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आईजीएनटीयू जनजाति छात्रों के साथ कर रहा अन्याय विश्व विद्यालय की भूमिका संदेहास्पद-नरेंद्र सिंह मरावी

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी ने कुलपति एवं अध्यक्ष कार्य परिषद को दिनांक 20 जून 2021 को कार्यपरिषद की 47 वीं बैठक में 8 महत्वपूर्ण कार्यसूची (अजेंडा) को कार्यपरिषद से पारित करवाने के लिए 8 महत्वपूर्ण कार्य सूची सौंपी थी जिसमें प्रमुख रूप से विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्नातक एवं स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए मेरीट बनाने की नियमावली में “अंकसूची मेरिट से 50 प्रतिशत तथा ऑनलाइन साक्षात्कार से 50 प्रतिशत अंक” जोड़कर प्रवेश मेरिट बनाने के प्रस्ताव की मंजूरी, बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय शोध पीठ की स्थापना के प्रस्ताव की मंजूरी, प्रवेश हेतु स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश सीटों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव की मंजूरी, महान ग्रंथ भक्त श्रीमद्भ भगवतगीता तथा श्रीमद् रामायण, वेद, पुराण एवं उपनिषद् को पाठ्यक्रम में एक ऑप्शनल विषय के रूप में सम्मिलित करने के प्रस्ताव की मंजूरी, जनजातीय धर्म संस्कृति एवं जनजाति इतिहास लेखन के लिए टास्क फोर्स का गठन की मंजूरी, जनजाति धर्म संस्कृति पर सात दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन की मंजूरी, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तथा जनजाति विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन मेला के प्रस्ताव का अनुमोदन,पीएचडी में प्रवेश के लिए ऑनलाइन परीक्षा कराने हेतु तत्काल विज्ञापन जारी करने की मंजूरी को लेकर कार्यपरिषद से प्रस्ताव पास कराने के लिए दिनांक 20 जून 2021 को कुलपति  को पत्र दिया गया था।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी ने आगे बताया कि विश्वविद्यालय छात्र के सभी मुद्दों को दरकिनार करते हुए इस पर कोई सुनवाई नहीं की गई थी। इस संबंध में फिर से स्मरण-पत्र दिया गया है क्योंकि प्रवेश देने में विश्वविद्यालय ने कुल मिलाकर 3 से 4 महीने की विलंब कर दी है।जिससे अनावश्यक रूप से छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।विश्वविद्यालय का यह कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। विश्वविद्यालय को हित को ध्यान में रखना विश्वविद्यालय की नैतिक जिम्मेदारी है लेकिन विश्वविद्यालय लगातार छात्रों के अहित में ही कार्य कर रहा है और मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को सम्मिलित नहीं कर एक जनजाति छात्रों को लगातार अपमानित करने का कार्य किया जा रहा है।अमरकंटक क्षेत्र में यहाँ के छात्रों का प्रवेश ना होकर केरल के छात्र आ रहे है इसमें विश्वविद्यालय की भूमिका बेहद ख़तरनाक है,अमरकंटक क्षेत्र के लिए विश्वविद्यालय ख़तरा बन गया है।

विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी ने आगे बताया कि मैंने 20 जून को ही प्रवेश संबंधी नियमों का समाधान करके उचित समय पर प्रवेश अधिसूचना जारी करने के लिए पत्र लिखा था लेकिन विश्वविद्यालय को छात्र हित का कोई परवाह नहीं है, गैरकानूनी रूप से स्नातक एवं स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए अधिसूचना जारी की गई है जिसमें कोई चीज स्पष्ट नहीं है। जिससे मध्यप्रदेश एवं स्थानीय जनजाति छात्रों का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है और आपके द्वारा ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है।20 जून 2021 को मेरे पत्रों मेरे द्वारा दिए गए कार्यसूची का अनदेखा करने के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है और दीपावली आने जा रहा है अभी तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है और प्रवेश प्रक्रिया इतना धीमा किया जा रहा है कि छात्र दूसरी स्थानों पर प्रवेश ले चुके हैं।दूसरे महाविद्यालय या अन्य विश्वविद्यालय में प्रवेश ले चुके हैं। इसका नुकसान जनजाति विश्वविद्यालय को भी हुआ है तथा स्थानीय छात्रों को भी हुआ है। बार-बार छात्रों को नुकसान करना किसी गलत मानसिकता की ओर इंगित करता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी ने पत्र की प्रतिलिपि,महामहिम राम नाथ कोविंद जी राष्ट्रपति तथा माननीय धर्मेंद्र प्रधान जी मंत्री, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को भी भेजी है।

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