(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा सितंबर माह में आयोजित किए जा रहे हिंदी मास–2021 के उद्घाटन समारोह का आयोजन दिनांक 01 सितंबर, 2021 को पूर्वाह्न 11.00 बजे गूगल मीट के माध्यम से किया गया।
इस उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता इं.गाँ.रा.ज. जा.वि. के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा की गई जिन्होंने विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के लुप्तप्राय भाषा केंद्र के भूतपूर्व निदेशक प्रो. दिलीप सिंह को आमंत्रित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय दक्षिण परिसर के हिंदी विभाग के प्रभारी प्रो. मोहन को समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
सर्वप्रथम हिंदी मास के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इसके पश्चात इ.गाँ.रा.ज. जा. वि. के कुलगीत के साथ कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों का स्वागत भाषण हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू सिंह द्वारा दिया गया जिन्होंने माननीय अध्यक्ष, विशिष्ट एवं मुख्य अतिथियों के सान्निध्य पर आभार व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति-2020 में निहित भाषा संबंधी निर्देशों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.मोहन ने सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इ.गाँ.रा.ज. जा. वि. में हिंदी पखवाड़े के स्थान पर हिंदी मास के अनुसरण की प्रशंसा की। उन्होंने नई शिक्षा नीति–2020 के अंतर्गत संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भारतीय भाषाओं को शिक्षा की माध्यम भाषा के रूप में सम्मिलित किए जाने,इस नीति के रोजगारपरक होने तथा इसके भारतीय भाषाओं के बीच के संबंधों को दृढ़ करने का माध्यम बनने पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश की भाषाओं का सम्मान भारत एवं भारतीयता का सम्मान है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. दिलीप सिंह ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि भारत में सूत्र भाषा की कमी के कारणवश 1857 का स्वतंत्रता संग्राम सफल नहीं हो पाया था। उन्होंने नई शिक्षा नीति – 2020 में मातृभाषाओं के महत्व, उनकी भूमिका तथा लाभ पर अपने विचार साझा किए। प्रो. सिंह ने इस नीति के अंतर्गत हिंदी की मातृभाषा के अलावा द्वितीय भाषा तथा विदेशी भाषा के रूप में विविधता पर भी बल दिया। उन्होंने नई शिक्षा नीति में संस्कृत भाषा को सम्मिलित करने के तथ्य की भी प्रशंसा की।
कार्यक्रम के समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन तथा हिंदी मास– 2021 का आगामी कार्यक्रम विवरण हिंदी अधिकारी डॉ.अर्चना श्रीवास्तव द्वारा दिया गया जिसमें एनसीसी एनएसएस छात्रों हेतु प्रतियोगिता, केंद्रीय विद्यालय छात्रों हेतु निबंध, छात्रों कर्मचारियों हेतु शीर्षक सहित फोटोग्राफी, स्वरचित कविता कहानी, बी.वॉक. छात्रों हेतु ‘फोटोग्राफी शॉर्ट फिल्म डिजिटल कोटेशन लेखन’, मॉडल ट्राइबल स्कूल के छात्रों हेतु सुलेख, हिंदीतर भाषियों हेतु वाचन, छात्रों कर्मचारियों हेतु पोस्टर प्रतियोगिताओं तथा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी, कवि सम्मेलन, प्रौद्योगिकी-वित्त-परीक्षा-प्रशासन कार्य संबंधी संगोष्ठियों कार्यशालाओं एवं समापन समारोह के बारे में जानकारी दी गई।
समस्त कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से प्रो. दिलीप कुमार डे, प्रो. रंजू हासिनी साहू, प्रो. अभिलाषा सिंह, प्रो. नीति जैन, प्रो. अनुपम शर्मा, प्रो. सौभाग्य रंजन पाढ़ी, प्रो. मनीषा शर्मा, डॉ. ज्योति थानवी, डॉ. हरित मीणा, डॉ. बिमलेश सिंह, डॉ. जीतेन्द्र सिंह, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. पूनम पांडे सहित अन्य संकाय सदस्यों, अध्येताओं एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस उद्घाटन समारोह का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. वीरेन्द्र प्रताप द्वारा किया गया।
