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समुद्रों में उठती लहरों से ऊर्जा का निर्माण होगा-कुलपति

 

 भारत में ऊर्जा का वैकल्पिक 
स्रोत पर संगोष्ठी संपन्न
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण चेतना सप्ताह के अंतर्गत राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद 2022 के तहत "भारत में ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीयुत श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा की गई। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर एन.के. दुबे (विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनारस) थे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. तरुण ठाकुर (विभाग अध्यक्ष एवं नोडल अधिकारी राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद 2022) और सह-संयोजक वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विजय दीक्षित थे। मुख्य अतिथि का स्वागत एवं परिचय डॉ. रविन्द्र शुक्ला (सहा. प्राध्यापक वनस्पति विज्ञान) द्वारा प्रस्तुत किया गया। जबकि कुलपति जी का स्वागत एवं परिचय विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव डॉ. संजीव सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम शुरुआत कुलगीत से हुई तत्पश्चात 'भारत में सौर ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत' के विषय में कार्यक्रम के संयोजक प्रो. तरुण ठाकुर द्वारा रूपरेखा प्रस्तुत की गई। मुख्य वक्ता प्रोफेसर एन.के. दुबे द्वारा अपने उद्बोधन में 'भारत में ऊर्जा के बढ़ते वैकल्पिक स्त्रोत के विषय में राम, रावण, पर्यावरण और गंगा नदी आदि का उदाहरण देते हुए, बायोडीजल, सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के साथ-साथ हरित ऊर्जा व हरित भारत के साथ वैकल्पिक ऊर्जा के सात प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मकर संक्रांति त्योहार की उपयोगिता बताइए जिसके माध्यम से बच्चे गुड़ और तिल खाकर छत पर पतंग उड़ाते हैं जिससे उनको विटामिन डी मिलता है। इस तरह प्रकृति प्रदत ऊर्जा का प्रयोग भारत में अनादिकाल से हो रहा है, जो कभी समाप्त नहीं होने वाली ऊर्जा है अतः इनके उपयोग के लिए सभी को जागरूक करना होगा।' 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीयुत श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 'भारत वैज्ञानिक वृति का राष्ट्र है जहाँ पीपल, बरगद, नीम आदि पेड़ पौधों को वैज्ञानिक मान्यता के साथ धार्मिक पहचान दी गई है। आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण बचा रहे इसके लिए हम सबको आज जागृत होना होगा। भारत ऊर्जा के क्षेत्र में शिरमोर व सर्वश्रेष्ठ बनेगा। इस समय भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है, आने वाले समय में पूरे देश का संचालन ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के माध्यम से हो इसके लिए शोध को बढ़ावा देना है। समुद्रों में जो लहर उठती हैं उससे हम ऊर्जा किस प्रकार बनाएं इस और ऊर्जा को संचित करने के उपाय ढूढ़ने होंगे'। अपने उद्बोधन में कुलपति जी ने हमारे ऋषि-मुनियों को वैज्ञानिक बताया जो कि न सिर्फ संस्कृत के श्लोक का निर्माण करते थे बल्कि उन श्लोकों के माध्यम से ऊर्जा का निर्माण कर देते थे और उस ऊर्जा से अग्नि प्रज्वलित हो जाती थी या फिर पानी से दिए जल जाते थे। आज की पीढ़ी को बिजली बचाने के लिए प्रेरित करना हो गया किसी भी जगह अनावश्यक बिजली न जले। 
कार्यक्रम के अंत में 'भारत में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत' पर एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। कर्यक्रम समाप्ति पर प्रो.जी.बी.एस. जौहरी (विभागाध्यक्ष पर्यटन प्रबंधन विभाग) द्वारा आभार व्यक्त किया गया। वेबिनार का संचालन डॉ. विजय दीक्षित जी ने किया। कार्यक्रम के तकनीकी पक्ष को विनोद वर्मा,अरविंद गौतम द्वारा संभाला गया। कार्यक्रम में प्रो. आलोक श्रोत्रिय (अकादमिक अधिष्ठाता), प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी (अधिष्ठाता - छात्र कल्याण) सहित विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण एवं विभागाध्यक्ष तथा रायपुर से प्रोफेसर लालजी सिंह छिंदवाड़ा से सहायक प्राध्यापक डॉ. रुपेश कपाले और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं वेबीनार में उपस्थित रहे। इस वेबीनार का आयोजन गूगल की एक सर्विस "गूगल मीट" पर हुआ।

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