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बैगा बाहुल्य ग्राम केकरिया में आदि खाद्य जागरूकता मेले का एक दिवसीय आयोजन कलेक्टर ने किया उत्साहवर्धन

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) बैगा जनजाति जितनी प्राचीन जनजाति है उतनी ही प्राचीन बैगाओं की संस्कृति भी है। बैगा जनजाति अपनी संस्कृति को संजोए हुए हैं, इनका रहन-सहन, खान-पान अत्यंत सादा होता है। बैगा जनजाति वृक्ष की पूजा करते है तथा बूढा देव एवं दूल्हा देव को अपना देवता मानते हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति बैगाओं की आदि संस्कृति तथा खान-पान को संरक्षित करने के लिए जिले के विकासखण्ड पुष्पराजगढ़ के सुदूर विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा बाहुल्य ग्राम केकरिया में 4 मई को आदि खाद्य जागरूकता मेले का एक दिवसीय आयोजन कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना की उपस्थिति में स्वयंसेवी संस्था निर्माण के तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उप संचालक कृषि एन.डी. गुप्ता, बीटीएम एस.के. विश्‍वकर्मा, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.के. वर्मा, निर्माण संस्था के नरेश विश्‍वास उपस्थित थे।आदि खाद्य जागरूकता मेला के माध्यम से प्राचीन आदि खाद्यों, मोटे अनाजों के पौष्टिक गुणों के संबंध में जनजागरूकतापूर्ण विस्तृत जानकारी दी गई। मोटे अनाज से बने विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न, व्यंजन एवं जंगली औषधि कंदमूल फल, मोटे खाद्यान्न बीज आदि की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस अवसर पर कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना ने बैगा जनजाति वर्ग की प्रचलित परम्पराओं और संस्कृति के साथ ही खाद्य पदार्थों के बारे में सम्पूर्ण रुचि के साथ जानकारी प्राप्त की तथा जनजातीय परम्परा को निरन्तर प्रचारित-प्रसारित करने पर बल दिया गया। कलेक्टर ने बैगा जनजाति के रोटी, पेज, भात, हलुवा, खीर, पुलाव, पूरी, बरा-भजिया और कुटकी महुआ का खीर की जानकारी प्राप्त की। यह सभी व्यंजन सभी प्रकार के कोदन्न से बना कर स्वादिष्ट खाद्य बना सकते हैं। कोदन्न का स्वाद भूल चुके बच्चों और नई पीढ़ी के युवाओं के लिए यह नया पकवान और नया स्वाद होगा।  
                     इस अवसर पर कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना का बैगा जनजाति महिलाओं द्वारा पारम्परिक ढंग से स्वागत किया गया। कलेक्टर सुश्री मीना द्वारा बैगाओं का उत्साहवर्धन किया।

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