(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) जिले के चिंतक एवं विचारक बृजेंद्र सोनी एडवोकेट ने बिलासपुर कटनी रेल खंड पर यात्री सुविधा होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे निरंतर केंद्रीय राजस्व की हानि हो रही है उन्होंने कहा कि बिलासपुर से अनूपपुर, कटनी रेल खंड पर लोकल पैसेंजर ट्रेन के बंद होने से सामान्य यात्री परेशान हो रहे है। अन्य एक्सप्रेस ट्रेन में रिज़र्वेशन लेकर ही यात्रा करने का नियम कोरोना काल से लागू है। जिससे गाड़ी आने के समय सामान्य टिकट रेल प्रशासन द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
मौजूदा समय पर कम दूरी के बिलासपुर से अनूपपुर, कटनी रेल खंड पर लोकल पैसेंजर ट्रेन के बंद होने से सामान्य यात्री परेशान हो रहे है। जिससे गाड़ी आने के समय सामान्य टिकट रेल प्रशासन द्वारा नहीं दिया जा रहा है। लोकल रेलगाड़ी कभी निरस्त कर दी जाती है या लंबे समय से बंद कर दिया ऐसे में कम दूरी की यात्रा करने वाले यात्री हैरान-परेशान नजर आते है।
रेलवे मे मैनुअल टिकट यात्रियों को नहीं दिया जाता और रिजर्वेशन का समय 24 घंटे पूर्व समाप्त हो जाता है रेलगाड़ियो को यात्री उन्हें जाते हुए टकटकी लगाएं देखता रह जाता है।
कुछ चतुर चालाक लोगों ने बिना टिकट यात्रा कर लेते है यह राष्ट्रहित में है या कर्मचारियों के व्यक्तिगत हित मे यह बहस का विषय है, लेकिन सरकार के रवैए से जहां एक ओर केंद्रीय राजस्व की हानि हो रही है वहीं दूसरी ओर हमारे प्राकृतिक संसाधन डीजल और पेट्रोल की खपत मजबूरी के चलते निजी वाहनों से यात्रा करने के कारण नाहक बढ़ रही है।दोनों ही स्थितियां राष्ट्र के पक्ष में नहीं है।
चिंतक एवं विचारक बृजेंद्र सोनी एडवोकेट ने कहां की रेलवे की यही जनता विरोधी और राष्ट्र को आर्थिक क्षति पहुचाने वाली नीति है।जिस पर जनता का प्रतिरोध आवश्यक है।
मौजूदा समय पर कम दूरी के बिलासपुर से अनूपपुर, कटनी रेल खंड पर लोकल पैसेंजर ट्रेन के बंद होने से सामान्य यात्री परेशान हो रहे है। जिससे गाड़ी आने के समय सामान्य टिकट रेल प्रशासन द्वारा नहीं दिया जा रहा है। लोकल रेलगाड़ी कभी निरस्त कर दी जाती है या लंबे समय से बंद कर दिया ऐसे में कम दूरी की यात्रा करने वाले यात्री हैरान-परेशान नजर आते है।
रेलवे मे मैनुअल टिकट यात्रियों को नहीं दिया जाता और रिजर्वेशन का समय 24 घंटे पूर्व समाप्त हो जाता है रेलगाड़ियो को यात्री उन्हें जाते हुए टकटकी लगाएं देखता रह जाता है।
कुछ चतुर चालाक लोगों ने बिना टिकट यात्रा कर लेते है यह राष्ट्रहित में है या कर्मचारियों के व्यक्तिगत हित मे यह बहस का विषय है, लेकिन सरकार के रवैए से जहां एक ओर केंद्रीय राजस्व की हानि हो रही है वहीं दूसरी ओर हमारे प्राकृतिक संसाधन डीजल और पेट्रोल की खपत मजबूरी के चलते निजी वाहनों से यात्रा करने के कारण नाहक बढ़ रही है।दोनों ही स्थितियां राष्ट्र के पक्ष में नहीं है।
चिंतक एवं विचारक बृजेंद्र सोनी एडवोकेट ने कहां की रेलवे की यही जनता विरोधी और राष्ट्र को आर्थिक क्षति पहुचाने वाली नीति है।जिस पर जनता का प्रतिरोध आवश्यक है।
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