Anchadhara

अंचलधारा
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अग्नि अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी देवी माता आचार्य पीठ अमरकंटक पहुंची

  

अमरकंटक /श्रवण उपाध्याय

अमरकंटक (अंचलधारा) अग्नि अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी माता जी 5 फरवरी से मां नर्मदा की परिक्रमा में है।  परिक्रमा में नर्मदा नदी के प्रमुख स्थानों से होते हुए उत्तर से दक्षिण तट पर परिवर्तन के लिए अमरकंटक पंहुची।जहां पर मां नर्मदा के पूजन पश्चात उत्तर तट पर श्री कल्याण सेवा आश्रम में रात्रि विश्राम किया।वह दक्षिण तट पर श्री मार्कंडेय

आश्रम अमरकंटक में अग्नि पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर ब्रहम ऋषि राम कृष्णानंद जी महाराज के दर्शन उपरांत भगवान मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली व साक्षी गणेश की पूजन अर्चन की।इसी तरह अनवरत इनकी परिक्रमा मां नर्मदा के दक्षिण तट पर होते हुए उनके गृह ग्राम 18 फरवरी को पहुंचेगी।तथा 19 फरवरी को एक बड़े ही भंडारे के उपरांत परिक्रमा पूर्ण होगी।परिक्रमा के  साथ बहुत ही अच्छा अनुभव महसूस किया तथा मां नर्मदा ने साक्षात रुप से उनको यात्रा को पूर्ण करने की शक्ति प्रदान करती रही।वह मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली आचार्य जी ने बताया कि मार्कंडेय ऋषि इसी तपोस्थली पर तपस्या कर मां सुंधा को प्रश्न किया था तथा उन के तट पर अपने लिए स्थान मांगा था।  इसलिए परिक्रमा वासियों के लिए मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली बहुत ही महत्वपूर्ण है।उनको परिक्रमा के दौरान एक बार इधर आना ही चाहिए।कनकेश्वरी माता जी ने बताया कि अमरकंटक एक बहुत ही सुंदर वह धार्मिक स्थल है तथा यहां के संत महात्मा बहुत अच्छे हैं। सुबह बाबा कल्याण दास जी के दर्शन हुए दोपहर में आचार्य जी के दर्शन हुए मां नर्मदा के दर्शन हुए मन बहुत प्रसन्न हो गया।ऐसे ही संत महात्माओं दर्शन करते-करते मां नर्मदा की परिक्रमा पूर्ण हो जाएगी ऐसी मेरी मां से कामना है नर्मदे हर।
अग्नि अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी माताजी ने कहा कि मां नर्मदा के चरणों तक हम पहुंच गए हमारे लिए मां नर्मदा केंद्र है।मां नर्मदा हमारे लिए विशेष रूप से क्योंकि आचार्य जी की पीठ भी यहां है मार्कंडेय आश्रम भी यहां है।नर्मदा परिक्रमा का शुभारंभ मार्कंडेय जी द्वारा किया गया था।परिक्रमा वासियों के लिए यह स्थान महत्वपूर्ण है जिन्होंने प्रेरणा दी है उनके चरणों में सिर झुकना भी जरूरी है।

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