Anchadhara

अंचलधारा
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आपदा और उपलब्धियों से भरपूर रहा पिछला साल 2020

 


                             (मनोज द्विवेदी)
अनूपपुर (अंचलधारा) शाहीन बाग से शुरु हुआ साल 2020 पंजाब - हरियाणा के किसानों के धरने के बीच गुजर गया। जिस गति और घटनाओं के साथ 2020 ने यह यात्रा संपन्न की ,उसने दुनिया भर के इंसानों को हदों में रहने की गंभीर चेतावनी दी है।  वैश्विक आपदाओं से भरपूर 2020 को यदि कोराना वर्ष कहा जाए तो किसी को भी आपत्ति नहीं होगी।  मानव इतिहास में दुनिया को पहली बार ऐसे अदृश्य दुश्मन से दो-चार होना पड़ा , जिसने इंसानों को उसकी औकात दिखा कर पुरातन संस्कृति की ओर पलट कर देखने को मजबूर कर दिया। चीन कोविड 19 वायरस से  मानव जाति को बचाने के लिये वैश्विक लाकडाउन करना
पड़ा।भारत सहित दुनिया के लगभग सभी विकसित , विकासशील देशों में कोविड वायरस से बचने के लिये लोग घरों में बन्द हो गये। सोशल डिस्टेशिंग + मास्क + हाथों को बार बार साबुन से धोना जिन्दगी बचाने का मूल मंत्र बन गया। दुनिया ने पहली बार वायरस का प्रकोप तथा लाभ,  दोनों एक साथ देखे।
भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में पांच माह से अधिक लाकडाउन लगाया गया। लाखों मजदूरों में कोरोना से अधिक भुखमरी का खौफ फैल गया। घर वापसी पर उतारु मजदूरों के पैदल यात्रा करते जत्थों को सहयोग के लिये लोगों ने हाथ बढाए। मजदूरों की सहायता के लिये सरकार, प्रशासन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा सहित तमाम दल, समाजसेवी संगठनों के साथ - साथ व्यक्तिश: लोगों ने पहल की।
अनूपपुर जैसे छोटे , जनजातीय बहुल जिले में जिला प्रशासन की कमान संभाले कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर के साथ सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह, वरिष्ठ पत्रकारों ने खुल कर मोर्चा संभाला। कलेक्टर श्री ठाकुर के साथ उनके अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग का अमला, पुलिस, नगरपालिकाओं ने प्रत्येक सूचना पर त्वरित कार्यवाही की। जिले में लाकडाउन के दौरान एक भी व्यक्ति भूखा नहीं मरा। कुछ लोगों ने भले ही लाकडाउन तथा सरकार के प्रयासों की खिल्ली उड़ाई हो, प्रत्येक स्तर पर जमकर मेहनत हुई। कोविड का जैसा आतंक विकसित देशों में दिखा , उसका अंश मात्र भी जिले ने इसकी परवाह नहीं की।
अनूपपुर जिले मे 2020 का शुभारंभ अमरकंटक नर्मदा महोत्सव से हुआ। जिला प्रशासन की पहल पर आयोजित नर्मदा महोत्सव ,  जिले के दो कांग्रेसी विधायकों की महत्वाकांक्षा तथा कुछ अधिकारियों के भ्रष्टाचार की बलि चढ गया। कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर की सदिच्छा पर उनके ही अधीनस्थ अमले ने पलीता लगाने की कोशिश की। तब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कमलनाथ , दिग्विजय सिंह की उपस्थिति मे प्रदेश के कद्दावर जनजातीय नेता तथा अनूपपुर के बुजुर्ग विधायक बिसाहूलाल सिंह को उपेक्षित करके,उन्हे अमानित करने की चाल प्रदेश सरकार पर भारी पड़ गयी। नाराज बिसाहूलाल ने सरकार गिरा कर कमलनाथ- दिग्विजय की जोड़ी को सड़क पर ला दिया।
बिसाहूलाल ने भाजपा की सदस्यता लेकर शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनवा कर एक नई राजनैतिक पारी का आगाज कर दिया। विधानसभा उप चुनाव हुए ,जिसमे उन्हे ऐतिहासिक विजय मिली। इस चुनाव में विंध्य राजनीति के चाणक्य पूर्व मंत्री, रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला , प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल रौतेल , संभागीय संगठन मंत्री श्याम महाजन, जिलाध्यक्ष ब्रजेश गौतम के साथ केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे, सांसद हिमाद्री सिंह के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत की।
2020 में जिले की राजनीति के दो धुर विरोधी नेता बिसाहूलाल तथा रामलाल को एक खेमे में,एक मंच पर ला दिया।
कोतमा के एक सरकारी मंच पर कोतमा विधायक सुनील सराफ द्वारा भरे मंच से मंत्री बिसाहूलाल सिंह तथा कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर के विरुद्ध असंयमित , अभद्र , उकसाऊ आचरण के विरुद्ध भाजपाईयों ने जिस संयम का परिचय दिया, उससे कोतमा विधायक का राजनैतिक कद तेजी से गिरा है। यद्यपि ऐसे की अवसर आए जब उन्होंने पद की गरिमा के विरुद्ध आचरण किया है, लेकिन जिले की जनता ने उनसे कोई बड़ी अपेक्षा नहीं रखी  इसलिए किसी को आश्चर्य भी नहीं हुआ। 2020 में बिसाहूलाल के भाजपा में आ जाने से कुछ मुर्दा नेताओं में प्राण फुंक गये। उनकी सक्रियता बन्दरों से दोस्ती जैसा ही रहा है। जिसका नुकसान मंत्री को होता दिखा है। 2021 इन संबंधों की परीक्षा का वर्ष होने जा रहा है।
