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29 साल पुराने मामले में आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास आरोपी वर्ष 2013 से फरार था

 

कानून के हाथ बहुत
 लंबे हैं चरितार्थ करती स्टोरी
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आर.पी. सेवेतिया के न्यायालय के द्वारा थाना कोतवाली अप.क्र. 177/93 प्रकरण क्र. 308/2009 धारा 406, 465, 467, 471 भादवि के आरोपी रामेश्वर पिता साधराम चंद्रवंशी उम्र 65 वर्ष निवासी कोलमी थाना सिंटी कोतवाली जिला- अनूपपुर(म.प्र.) को उक्त धाराओं में दोषी पाते हुए 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 4000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। राज्य की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय के द्वारा की गई। 
                 घटना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आरोपी के विरूद् लगभग 29 साल पहले थाना सिंटी कोतवाली अनूपपुर में अपराध क्र 177/93 इस आशय का पंजीबद्व हुआ था कि आरोपी ने वर्ष 1993-94 के लिए विदेशी मदिरा दुकान किल्हौरी चचाई का लाइसेंस फीस 53 हजार 500 रूपये जो कोषालय में जमा की जानी थी आरोपी द्वारा जमा नही की गई और आरोपी के द्वारा फर्जी चालान तैयार कर एवं रसीद कोषालय में ओके राशि जमा होना दर्शाया गया।जिला आबकारी अधिकारी शहडोल के द्वारा आरोपी के विरूद्व अपराध पंजीबद्व कराया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया विचारण के दौरान जब मामला दिनांक 05/08/2013 को निर्णय के लिए लगा तो आरोपी न्यायालय में उपस्थित नही हुआ।प्रकरण की अगली सुनवाई  30/11/2013 कों भी आरोपी न्यायालय में उपस्थित नही हुआ जिससे आरोपी के विरूद्व न्यायालय के द्वारा स्थायी वारंट जारी किया गया।पुलिस आरोपी को  वर्ष 2013 से दिनांक 11/02/2022 तक तलाश करती रही  दिनांक 11/02/2022 को पुलिस ने गिरफ्तार कर आरोपी को न्यायालय में पेश किया। आरोपी के द्वारा जमानत आवेदन लगाया गया जिसे अभियेाजन अधिकारी राकेश पाण्डेय के विरोध के बाद खारिज किया गया तथा आरोपी को जेल भेज दिया गया। विचारण उपरांत न्याायालय ने आरोपी को दिनांक 15/02/2022 को दोषी पाते हुए उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया है।आरोपी को धारा 406, 467, 468 भादवि के लिए 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 465 और धारा 471 भादवि के लिए 2-2 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। सभी धाराओं में दिया गया दण्ड एक साथ चलने के कारण आरोपी को कुल मिलाकर 03 वर्ष तक की जेल की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई है। न्यायालय का यह निर्णय यह दर्शाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे है, न्याय में देर होना संभव है परंतु न्याय अवश्य प्राप्त  होता है।

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