Anchadhara

अंचलधारा
!(खबरें छुपाता नही, छापता है)!

शिक्षक छात्रों में शिक्षा के प्रति ललक जगाए यह शिक्षकों का नैतिक दायित्व एवं जिम्मेदारी है-कमिश्नर राजीव शर्मा

 

विद्यार्थी आने वाले भारत के 
भविष्य-कलेक्टर सोनिया मीना
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देना सच्ची राष्ट्रभक्ति है। शिक्षक सदैव यह महसूस करें कि वे देश की सेवा विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देकर कर रहे हैं। शिक्षक अपने शिक्षा के दायित्वों को जाने, निरंतर निपुणता अर्जित करें तथा छात्रों में शिक्षा के प्रति ललक जगाए यह शिक्षकों की नैतिक दायित्व एवं जिम्मेदारी है। शिक्षकों का विद्यालय जीवंत पुष्पों का उद्यान है और समाज तथा सरकार ने शिक्षकों पर भरोसा किया है कि जो ताजा फूल विद्यार्थी के रूप में आपके विद्यालय में पढ़ते हैं, वह भारत की नई भविष्य गढ़ कर उनके भरोसे में खरे उतरे।
           उक्त विचार कमिश्नर शहडोल संभाग आज अनूपपुर के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में अनूपपुर जिले के प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों के समक्ष व्यक्त किए।
           कमिश्नर राजीव शर्मा ने कहा कि शहडोल संभाग के सभी शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि शहडोल संभाग में शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण पाठ्य पाठन हो, शिक्षक सदैव याद रखें कि वह नौकरी नहीं कर रही हैं बल्कि वह अपने नैतिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं तथा वह देश का भविष्य गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। कमिश्नर ने कहा कि शिक्षक अगर अपनी कर्मठता और चेतना का स्तर बढ़ाकर बच्चों में स्थानांतरित करे तो शिक्षक मान ले कि भविष्य का भारत विश्वशक्ति होगा। शिक्षकों के हाथ में भारत का भविष्य शिक्षक 24 घंटे भारत का भविष्य तथा भारत का आने वाला समाज ढ़ाल रहा है। कमिश्नर ने कहा कि शिक्षक अगर कर्मठ होगा तो विद्यार्थी भी कर्मठ होंगे, शिक्षक अपनी गरिमा को पहचानने तथा अपना महत्व समझते हुए बच्चों को कर्मठ एवं अनुशासित बनाएं।
         कमिश्नर ने कहा कि हमने भारत के मध्यप्रदेश राज्य में जन्म लिया है यह बहुत ही पुण्य की बात है, जरूर हमने पूर्व जन्म में कुछ अच्छा कर्म किया होगा तो हम मध्यप्रदेश की पवित्र धरा में जन्म लिया है। इस जीवन को हम व्यर्थ में ना गवाएं, अपने जीवन में ऐसा जरूर कुछ करके जाएं, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियां याद करें। कमिश्नर ने कहा कि हमारा विद्यालय एवं हमारे विद्यालय में पढ़ने वाला विद्यार्थी सबसे बेहतर है, यह हमें समझने की आवश्यकता है। विद्यार्थी कर्मठ होगा या कामचोर होगा, वह रोजगार वाला होगा या बेरोजगार होगा, उसके अंदर राष्ट्र की चेतना होगी या वह जातिगत विष से भरा हुआ होगा, उसके अंदर वैश्विक मुद्दों की समझ होगी या क्षेत्रीयता का जहर होगा या वह सह अस्तित्व बनेगा। यह शिक्षक के हाथ में है कि शिक्षक आने वाला भविष्य हम किस प्रकार गढ़ रहा हैं।
               कमिश्नर ने कहा कि समस्त विद्यालय शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं, समस्त विद्यालय समय पर खुले, निर्धारित समय तक पढ़ाई हो, आज हमारे विद्यालय का जितना अच्छा इन्फ्राट्रक्चर है, इतिहास में कभी भी इतना अच्छा इन्फ्राट्रक्चर विद्यालयों का नहीं था। आज हर एक गांव में उच्चतर एवं माध्यमिक विद्यालय हैं। विद्यालय में गंभीरता से पढ़ाई हो यह विद्यालय के प्रधानाचार्य प्राचार्य तथा शिक्षक सुनिश्चित करें क्योंकि यह शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी है। शासन एवं प्रशासन शिक्षकों को स्कूल तक भेज सकते हैं, परंतु दिल से विद्यार्थियों को पढ़ाना यह शिक्षक स्वयं कर सकता है और हर एक शिक्षक को समर्पण की भावना से विद्यार्थियों को शिक्षा देना चाहिए।