2020 पत्रकारिता के स्तर में गिरावट के लिये भी जाना जाएगा। जिला प्रशासन , जनप्रतिनिधियो तथा पत्रकारों के मध्य समन्वय की कड़ी कमजोर हुई है। जन सरोकार की पत्रकारिता रेत, सट्टा, जुआ, शराब , महीनाबंदी, ब्लैकमेलिंग की शिकायतों के बीच सिकुड गया। क ई अवसरों पर पत्रकारों में ही एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड दिखी। पत्रकारिता से इतर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्बारा भाषाई मर्यादा की सीमाएँ लांघने की घटनाएं आम हुई हैं।
2020 में कोविड के चलते लाकडाउन के बीच मनुष्यों की गतिविधियों पर अंकुश लगने का सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला। घरों मे बन्द लोगों के बीच पारिवारिक समझ बेहतर हुई। रिश्तों में गर्माहट आई। बच्चों ने नजदीक से इस आपदा को, उसके प्रभाव को समझा। भारतीय परिवारों में पुरातन संस्कृतियों, संस्कारों , रीति - रिवाजों , जीवन शैली को जीने की कोशिश की। आयुर्वेद , योग, ध्यान, प्रार्थना , प्रकृति के प्रति लोगों का लगाव दिखा। दो पीढ़ियों के बाद एक बार फिर बुद्धू बक्से पर रामायण, महाभारत, चाणक्य सहित अन्य धार्मिक- सामाजिक सीरियल्स से लोग अपने बचपन, किशोरावस्था को याद कर
सके।
2020 ने लोगों में सहनशीलता, जडों की ओर वापस लौटने, कम खर्च में लेकिन सुकून के साथ - सब के साथ जीवन जीने, गांव की ओर वापस आने, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने का भाव मजबूत किया है। उनमें सृजनात्मक कला जीवित हुई है।
स्वयं मैने लाकडाउन के दौरान घर में झाडू लगाने, नियमित व्यायाम- योग, प्रार्थना- ध्यान के साथ सामाजिक दायित्व का निर्वाहन करते हुए चालीस से अधिक लेख, सात कविताएँ, पैंसठ खबरें बनाने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्चुवल आयोजनों में शामिल होते हुए संघ का गीत भी गाया। दशकों बाद हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने 75 वर्षीय अम्मा जी का एक साथ सान्निध्य प्राप्त किया।
कोविड के कारण अपनों को खोने वाले लोगों के दुखों के लाखों किस्से 2020 के नाम हैं। उनका यह दुख हम बांट सकते हैं, शायद उनके प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि मरहम से अधिक कुछ ना हो। लाखो वे लोग ,जिनके हाथों से रोजगार छिन गये, एक - एक दाने को मोहताज हो गये। लाखों ऐसे लोग जिन्होंने पलायन का भयावह दर्द सहा। वैश्विक आपदा की भयावहता सभी ने भोगी है। जो घर से बाहर थे ...जो घर में थे, सभी की पीड़ा है , जो समय पर कम होंगी।
इसके बावजूद 2020 ने हमें बहुत कुछ लौटाया है। नदियों को साफ़ पानी,पेड़ों को हरियाली, पहाड़ों को झरने की कल- कल ,
बेघर पशु-पक्षियों को घर,स्वच्छ आसमान, शुद्ध प्राण वायु,
धड़कनों को सांसें,जीवन को अर्थ,रिश्तों को प्यार,बागों में फूलों की बहार,सर्दी की बर्फ़, गर्मी को ठंडी हवाएं, सूखे को बरसात,
ज़िंदगी को मौसमी सौगात । 2020 मे प्राकृतिक आपदा के बीच पर्यावरण, संस्कृति, संस्कार, रिश्ते, विचार, धर्म, आध्यात्म, प्रकृति, जीवन...सब कुछ स्वस्थ, स्वच्छ, सुघड हुआ है।
एल ए सी पर चीनी हिमाकत का कडा जवाब देते भारत की मजबूती दुनिया ने देख ली है। कोविड और चीनी घुसपैठ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत , वोकल फार लोकल का असर स्पष्ट है। देश की सीमाओं पर सेना पहली बार आक्रामक है। मोदी सरकार ने सीमाओं को मजबूत किया है। कश्मीर - जम्मू की फिजा बदल गयी है। धारा 370 समाप्त हो गया है। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मन्दिर का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। किसानों की दशा मजबूत करने के लिये कदम उठाए जा चुके हैं। तमाम सुधारों के बीच देश को कमजोर करने के षडयंत्र भी रचे जा रहे हैं। जिन्हे लेकर सरकार सतर्क है। भारत मजबूत हुआ है, स्वदेशी के लिये आग्रह बढा है।
किसी ने कहा है कि रखना याद.... हर हार के बाद है जीत।जा रहा हूँ,मैं हूँ साल दो हज़ार बीस।दुखों को नहीं ! खुशियों को याद रखना । मिली है जो सीख,उसे संभाल रखना। प्रकृति से अब और मत खेलना। संसार सब का है,याद रखना। ज़्यादा नहीं....थोड़े की  है ज़रूरत ।‌लालच भरी ज़िंदगी की...बदलनी है सूरत ।
हे प्रभू ! हे मेरे महाकाल ...अजब - गजब तेरी माया। कर्म अनुसार रहता है...कहीं धूप - कहीं छाया। हम भारतीय ! करते हैं यह प्रार्थना ! हे प्रभू .... विश्व का कल्याण हो...प्राणियों में सद्भावना हो...स्वस्थ रहो...खुश रहो।

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