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भारतीय विरासत को सहेजने में संस्कृत भाषा का अप्रतीम योगदान है-कुलपति प्रो. त्रिपाठी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय,अमरकंटक के कुलपति प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय में संस्कृत विभाग का शुभारंभ करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा में अपनी विशिष्टता एवं वैज्ञानिकता के कारण भारतीय विरासत को सहेजकर रखने में अपना अप्रतीम योगदान दिया है। संस्कृत भाषा विलक्षण भाषा है, जो श्रृति एवं स्मृति में सदैव अविस्मरणीय है।
संस्कृत अति प्राचीन भाषा है और यह सभी भाषाओं की जननी है भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपराओं की जानकारी हेतु आवश्यक है कि संस्कृत भाषा का ज्ञान हो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस पर जोर दिया गया है। संस्कृति को जानने और इसे सूत्रण करने हेतु विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग का होना आवश्यक है।
संस्कृत विभाग का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय केकुलपति प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी की धर्मपत्नी एवं श्रीशील मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कृत देव भाषा है और संस्कृति संवर्धन में इसका अत्यंय महत्व है,राष्ट्र एवं सनातन संस्कृति के ज्ञान हेतु जन-जन को संस्कृत का ज्ञान कराना आवश्यक है। संस्कृत भाषा का अपना एक वैज्ञानिक महत्व है। नासा के वैज्ञानिकों ने भी माना है कि संस्कृत एक संपूर्ण वैज्ञानिक भाषा है। आज इस विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग का शुभारंभ सराहनीय कदम है।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए मानविकी संकाय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर अभिलाषा सिंह ने संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोगों में प्रोफेसर अवधेश शुक्ला, प्रो.आलोक श्रोत्रिय, प्रोफ़ेसर दिलीप कुमार डे, प्रोफेसर नागाराजू, प्रोफेसर पी.के. सामल, प्रोफेसर रेनू सिंह, प्रोफेसर विष्णु नारायण मिश्र, प्रो. भूमि नाथ त्रिपाठी, प्रोफेसर तरुण ठाकुर, डॉक्टर गोविंद मिश्रा, डॉ. राकेश सोनी, डॉ.जितेंद्र सिंह, डॉ. मोहनलाल चढ़ार,डॉ. जिनेंद्र जैन थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर त्रिंबक नाथ पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सचिन देव द्विवेदी द्वारा किया गया।

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