विश्व सिकल सेल दिवस पर मैराथन
व लाइव वेबिनार का आयोजन संपन्न
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (ब्यूरो) विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर अनूपपुर में जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था ने जिला स्वास्थ्य समिति के साथ मिलकर एक मैराथन व बेबीनार का आयोजन किया।मुख्य अतिथि अपर कलेक्टर सरोधन सिंह ने मैराथन दौड़ को हरी झंडी दिखा कर कार्यक्रम की शुरुआत की और अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व सिकल सेल दिवस के उपलक्ष्य में हम सब यह तय करें कि सिकल सेल बीमारी के प्रति खुद की समझ बढ़ाएंगे व अपने आस पास सिकल सेल के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे।लोगों के जागरूकता से ही हम सिकल सेल बीमारी को खत्म कर सकेंगे।आपने कहा कि जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था द्वारा मध्यप्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य अमले में सिकल सेल बीमारी के जांच, काउंसलिंग, व प्रबंधन की नींव रखी थी।अब शासन प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे रही है हम जल्द ही इस बीमारी से विजय पायेंगे।
मैराथन उत्कृष्ट विधालय से शुरू होकर जिला कलेक्टर ऑफिस में पूरी हुई।मैराथन दौड़ में महिला वर्ग से प्रीति राठौर प्रथम,इंद्रवती गोंड द्वितीय,संचिता खेबड़े तृतीय, बच्चों में श्रेयस वर्मा प्रथम व साहिल द्वितीय, सामान्य वर्ग में प्रांजल यादव प्रथम, फरहान खान द्वितीय, मोनू राठौर तृतीय, वरिष्ठ नागरिकों में ब्रजेश प्रजापति प्रथम व अशोक खरे द्वितीय स्थान पर रहे।जीतने वाले प्रतिभागियों को अपर कलेक्टर सरोधन सिंह के द्वारा अवार्ड्स दिए व सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट दिए गए।मैराथन में जिन सिकल सेल मरीजों ने भाग लिया उनको पोषण टोकरी दी गयी जिसमें कोदो, मड़िया आटा, मशरूम पाउडर, आम, केला, महुआ के लड्डू, सत्तू, चना, कोदो बिस्कुट, मक्का बिस्कुट आदि था।
तत्पश्चात सिकल सेल के मरीजों ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि हमे जब बीमारी हुई तो हम कई जगह भटके, दौड़े लेकिन आराम नही मिल रहा था तो जीने की आस ही छोड़ दिये थे लेकिन जब से जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था से मिलें है तो सही जानकारी व दवाइयाँ मिलना शुरू हुई।जिसकी वजह से अब जिंदगी पहले की बजाय बहुत अच्छी हो गयी है।अब खून की जरुरत भी कम पड़ने लगी है,दर्द की शिकायत भी कम हो गयी है।एक मरीज ने बताया की सिकल सेल की बजह से उसकी पढाई छुट गयी थी, माँ बाप भी इस समस्या को सँभालने की वजह से ज्यादा कार्य नहीं कर पाए, माँ शिक्षक थी लेकिन बच्चों के इलाज को करवाने के चक्कर में उनको नौकरी भी छोडनी पड़ी।अब वो बीएमएलटी कर रहे है लेकिन फीस बहुत ज्यादा है जो दे नही पा रहे है उनको समस्या हो रही है।अपर कलेक्टर ने तत्काल ही शासन की तरफ से आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया।
जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी सिकल सेल परियोजना समन्वयक राहुल सिंह पहड़वा ने बताया की यह बीमारी अनुवांशिक है व पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।सिकल सेल के दो प्रकार होते है सिकल वाहक व सिकल रोगी। वाहक को कोई समस्या नहीं होती है वहीँ सिकल सेल के रोगी को असहनीय दर्द, खून की कमी, पीलिया, शारीरिक विकास का अवरुध्ध होना व साँस लेने में तकलीफ होना जैसी समस्याएँ हो सकती है।अनूपपुर जिले में अभी तक संस्था ने कुल 89,663 लोगों की सिकल जांच की गयी है। जिसमें 17.52 प्रतिशत सिकल पॉजिटिव लोग मिले है। कुल 1,342 सिकल सेल रोगी चिन्हांकित किये गए है जिनकी काउंसलिंग, इलाज, व फॉलो-अप चल रहा है। 12,849 सिकल वाहकों की पहचान की गयी है उन्हें काउंसलिंग दी जा रही है।जिले में सिकल सेल के रोगियों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 96172-40924 चलाया जा रहा है जिसमें अभी तक 3 साल के अन्दर 4500 प्लस हेल्पलाइन कॉल आई है।
गनियारी संस्था द्वारा मैराथन के बाद सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक सिकल सेल पर आमजन के लिए एक वेबिनार का भी आयोजन किया गया जिसमें कई नागरिकों ने जुड़ कर सिकल सेल सम्बंधित अपने सवालों के जवाब पाए।
कार्यक्रम में मुख्यरूप से एचडीएम जैतहरी विजय डहरिया, चचाई पॉवरप्लांट से अशोक खरे,गनियारी से वरिष्ठ अधिकारी रामचरण साहू, बसंत साहू, राकेश प्रजापति,शहर के गणमान्य नागरिक शामिल हुए।जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था द्वारा पुलिस साथियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भूमिका निभाई।
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