(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से आयोजित स्वातंत्र्य आन्दोलन के मूल्य विषयक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में अध्यक्षीय सम्बोधन में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों से हमारी नई पीढ़ी को परिचित कराने का काम करेगा। यह महोत्सव उन मूल्यों की पुनर्स्थापना का भी अवसर देता है जिसमें राष्ट्र निर्माण के तत्व निहित हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में हमारी सनातन संस्कृति के मूल्य समाहित हैं। सामाजिक समरसता एवं समानता, लैंगिक समानता आदि मूल्यों ने स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन बनाया। कुलपति जी ने आगे कहा कि अहिंसा, सत्य और विवेक के मूल्य राष्ट्रीय आन्दोलन के आधारभूत मूल्य हैं जो हमारी सनातन परम्परा से निकले हैं। इन मूल्यों को आत्मसात् कर महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आन्दोलन को निर्णायक दिशा दी। उमंग, उत्साह और उत्सर्ग हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के अद्भुत मूल्य हैं, जिन्हे याद रखना होगा। यह मूल्य देश के लिए उमंग के साथ काम करने, उत्साह के साथ रचनात्मक अवदान करने, एवं राष्ट्र के लिए उत्सर्ग और त्याग की प्रेरणा देते हैं। कुलपति जी ने कहा कि संयम, सहयोग तथा सक्रियता के माध्यम से कोविड-19 की दुश्वारियों से मुक्ति प्राप्त होगी तथा हमारे शाश्वत मूल्य राष्ट्र को सबल बनाने का काम करेंगे जिसमें सबका सम्मान, सबकी पहचान, सबको शिक्षा, सबका विकास संभव होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के माननीय कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र जी ने कहा कि आज पूरी दुनिया मूल्यों के संक्रमण के दौर से गुजर रही है। ऐसे में आज़ादी का अमृत महोत्सव और स्वातंत्र्य आन्दोलन के मूल्यों को चर्चा में लाकर इस संक्रमण से निकलने का सही रास्ता खोजा जा सकता है। उन्होने आगे कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्य उस परम्परा से निकले हैं जहाँ युद्ध के शंखनाद के मध्य गीता का निष्काम योग गुंजित होता है। उन्होने योगी अरविंद के हवाले से कहा कि इतिहास कभी-कभी दस्तक देता है और हम यदि अपना दरवाजा बन्द रखते हैं तो उसकी सीख से वंचित रह जाएंगे। आज़ादी का अमृत महोत्सव और नई शिक्षा नीति के माध्यम से इतिहास का गौरव अपने सार्वभौम मूल्यों के साथ फिर दस्तक दे रहा है। हमको राष्ट्रनिष्ठा और राष्ट्रगौरव के बोध के साथ इन मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र और समाज के विकास के लिए तत्पर रहना होगा।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय, छपरा के समाज विज्ञान संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो सरोज कुमार वर्मा जी ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव नई ऊर्जा, नए विचार और आत्मनिर्भरता के मंत्र के अमृत को ग्रहण करने की प्रेरणा देता है। उन्होने कहा कि आज़ादी का आशय उद्दंडता नहीं है। हमे आत्मनिर्भर और शक्तिशाली भारत के लिए सोचना चाहिए। उन्होने कहा कि आज़ादी के आन्दोलन से निकले मूल्य आज सिद्धांतविहीन एवं अनैतिक हो रहे समाज और राजव्यवस्था को सही रास्ता दिखा सकते हैं। गांधीवादी सर्वोदयी मूल्यों को सर्वांगीण और संतुलित मूल्यों के लिए आवश्यक बताया। संगोष्ठी में विषय परिचय और अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो राघवेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह संगोष्ठी स्वातंत्र्य आन्दोलन के मूल्यों को सामने लाने और लोगों को उन मूल्यों से प्रेरित करने का काम करेगी। धन्यवाद एवं आभार डा.कुंजबिहारी सुलखिया ने किया। संगोष्ठी में मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ सहित कई प्रांतों के सहभागियों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया।
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