जिला कांग्रेस ने पूर्व
प्रधानमंत्री की 77 वी जयंती मनाई
(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी कि उनके ही निजी सुरक्षाकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी उनकी हत्या के कुछ घंटे बाद ही एक युवा को देश के प्रधानमंत्री की बागडोर सौंपी गई जिनका नाम राजीव गांधी था। उक्त आशय के विचार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष फुन्देलाल सिह मार्को ने स्वर्गीय राजीव गांधी जी की 77 वी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहीं।उन्होंने कहा कि स्वर्गीय राजीव जी ने अपने कार्यकाल में अपने कार्यों से देश की जनता के दिलों दिमाग पर अमिट छाप छोड़ दी जो आज भी याद किए जाते हैं।उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े सियासी घराने नेहरू-गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का आज जन्मदिवस है।इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्क 1984 में राजीव जी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने इस दौरान राजीव गांधी ने अपने कार्यों से देश की जनता के दिलोदिमाग पर अमिट छाप छोड़ी।एक ही कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।21 मई को लिट्टे उग्रवादियों ने उनकी जान ले ली थी।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में मुंबई में हुआ जब भारत को अंग्रेजी शासन की गुलामी से आजादी मिली तो इनकी उम्र महज तीन साल थी।देश आज़ाद हुआ और राजीव गांधी के नाना यानी जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।राजीव गांधी का बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता उनकी शिक्षा की बात करें तो वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया वहां उनके कई मित्र बने जिनके साथ उनकी आजीवन दोस्ती बनी रही।बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ पढ़े।स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए जल्द ट्रिनिटी कॉलेज को उन्होंने अलविदा कह दिया और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए जहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में मुंबई में हुआ जब भारत को अंग्रेजी शासन की गुलामी से आजादी मिली तो इनकी उम्र महज तीन साल थी।देश आज़ाद हुआ और राजीव गांधी के नाना यानी जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।राजीव गांधी का बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता उनकी शिक्षा की बात करें तो वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया वहां उनके कई मित्र बने जिनके साथ उनकी आजीवन दोस्ती बनी रही।बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ पढ़े।स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए जल्द ट्रिनिटी कॉलेज को उन्होंने अलविदा कह दिया और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए जहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
पायलट बनना चाहते
थे स्वर्गीय राजीव गांधी
थे स्वर्गीय राजीव गांधी
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष फुन्देलाल सिह मार्को ने कहा कि राजीव गांधी की रुचि राजनीति में कभी नहीं रही वह तो पायलट बनना चाहते थे लेकिन, जब 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई तो अचानक से राजीव गांधी के लिए भी परिस्थियां बदल गई उन्हें राजनीति में आना पड़ा और संजय गांधी की मृत्यु से खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से राजीव गांधी ने पहली बार उपचुनाव लड़ा।वह इस सीट से जीत गए और पहली बार संसद पहुंचे।31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके निजी सुरक्षा कर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटो बाद ही राजीव को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई गई इंदिरा गांधी की हत्या के ठीक दो महीने बाद यानि दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव हुए और इस चुनाव में कांग्रेस ने 524 सीटों में से 415 सीटों पर जीत दर्ज की।
21 मई 1991 की
रात हुई दर्दनाक मौत
रात हुई दर्दनाक मौत
राजीव गांधी 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे 21 मई 1991 की रात वह तमिलनाडु में चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे तो मंच की ओर आती एक महिला आत्मघाती हमलावर ने उन्हें माला पहनाने की कोशिश की जैसे ही महिला हमलावर ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी उसने अपने कमर पर बंधे बम का बटन दबा दिया इस धमाके में राजीव गांधी की दर्दनाक मौत हो गई।
वोट करने की
आयु सीमा घटाई
पहले देश में वोट करने की आयु सीमा 21 वर्ष थी, जो युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में गलत थी।उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार व सशक्त बनाने की पहल की 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं यह अधिकार उन्हें राजीव गांधी ने ही दिलाया था।
कंप्यूटर क्रांति स्वर्गीय
राजीव जी की ही देन है
राजीव जी की ही देन है
राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता।राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया।उन्होंने कुछ ऐसा किया कि कंप्यूटर आम लोगों तक पहुंच गया उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था तब कंप्यूटर महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की।
पंचायती राज
व्यवस्था की नींव
व्यवस्था की नींव
पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता।उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ।राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया।24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था।
नवोदय विद्यालयों की नींव ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई ये आवासीय विद्यालय होते हैं प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है बच्चों को छह से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है।
नवोदय विद्यालयों की नींव ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई ये आवासीय विद्यालय होते हैं प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है बच्चों को छह से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है।
राष्ट्रीय शिक्षा
नीति की घोषणा
नीति की घोषणा
राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की गई इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ।
दूरसंचार क्रांति
राजीव जी की देन
दूरसंचार क्रांति
राजीव जी की देन
कम्प्यूटर क्रांति की तरह ही दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।राजीव गांधी की पहल पर ही अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स(C-DOT) की स्थापना हुई।इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे।जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी इसके बाद 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई।
इनकी रही प्रमुख
रूप से उपस्थिति
रूप से उपस्थिति
इस अवसर पर काफी संख्या में कांग्रेस जनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।होटल गोविंदम के सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रमुख रूप से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पुष्पराजगढ़ विधायक फुन्देलाल सिह मार्को, पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रेम कुमार त्रिपाठी, संतोष अग्रवाल एडवोकेट,भगवती शुक्ला, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रामखेलावन राठौर, वासुदेव चटर्जी एडवोकेट, मयंक त्रिपाठी, आशुतोष सिंह मार्को, सत्येंद्र स्वरूप दुबे, उमेश राय, रियाज अहमद, राकेश गुप्ता, राजीव सिंह, रामाधार बैग, संजू द्विवेदी, गुलाब पटेल, राघवेंद्र पटेल, मनोज पटेल, उत्तम पटेल निरंजन यादव, संजू द्विवेदी, इंद्रावती राठौर, चंदा राठौर, संजय सोनी, जितेंद्र सोनी, राजू पटेल,रामाधार बैगा आदि कांग्रेस जन उपस्थित रहे।
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