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जनजातीय समाज की परंपराओं और हितों को संरक्षित करेगा पेसा एक्ट शिवराज सरकार का जनजातीय हितों की रक्षा के लिये ऐतिहासिक कदम

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो) 

अनूपपुर (अंंचलधारा) लेखक एवं चिंतक मनोज द्विवेदी ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर अन्ततः मध्यप्रदेश में आज 15 नवम्बर 2022 से पेसा एक्ट लागू होने जा रहा है।प्रदेश के जनजातीय हितों के संरक्षण के लिये शिवराज सरकार का यह अविस्मरणीय और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।1996 में जनजातीय समाज के हितों की रक्षा के लिये बनाया गया पेसा एक्ट अन्तत: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य एवं राज्यपाल  मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में शहडोल के लालपुर गाँव में जनजातीय समाज के लाखों लोगों के बीच आज 15 नवम्बर 2022 को आयोजित होने जा रहे भगवान बिरसा मुण्डा जयंती कार्यक्रम के द्वारा मध्यप्रदेश मे लागू होने जा रहा है। मध्यप्रदेश के सामाजिक ,राजनैतिक इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।आजादी के सात दशक बाद जनजातीय समाज के अधिकारों,परंपराओं, रीति-रिवाजों की रक्षा के लिये एक नया कानून पेसा की शक्ल में लागू होने जा रहा है।जनजातीय विकासखंडों की ग्राम सभाओं को और भी अधिकार संपन्न करके इसे प्रभावी तरीके से लागू करने की योजना शिवराज सरकार ने बनाई है। निश्चित रुप से इसके त्वरित और  दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगें।
जनजातीय गौरव दिवस 2022 आज 15 नवम्बर 2022 मंगलवार को शहडोल संभागीय मुख्यालय से लगे लालपुर हवाई अड्डे में भगवान बिरसा- मुण्डा जयंती अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया जा रहा है।देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के मुख्य आतिथ्य,मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता,प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विशिष्ट आतिथ्य एवं केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा,फग्गन सिंह कुलस्ते,म.प्र. शासन के मंत्री सुश्री मीना सिंह, कुंवर विजय शाह,बिसाहूलाल सिंह,प्रेम सिंह पटेल,सांसद हिमाद्री सिंह के साथ आसपास के एक लाख से अधिक लोगों की उपस्थिति में आयोजित होने वाले इस समारोह के माध्यम से मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट 2021 लागू किया जाएगा।
          उल्लेखनीय है कि इसकी घोषणा 15 नवम्बर 2021 को भोपाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित बिरसा मुण्डा जयंती कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी।

परंपराओं,रीति-रिवाजों 
के संरक्षण के लिये जरुरी


इंदौर,नर्मदापुरम,रीवा,शहडोल,जबलपुर,उज्जैन,चंबल जैसे 7 संभाग के 20 जिलों के 89 जनजातीय विकास खण्डों में मध्यप्रदेश की 21.1 प्रतिशत आबादी जनजातीय समाज की है। प्रदेश में भील,गोंड, बैगा,सहारिया,कोरकु,उरांव, बंजारा,कोल जैसी 24 जनजातियों की 90 उप जातियाँ निवास करती हैं।अत्यंत सरल,सहज,निष्कपट,ईमानदार, मेहनतकश होते हैं।अशिक्षा अधिक होने के बावजूद इनकी परंपराओं,रीति-रिवाजों की अच्छाईयां दुनियां को आकर्षित करती रही हैं।मध्यप्रदेश में 2004 के बाद कनेक्टिविटी में विस्तार,मध्यप्रदेश शासन की जनसरोकार से जुड़ी नीतियों के कारण तथा मोबाईल,इंटरनेट के विस्तार के कारण यह समाज देश,दुनिया से सीधा जुड़ सका है।परिस्थितियों में परिवर्तन है।अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति इनमें जागरुकता है।इसके बावजूद यदि मध्यप्रदेश सरकार ने पेसा एक्ट लागू करने की आवश्यकता महसूस की है तो इसके बहुत से राजनैतिक, सामाजिक कारण भी हैं।

समग्र विकास
में बाधक कारक


अशिक्षा,जागरुकता का आभाव, गरीबी, नशा, बेरोजगारी, लोगों के सहज-सरल होने के कारण शीघ्र बहकावे में आने की प्रवृत्ति एवं इनके ही समाज से पढे लिखे अधिकार संपन्न प्रभावी तबके द्वारा बारंबार सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने की प्रवृति जनजातीय समाज के गरीब तबके को अवसर विहीन बनाता है।सरकारी नौकरी,शिक्षा,निर्वाचन, बैंक लोन,सब्सिडी जैसे विषयों मे क्रीमीलेयर जैसी कोई बाध्यता नहीं होने से समाज का प्रभावशाली वर्ग अधिक प्रभावी और कमजोर वर्ग आज भी कमजोर होता जा रहा है।

पेसा एक्ट से ग्राम सभा और 
ग्राम समिति को अधिक शक्तियाँ 


पेसा एक्ट 1996 के द्वारा अब मध्यप्रदेश की ग्राम सभाओं को अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगीं। प्राकृतिक संसाधनों एवं योजनाओं पर नियंत्रण, परंपराओं, रीति- रिवाजों, संस्कृति संरक्षण करने के साथ - साथ बाहरी एवं आन्तरिक संघर्षों के विरुद्ध ग्राम सभा को सक्षम बनाता है। ग्राम सभा में ग्राम समिति गठित होगी। जिसका अध्यक्ष जनजातीय समाज का होगा। यह समिति ही गाँव के सभी महत्वपूर्ण निर्णय करेगी। बाजारों का प्रबंधन,देख-रेख,ऋण वसूली,नशीले पदार्थों प्रतिबंध,पलायन पर नजर रखने जैसे कार्य समिति करेगी।
               मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास और उनके हितों के संरक्षण की दिशा में एतिहासिक कदम उठाया है।पेसा एक्ट लागू करने से प्रदेश के राजनैतिक,सामाजिक परिप्रेक्ष्य में इसके शीघ्र और दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।   
                 जनजातीय बहुल जिलों में अशिक्षा,बेरोजगारी, पलायन और धर्मान्तरण बड़ा विषय है।कुछ जाति आधारित राजनैतिक,गैर राजनैतिक दलों द्वारा जनजातीय समाज में हिन्दुओं,हिन्दू देवी-देवताओं,संस्कृति को लेकर भ्रामक , विद्वेष पूर्ण वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्राम सभाएं और ग्राम समितियों के सामने पेसा एक्ट की शक्तियों के द्वारा सामाजिक समरसता,राष्ट्रीय एकजुटता बनाए रखते हुए अपने समाज को देश की मुख्यधारा में लाना बड़ी चुनौती होगी।आरक्षण और जनजातीय समाज की सुरक्षा के नाम पर कानूनों के विशेष प्रावधान और अब पेसा एक्ट के द्वारा ग्राम सभाओं को अतिरिक्त स्वायत्तता स्वागत् योग्य कदम हैं ,जिनके समय-समय पर परीक्षण की सख्त जरुरत है।

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