            कमिश्नर ने कहा कि जो भी अच्छा शिक्षक होता है, वह अपना कार्य अच्छाई एवं ईमानदारी से करता है। अच्छा शिक्षक वह होता है जो अपने कार्य से मतलब रखता है बिना किसी लाभ व आशा के अपना कार्य करता है। अच्छे कार्य करते समय अगर निराशा हो तो मेरी एक बात का ध्यान रखें कि सूरज निर्धारित समय में उगता है, बिना किसी भेदभाव, जाति धर्म, बिना गोरा काला देखे सबको रोशनी देता है और नियमित समय में डूब जाता है, वह कभी किसी से शिकायत नहीं करता। उसी प्रकार शिक्षक भी प्रयास करें तथा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। 
               कमिश्नर ने कहा कि सभी शिक्षक जानते थे परंतु इस कार्य को नहीं किया वह कार्य था बच्चों का बस्ता हल्का करना एनसीआरटी, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, राजीव गांधी शिक्षा मिशन तथा शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के निर्देश है कि किसी भी हालत पर बस्ते का वजन बच्चे के वजन से 10 प्रतिशत अधिक नहीं होना चाहिए। शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन सभी शिक्षकों करना अनिवार्य है। बच्चे भारत का भविष्य हैं, इनके ऊपर वजनदार बस्ते का बोझ विद्यार्थियों के कोमल कंधों पर ना लादें, यह शिक्षक सुनिश्चित करें यह शिक्षक की जिम्मेदारी भी है।
       कमिश्नर ने कहा कि जीवंत चेतना संपन्न व्यक्ति के तौर पर आप सभी अपनी नैतिक जिम्मेदारी तथा पावन कर्तव्य समझकर सभी शिक्षक अपने विद्यालय तथा अधिकार क्षेत्र में कोई भी बच्चा पीठ दर्द के साथ बड़ा नहीं होगा, कोई भी बच्चा झुके हुए कंधों के साथ बड़ा नहीं होगा, जिस देश का भविष्य झुके हुए कंधों से बड़ा होगा, वह बच्चा आप शिक्षकों को लगता है कि भारत का झंडा ऊंचा कर पाएगा। कमिश्नर ने निर्देशित करते हुए कहा कि 7 दिन के अंदर यह सुनिश्चित हो जाना चाहिए कि कोई भी बच्चे का बस्ता निर्धारित वजन से ज्यादा न हो। बच्चों को भोज की गुलामी से मुक्त कराना यह सभी शिक्षकों का परम दायित्व है।
       कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुश्री सोनिया मीना ने कहा कि विद्यार्थी आने वाले भारत के भविष्य हैं। इन्हें बस्ते के बोझ से निजात दिलाना सभी शिक्षकों का परम दायित्व है, यह दायित्व सभी शिक्षक पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ निभाए, जिससे भारत का भविष्य सुरक्षित हो सके। कलेक्टर ने कहा कि सभी विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा शिक्षक की प्रदान कर सकते हैं और यह किसी नैतिक जिम्मेदारी से कम नहीं है। कलेक्टर ने कहा कि विद्यालय किसी मंदिर से कम नहीं है, विद्यालयों को साफ एवं सुन्दर शिक्षक ही बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छा शिक्षक वही है जो विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देकर एक बेहतर भविष्य प्रदान करें। विद्यार्थियों के अभिभावक इसी आशा और उम्मीद के साथ विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ने भेजते हैं कि शिक्षक उन्हें बेहतर भविष्य का निर्माण करके देंगे, जिससे भारत का आने वाली पीढ़ियां गौरवान्वित होंगी। इसलिए सभी शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी आस्था के साथ करें।
                         इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अनूपपुर सोजान सिंह रावत, अपर कलेक्टर अनूपपुर सरोधन सिंह, संयुक्त संचालक शिक्षा  सुखदेव सिंह मरावी, जिला शिक्षा अधिकारी अनूपपुर टी.आर. आर्मो, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग पी.एन. चतुर्वेदी, डीपीसी हेमंत खैरवाल, तहसीलदार अनूपपुर ईश्वर प्रधान, नायब तहसीलदार दीपक तिवारी, देवेश बघेल सहित शिक्षा विभाग के विभिन्न विद्यालयों से आए हुए प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक उपस्थित थे।

Post a Comment

0 Comments