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झांसा देकर बार-बार बलात्संग करने वाले आरोपी की जमानत याचिका न्यायालय ने की निरस्त

 

(हिमांशू बियानी/जिला ब्यूरो)

अनूपपुर (अंचलधारा) न्यायालय द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश रविन्द्र कुमार शर्मा की न्यायालय ने आरोपी ओमप्रकाश पाव पिता बाबूराम पाव, निवासी फलवारीटोला, थाना रामनगर, तहसील कोतमा, जिला अनूपपुर म.प्र. जमानत याचिका निरस्त की गई।
मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने सहायक जिला अभियोजन अधिकारी कोतमा राजगौरव तिवारी के हवाले से बताया की मामला थाना कोतमा के अ.क्र.372/20 धारा 366क,376,376(2)(एन)भादवि से संबंधित है जिसमें आरोपी के द्वारा फरियादिया को तकरीबन 04 माह पहले अपनी गाडी में घुमाने की बात कहकर फरियादिया को अपने गांव फुलवारी टोला में ले गया और कहने लगा मै तुमसे प्यार करता हूं, तुमसे शादी करना चाहता हूं और तकरीबन शाम 05.00 बजे पास के मैदान में वह अपने गाडी में ही शराब पिया उसके बाद फरियादिया के साथ जबरन दुष्कर्म किया तथा दूसरे दिन उसे उसके घर छोड दिया तब से आरोपी फरियादिया के घर आता और दुष्कर्म करता रहा। जिसकी जानकारी फरियादिया ने अपने घरवालो को दी जिनके बाद रिपोर्ट दर्ज करावायी जिसे उक्तानुसार अपराध को थाना कोतमा द्वारा दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया गया।
आरोपी ने यह लिया था आधार आवेदक आरोपी द्वारा जमानत आवेदन में आवेदक को झूठा रंजिशन फंसाया गया है आवेदक की चल एवं अचल संपत्ती अनूपपुर में उसे भागने एवं फरार होने की संभावना नही है उक्त अपराध के निराकरण में काफी समय लगने की संभावना है इसलिए जमानत का लाभ दिया जाए।
अभियोजन ने इस आधार पर किया था विरोध उक्त आवेदन पत्र अपर लोक अभियोजक शैलेन्द्र सिंह द्वारा जमानत आवेदन का इस आधार पर विरोध किया झासा देकर अभियोक्त्री के साथ बार-बार बलात्कार करना पाये जाने पर 366क, 376, 376(2)एन भादवि के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है जो कि गंभीर प्रकृति का है महिलाओं के विरूद्ध बढ रहे अपराध को देखते हुए आवेदक को जमानत का लाभ दिया जाना उचित नही होगा। उभयपक्षों के तर्को को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी की जमानत याचिका अंतर्गत धारा 439द.प्र.स. निरस्त कर दिया।
इसके पूर्व भी इसी मामले में आरोपी द्वारा न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के.पी.सिंह न्यायालय में भी अंतर्गत धारा 437द.प्र.स. के अंर्तगत जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें अभियोजन अधिकारी श्री राजगौरव तिवारी द्वारा न्यायालय के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत की थी जिसपर आरोपी के आवेदन को माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया था और आरोपी को जेल भेज दिया गया था।

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