अनूपपुर के बिगड़े माहौल
पर चिंतन कर रखे अपने विचार
अनूपपुर (ब्यूरो) नगर में पिछले दिनों सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट के बाद हुई माबलिंचिंग के बाद जिला मुख्यालय के बिगड़े माहौल पर चिन्तन करते हुए वरिष्ठ लेखक, जाने माने साहित्कार उदय प्रकाश ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमारा जिला ऐसा कभी नहीं रहा है कि यहाँ के झगडे को सांप्रदायिक झगडे का रूप दिया हो।लेकिन आज कल के युवा लड़के एक दूसरे के संबंधो को नहीं समझ पा रहे है और आपसी झगडे को सांप्रदायिकता का रूप दे कर इंसानों को इंसानों से लड़ाया जा रहा है।जब कि राम हो या मोहम्मद सभी ने प्रेम बांटने की बात करते रहे है इसलिए हमको भी धर्म के नाम पर झगडा करने वालों से दूर होना चाहिए । लोगों को समझना होगा कि हिंसा करने वालों का कोई धर्म नहीं होता |
नगर में पिछले दिनों सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा माहौल ख़राब करने की कोशिश की गई । जिसको देखते हुए राष्ट्रीय युवा संगठन, नागरिक अधिकार मंच, आशा संस्थान, क्षेत्रीय विकास समिति, मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल आदि सामाजिक संस्थाओं की ऑनलाइन बैठक किया।
बैठक को संबोधित करते हुए सामजिक कार्यकर्ता गणेश शर्मा ने कहा कि हमारा क्षेत्र ऐसा कभी नहीं रहा है कि किसी धर्म की बुराई करने या किसी के धर्म पर कुछ कहने पर किसी को मारने की इजाजत दी गई हो । ऐसा करना हमारे समाज व धर्म के लिए कलंक की तरह है। ऐसा करने वाले किसी धर्म के तो नहीं हो सकते, क्यों की धर्म तो कहता है कि रामहि केवल प्रेम पियारा, जानि लेहु जो जानहि हारा । जो धर्म सिर्फ प्रेम के लिए बना हो, वो हिंसक गतिविधि में नहीं हो सकते इसलिए मैं निवेदन करता हूँ सभी धार्मिक लोगों से कि धर्म के आड मे हिंसा को बढ़ावा न दीजिये। बाबूजी ने कहा कि धर्म के नाम में प्रेम को फैलाए, बढ़ाएं | गिरीश पटेल ने कहा कि हमारे बीच सोशल मीडिया का होना बहुत अच्छा भी है और बहुत खतरनाक भी । आप इसे कैसे उपयोग करते है, यह जानना समझना और देखते रहना ज्यादा जरुरी हो चला है। हमारे नगर में जो हुआ, उससे मैं उदास हूँ और चिंतित भी कि हमारी संस्कृति के ऐसा कौन खेल रहा है, एक छोटी सी पोस्ट से लोगों के जान तक की बात हो जाती है।
राष्ट्रीय युवा संगठन के पूर्व संयोजक भूपेश भूषण ने कहा कि यह घटना व्यक्तिगत नासमझी के कारण हुई है। धर्म क्या है , यह भी उन्हें नहीं पता है। लेकिन अर्थ इतना निकाल लिया गया कि हमारे गंगा जमुना तहज़ीब में हिंसा का माहौल बनाया गया। आपने कहा कि यह गाँधी का देश है और गांधीजी ने कहा था कि हिंसा से कोई रास्ता निकलेगा नहीं, हिंसा चाहे घर का हो, परिवार के बीच हो, समाज के बीच हो या दो समुदाय के बीच इसमें आज तक नुकसान ही हुआ है ।
यह राजनीति है ! जो अपनी रोटी सेकती रहती है, इसलिए हमें इससे बचना चाहिए और अपने जिले के शांति, अमन आपसी भाईचारा को बनाये रखना है।
