हुए मास्टर ट्रेनर श्रवण कुमार पटेल एवं शशिधर अग्रवाल ने वनों में पाए जाने वाले पेड़-पौधों की विविधताओं एवं औषधि गुणो व उनके महत्व की जानकारी दी।इस दौरान पक्षी दर्शन के अंतर्गत वन क्षेत्र में अनेकों संख्या में तोता-मिट्ठू के बच्चों ने प्रत्यक्ष दर्शन किए। इस दौरान क्षेत्र के प्रसिद्ध प्राकृतिक एवं धार्मिक स्थल राजारानी जहां दो बड़े चट्टान के साथ चट्टानों के बीच से प्राकृतिक तौर पर जलस्रोत जिसमें पूरे वर्ष भर पानी निकलता है को भ्रमण के दौरान दिखाया गया एवं स्थान के पौराणिक महत्व की जानकारी दी गई। छात्र-छात्राओं ने वन तथा वन्य प्राणियों से संबंधित लिखित परीक्षा के साथ चित्रकारी मे सम्मिलित हुए जिसमे सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र -छात्राओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के जनपद सदस्य जीरा बाई,ग्राम पंचायत पडमनिया सरपंच मंती बाई सिंह,ग्राम पंचायत गिजरी सरपंच अमर सिंह,वन सुरक्षा समिति पडमनिया अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बघेल,परिक्षेत्र सहायक पडमनिया देवेंद्र पांडेय,परिक्षेत्र सहायक अहिरगवा राजू केवट, परिक्षेत्र सहायक खरसोल जे.पी. साहू,परिक्षेत्र सहायक करपा बी.एल.अडाली के साथ वन परिक्षेत्र के वनरक्षक,सुरक्षा श्रमिको के साथ विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिका उपस्थित रहे।इस दौरान छात्र-छात्राओं ने मानव  श्रंखला के माध्यम से भारत का नक्शा बनाया तथा वृक्षों को बचाने के लिए पूर्व में चलाए गए चिपको आंदोलन की तरह वन क्षेत्र के वृक्षों में चिपक कर उन्हें नहीं काटने एवं नहीं काटने देने का संकल्प लिया।तथा ग्रामीणों द्वारा लाए गए टीम की-मादर के माध्यम से करमा गीत एवं नृत्य प्रस्तुत किया।जिसमे वन विभाग के मैदानी अमला भी सम्मिलित रहा।मुख्य अतिथि मुख्य वन संरक्षक शहडोल श्री उईके द्वारा प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र एवं प्रतियोगिताओं में विजयी छात्र-छात्राओं एवं जनप्रतिनिधियों को स्मृति चिन्ह प्रदाय करते हुए वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के संबंध में सभी को शपथ दिलायी।

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