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एन.एफ.आई.टी.यू.,आरसीएमसी और एचएमकेपी 28-29 मार्च के हड़ताल में सम्मिलित नहीं-डॉ.दीपक जायसवाल

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) एन.एफ.आई.टी.यू. अध्यक्ष डॉ. दीपक जायसववाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि कुछ केंद्रीय श्रम संगठनों एवं वामपंथी संगठनों द्वारा आहूत 28-29 मार्च 2022 के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वाहन में एन.एफ.आई.टी.यू. साथ नहीं है। एन.एफ.आई.टी.यू., एचएमकेपी और आरसीएमसी की कार्यकारिणी ने यह फैसला लिया है कि इस तरह के हड़ताल के नाम पर देश के कामगारों को सिवाय गुमराह करने के कोई और उद्देश्य नहीं होता है।इन संगठनों द्वारा आहूत की गयी 28 व 29 मार्च 2022 की हड़तालों से मजदूर वर्ग हमेशा की तरह एक बार फिर से बेचारा साबित होगा। इन हड़तालों का उद्देश्य मजदूर विरोधी प्रयास के अलावा कुछ नहीं है। धूप में परेड कराकर एक स्थान पर एकत्रित कर तथाकथित बयानबाजी कर अपने संबंधित मृतप्रायः राजनैतिक दलों के हितों को बचाने का प्रयास मात्र होता है।जब माननीय मोदी जी की सरकार और हमारे प्रिय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव जी मजदूर एवं श्रमिक हित में सामाजिक सुरक्षा के कई प्रकार की योजनायें लाकर देश के करोड़ों मजदूरों के परिवार और उनके रोजगार को सुरक्षित कर रही है तो उन योजनाओं पर दृढ़ता से मजदूर संगठनों के बीच बढ़-चढ़कर मजदूरों को लाभांवित करने के लिये भाग लेने चाहिये। ये योजनायें है- ई-श्रम पोर्टल, पीएम श्रम योजना, भवन एव सन्निर्माण मजदूर, निर्माण श्रमिक एवं कौशल विकास योजना, निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना, आदि के अलावा श्रम योगी मान-धन (पीएम-एसवाईएम) योजना।
देश के असंगठित क्षेत्र में 42 करोड़ श्रमिक काम करते हैं। इन योजनाओं के पात्रघर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक,
ईंट-भट्टा मजदूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसाय के श्रमिक भी है।
पीएम-एसवाईएम की प्रमुख विशेषताएं हैं न्यूनतम निश्चित पेंशन, परिवार पेंशन,अभिदाता द्वारा अंशदान, केन्द्र सरकार द्वारा बराबर का अंशदान आदि के अलावा और भी सुविधाये मजदूरों के लिये सरकार चला रही है।
देश के 42 करोड़ श्रमिकों को लाभ पहुंचाने हेतु, सरकार इन योजनाओं के जरिये उनके जीवन को जहाँ बेहतर बनाने के लिये पुरी तरह प्रयासरत है तो वहीं मजदूरों की भलाई के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाने वाले दलाल श्रमिक संगठन अपने राजनैतिक संगठनों के लिये रोटी सेकने की कोशिश में लगे रहते है।एन.एफ.आई.टी.यू., एक श्रमिक संगठन होने के नाते उसका रिश्ता भारत की कामगार किसान एवं मजदूरों के हितों से सीधा जुड़ाव है और साथ ही  साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति इसका अहम् कर्त्तव्य भी है अतः इन परिस्थितियों में, जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाकर मजदूरों की जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत रहना चाहिए तो ऐसे में हड़ताल की घोषणा अनैतिक है और एन.एफ.आई.टी.यू. इसमें शामिल नहीं है और इस हड़ताल की घोषणा की निंदा करता है।

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