सामाजिक कार्यकर्ता पवन सत्यार्थी ने कहा कि जिस तरह से मामले ने साम्प्रदायिक रंग लिया है, उससे साफ जाहिर है कि इसके पीछे साम्प्रदायिकता की राजनीति भी सक्रिय है।
वरिष्ठ पत्रकार व मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल के पूर्व अध्यक्ष संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षा के लिए व्यक्तिगत झगड़ो को सांप्रदायिकता में बदला जाता है। धर्म, राजनीति, क्षेत्रवाद, नस्लीयता या फिर किसी भी आधार पर होने वाली सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिये ज़रूरी है कि हम सब मिलकर सामूहिक प्रयास करें और अपने कर्त्तव्यों को समझे ।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रईस खान ने कहा कि यह जो भी हुआ गलत ही हुआ है, हम इसकी निंदा करते हैं।समाज से कहना चाहता हूँ कि पैगम्बर मोहम्मद साहब प्रेम और करुणा की मिसाल रहें है। हमें उनके नाम से हिंसा नहीं करना चाहिए, हमें प्रेम के साथ सभी से बात करना चाहिए व साथ जोड़ना चाहिए।विनय विश्वकर्मा ने कहा कि क्या सही है क्या गलत इसका फैसला हम सब कौन होते है ? हमारा संविधान है , एक व्यवस्था बनाई है ।अगर किसी को गलत लगता है तो अपनी बात न्यायपालिका के सामने रखे। हम और आप किसी को भी सजा नहीं दे सकते, न इसका हक हमें देश का संविधान देता है।
शिवकांत त्रिपाठी ने कहा कि यह असल में किसी धर्म की लड़ाई नहीं है। यह तो युवाओं के बीच का आपसी झगडा है जिसे धर्म का रूप देने की कोशिश हो रही है। इसका हम विरोध करते है।
एडवोकेट विजेन्द्र सोनी ने कहा कि हमारे नगर में ऐसी घटना हमे निशब्द करती है। हम सोच भी नहीं पा रहे कि हमारे जिले में भी ऐसा हो सकता है। मैं बहुत दुखी हूँ और कहना चाहता हूँ कि कानून है, प्रक्रिया है... देश को मानने वाले इस पर भरोसा करें और इसका सहारा लें।हिंसा से कोई रास्ता नहीं निकलता है।
आखिर में रायुसा प्रदेश संयोजक अजमत भाई ने कहा कि हमारी प्रकृति व परमात्मा एक ही है तो हम क्यों धर्मों के नाम पर बटे हुए है, धर्म में सिर्फ प्रेम की बात है।
मैं पढता हूँ तो पता चलता है मोहम्मद साहब हो या राम जी सभी ने प्रेम का सन्देश हमें दिया है । कुछ लोग अपने राजनैतिक रोटी सेकने के लिए उनका नाम लेकर हिंसा करते
है।आपने कहा कि हमारे इस देश में अनेक धर्मो और मतों को मानने वाले लोग रहते हैं, मगर सबका अगर सार देखा समझा जाये तो एक ही है, लेकिन हमने धर्म के मूल को समझने की बजाय परमात्मा को ही बांट दिया है । पर क्या हम परमात्मा को बांट सकते हैं? जब प्रकृति, उसके सूरज, चांद, वायु, आकाश सभी धर्मो के लोगों के हैं तो अल्लाह, ईश्वर, जीसस और वाहेगुरु अलग कैसे हो गए? यदि हिंदू किसी मस्जिद में जाकर प्रार्थना करे तो क्या अल्लाह उसकी पुकार नहीं सुनेगा? मुस्लिम की प्रार्थना क्या मंदिर का ईश्वर नहीं सुनेगा?
बैठक में मुख्य रूप से उदय प्रकाश, अन्नत जौहरी जी, गणेश शर्मा, गिरीश पटेल, भूपेश, अजमत, विनय, शिवकांत, संतोष कुमार द्विवेदी, राजेश मानव, कुमकुम सिंह, हिमेंदरी सिंह, शिवकांत त्रिपाठी, रईस खान, पवन शिल्पी शामिल आदि शामिल रहे।
0 Comments