(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) अनूपपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखंड पुष्पराजगढ़ के ग्राम करौंदी की बेटी उर्मिला मार्को एक छोटे से ग्राम से चेन्नई तक का सफर तय कर न सिर्फ अपने ग्राम के युवाओं के लिए बल्कि उन सभी युवाओं के लिए उदारहण बन रही हैं जो अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं।
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा नियमित रूप से रोजगार मेलों को आयोजन किया जाता है ताकि शासन की मंशानुरूप दूरस्थी अंचलों के युवाओं को उनकी रूचि और योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके।युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकें तथा अपना एवं अपने परिवार का सहारा बन सकें।
उर्मिला मार्को की कहानी भी कुछ ऐसी है, जिन्होने आजीविका मिशन द्वारा आयोजित रोजगार मेले में भाग लेकर लर्नेट स्किल अनूपपुर में चयनित हुई जहां उन्हें औद्योगिक सिलाई मशीन ऑपरेटर का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत आज उर्मिला चेन्नई के यंग ब्रांड प्राईवेट लिमिटेड में कार्य कर रही हैं, उर्मिला ने बताया कि प्रारंभ में उनका चयन मशीन आपरेटर के पद पर हुआ था, लेकिन कठिन परिश्रम और अच्छे कार्य को देखते हुये उन्हें प्रमोशन मिल गया और अब वह वार्डन के पद पर कार्य कर रही हैं,जहां पर उन्हें प्रतिमाह पंद्रह हजार रूपये सैलरी मिल रही है।
उर्मिला ने अपने बारे में बताया कि वह एक बहुत ही छोटे से ग्राम करौंदी की रहने वाली हैं और उन्होंने 12 वीं तक शिक्षा प्राप्त की है,घर की आर्थिक स्थिति अच्छीं नहीं होने के कारण पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भी माता-पिता के साथ घर के कामों में हाथ बटाने लगी थी।मन में कुछ करने की इच्छा थी,लेकिन ग्राम में कुछ नया करने के अवसर नहीं थे।लड़की होने के कारण माता-पिता भी कहीं बाहर भेजने के लिए तैयार नहीं थे।लेकिन जब आजीविका मिशन की तरफ से रोजगार मेला आयोजित किया गया तो मैंने भी रोजगार मेले में भाग लिया और रोजगार मेला में चयन के बाद आजीविका मिशन की टीम के द्वारा मेरा उत्साह बढ़ाया गया और मेरे घर में भी चर्चा कर मुझे काम करने के लिये बाहर जाने देने के लिए समझाया गया।बस तभी से मेरे सफर की शुरूआत हुयी और वह निरंतर जारी है।एक बेटी के रूप में आज मैं अपने घर परिवार का सहारा बन रही हूं यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।
मेरी नौकरी लगने के बाद अब गांव के दूसरे लोग भी अपनी बेटियों को गांव से बाहर भेजने के लिये तैयार हो रहे हैं,मेरे माता-पिता को मेरे गांव के लोग सम्मान की नजर से देखते हैं।यह मेरे लिये बहुत खुशी की बात है।ग्रामीण परिवेश के परिवारों को गांव से किसी बडे शहर नौकरी के लिए अपनी बेटी को भेजना असंभव सा रहा है,पर अब स्थितियां बदल रही हैं।बेटी के सुरक्षा,सशक्तिकरण तथा आजीविका संवर्धन के लिए सरकार जो खडी है।सरकार के सशक्त प्रयासों से ही उर्मिला जैसी बेटी अब अपने अरमानों को नई उडान दे पा रही हैं।
उर्मिला देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार जताते हुए उनके द्वारा बेटियों के लिए संचालित हित संवर्धक योजना की सराहना करती है।
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा नियमित रूप से रोजगार मेलों को आयोजन किया जाता है ताकि शासन की मंशानुरूप दूरस्थी अंचलों के युवाओं को उनकी रूचि और योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके।युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकें तथा अपना एवं अपने परिवार का सहारा बन सकें।
उर्मिला मार्को की कहानी भी कुछ ऐसी है, जिन्होने आजीविका मिशन द्वारा आयोजित रोजगार मेले में भाग लेकर लर्नेट स्किल अनूपपुर में चयनित हुई जहां उन्हें औद्योगिक सिलाई मशीन ऑपरेटर का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत आज उर्मिला चेन्नई के यंग ब्रांड प्राईवेट लिमिटेड में कार्य कर रही हैं, उर्मिला ने बताया कि प्रारंभ में उनका चयन मशीन आपरेटर के पद पर हुआ था, लेकिन कठिन परिश्रम और अच्छे कार्य को देखते हुये उन्हें प्रमोशन मिल गया और अब वह वार्डन के पद पर कार्य कर रही हैं,जहां पर उन्हें प्रतिमाह पंद्रह हजार रूपये सैलरी मिल रही है।
उर्मिला ने अपने बारे में बताया कि वह एक बहुत ही छोटे से ग्राम करौंदी की रहने वाली हैं और उन्होंने 12 वीं तक शिक्षा प्राप्त की है,घर की आर्थिक स्थिति अच्छीं नहीं होने के कारण पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भी माता-पिता के साथ घर के कामों में हाथ बटाने लगी थी।मन में कुछ करने की इच्छा थी,लेकिन ग्राम में कुछ नया करने के अवसर नहीं थे।लड़की होने के कारण माता-पिता भी कहीं बाहर भेजने के लिए तैयार नहीं थे।लेकिन जब आजीविका मिशन की तरफ से रोजगार मेला आयोजित किया गया तो मैंने भी रोजगार मेले में भाग लिया और रोजगार मेला में चयन के बाद आजीविका मिशन की टीम के द्वारा मेरा उत्साह बढ़ाया गया और मेरे घर में भी चर्चा कर मुझे काम करने के लिये बाहर जाने देने के लिए समझाया गया।बस तभी से मेरे सफर की शुरूआत हुयी और वह निरंतर जारी है।एक बेटी के रूप में आज मैं अपने घर परिवार का सहारा बन रही हूं यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।
मेरी नौकरी लगने के बाद अब गांव के दूसरे लोग भी अपनी बेटियों को गांव से बाहर भेजने के लिये तैयार हो रहे हैं,मेरे माता-पिता को मेरे गांव के लोग सम्मान की नजर से देखते हैं।यह मेरे लिये बहुत खुशी की बात है।ग्रामीण परिवेश के परिवारों को गांव से किसी बडे शहर नौकरी के लिए अपनी बेटी को भेजना असंभव सा रहा है,पर अब स्थितियां बदल रही हैं।बेटी के सुरक्षा,सशक्तिकरण तथा आजीविका संवर्धन के लिए सरकार जो खडी है।सरकार के सशक्त प्रयासों से ही उर्मिला जैसी बेटी अब अपने अरमानों को नई उडान दे पा रही हैं।
उर्मिला देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार जताते हुए उनके द्वारा बेटियों के लिए संचालित हित संवर्धक योजना की सराहना करती है।
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