इस उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता इं.गाँ.रा.ज. जा.वि. के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा की गई जिन्होंने विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के लुप्तप्राय भाषा केंद्र के भूतपूर्व निदेशक प्रो. दिलीप सिंह को आमंत्रित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय दक्षिण परिसर के हिंदी विभाग के प्रभारी प्रो. मोहन को समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
सर्वप्रथम हिंदी मास के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इसके पश्चात इ.गाँ.रा.ज. जा. वि. के कुलगीत के साथ कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों का स्वागत भाषण हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू सिंह द्वारा दिया गया जिन्होंने माननीय अध्यक्ष, विशिष्ट एवं मुख्य अतिथियों के सान्निध्य पर आभार व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति-2020 में निहित भाषा संबंधी निर्देशों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.मोहन ने सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इ.गाँ.रा.ज. जा. वि. में हिंदी पखवाड़े के स्थान पर हिंदी मास के अनुसरण की प्रशंसा की। उन्होंने नई शिक्षा नीति–2020 के अंतर्गत संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भारतीय भाषाओं को शिक्षा की माध्यम भाषा के रूप में सम्मिलित किए जाने,इस नीति के रोजगारपरक होने तथा इसके भारतीय भाषाओं के बीच के संबंधों को दृढ़ करने का माध्यम बनने पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश की भाषाओं का सम्मान भारत एवं भारतीयता का सम्मान है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. दिलीप सिंह ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि भारत में सूत्र भाषा की कमी के कारणवश 1857 का स्वतंत्रता संग्राम सफल नहीं हो पाया था। उन्होंने नई शिक्षा नीति – 2020 में मातृभाषाओं के महत्व, उनकी भूमिका तथा लाभ पर अपने विचार साझा किए। प्रो. सिंह ने इस नीति के अंतर्गत हिंदी की मातृभाषा के अलावा द्वितीय भाषा तथा विदेशी भाषा के रूप में विविधता पर भी बल दिया। उन्होंने नई शिक्षा नीति में संस्कृत भाषा को सम्मिलित करने के तथ्य की भी प्रशंसा की।
कार्यक्रम के समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन तथा हिंदी मास– 2021 का आगामी कार्यक्रम विवरण हिंदी अधिकारी डॉ.अर्चना श्रीवास्तव द्वारा दिया गया जिसमें एनसीसी एनएसएस छात्रों हेतु प्रतियोगिता, केंद्रीय विद्यालय छात्रों हेतु निबंध, छात्रों कर्मचारियों हेतु शीर्षक सहित फोटोग्राफी, स्वरचित कविता कहानी, बी.वॉक. छात्रों हेतु ‘फोटोग्राफी शॉर्ट फिल्म डिजिटल कोटेशन लेखन’, मॉडल ट्राइबल स्कूल के छात्रों हेतु सुलेख, हिंदीतर भाषियों हेतु वाचन, छात्रों कर्मचारियों हेतु पोस्टर प्रतियोगिताओं तथा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी, कवि सम्मेलन, प्रौद्योगिकी-वित्त-परीक्षा-प्रशासन कार्य संबंधी संगोष्ठियों कार्यशालाओं एवं समापन समारोह के बारे में जानकारी दी गई।
समस्त कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से प्रो. दिलीप कुमार डे, प्रो. रंजू हासिनी साहू, प्रो. अभिलाषा सिंह, प्रो. नीति जैन, प्रो. अनुपम शर्मा, प्रो. सौभाग्य रंजन पाढ़ी, प्रो. मनीषा शर्मा, डॉ. ज्योति थानवी, डॉ. हरित मीणा, डॉ. बिमलेश सिंह, डॉ. जीतेन्द्र सिंह, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. पूनम पांडे सहित अन्य संकाय सदस्यों, अध्येताओं एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस उद्घाटन समारोह का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. वीरेन्द्र प्रताप द्वारा किया गया।
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