(हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
लोक अभियोजक बने पीड़ित
बच्चों की आवाज-पुरुषोत्तम
अनूपपुर (अंचलधारा) मीडिया प्रभारी अभियोजन राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि लोक अभियोजन संचालनालय मध्य प्रदेश ने दिनांक 05.08.2020 को ऑनलाईन वेबिनार के माध्यम से पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत "विशेष लोक अभियोजक की भूमिका रिमांड से अंतिम निर्णय तक" विषय प्रशिक्षण पुरुषोत्तम शर्मा, महानिदेशक संचालक लोक अभियोजन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। हेमन्त जोशी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश) बड़वानी म.प्र. ने मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान दिया। पुरुषोत्तम शर्मा ने पॉक्सो एक्ट के आवश्यकता एवं इसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब एक अबोध बालक या बालिका के साथ लैंगिक शोषण का अमानवीय पाशविक कृत्य की घटना अपने आप में इतनी भयावह है की एक सभ्य समाज की कल्पना को सिरे से नकार देती है। दुख तब और भी होता है जब ऐसी घटना घट जाने के बाद पीड़ित व्यक्ति व उसके परिवार जन न्याय प्राप्ति हेतु ना सिर्फ संघर्ष करते हैं वरन् कई बार लगता है कि वह बिना न्याय प्राप्त किए हार मान लेते हैं और यहां मुझे लगता है कि उस कृत्य को करने वाला जितना जिम्मेदार वह दुराचारी है जिसने वह कृत्य किया है उतनी ही जिम्मेदार यह समाज भी है जो उसे न्याय ना दिला पाया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने यह निर्णय लिया है कि हम हमारे विभाग के प्रत्येक लोक अभियोजन अधिकारी को इस अधिनियम के अंतर्गत प्रशिक्षण देंगे और उन्हें इस विषय की ओर और अधिक गंभीरता एवं जिम्मेदारी से अभियोजन संचालन हेतु प्रशिक्षित करेंगे, ताकि नन्हे नन्हे बालक बालिकाओं के प्रति हुए घृणित अपराध को करने वाले नरपिशाचों को बख्शा ना जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। यही नहीं हमने विभाग की ओर से इस प्रकार के प्रकरणों के प्रभावी संचालन एवं समय पर न्याय प्राप्ति हेतु सुविधाओं में भी बढ़ोतरी हेतु सरकार को 11 करोड़ का प्रस्ताव भेजा है। मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि वर्ष 2018 में हमने संपूर्ण भारत वर्ष में सबसे अधिक फांसी की सजा पॉस्को के अपराधियों को दिलवा कर "वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन" में मध्यप्रदेश लोक अभियोजन का नाम दर्ज करवाया था और हम निरंतर अपने इस प्रयास को आगे बढ़ाने हेतु तन मन धन से लगे हुए हैं, यह वेबिनार भी इसी की एक कड़ी है। मेरा सभी अभियोजन अधिकारियों से आह्वान है कि प्रॉसिक्यूटर को पीड़ित बच्चों की आवाज बनना है और समाज में एक ऐसी सीख प्रस्तुत करना है कि भविष्य में छोटे-छोटे बच्चों के विरुद्ध ऐसे घृणित कृत्य को करने के पहले किसी भी व्यक्ति का दिल दहल जाए।हेमंत जोशी द्वारा अपने व्याख्यान में पॉक्सो एक्ट की चर्चा की गयी। उन्होंने लोक अभियोजन अधिकारियों द्वारा पॉक्सो प्रकरणों का किस तरह से संचालन किये जाने के विषय में बताया। उनके द्वारा अधिनियम के विशेष प्रावधानों को विस्तार से समझाया गया। उन्होंने न्यायालय की अभियोजन से क्या अपेक्षा रहती है इस पर भी विस्तार से चर्चा की। उम्र निर्धारण, अनुसंधान समय सीमा, सी डी, डीएनए आदि विषय पर न्याय दृष्टांतों के साथ उनकी व्याख्या भी की। उन्होंने लोक अभियोजन अधिकारी की भूमिका के सम्बन्ध में विस्तार से बताया जिससे ऐसे अपराध करने वालों को अधिक से अधिक दण्ड से दण्डित किया जा सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा सुश्री सीमा शर्मा, एडीपीओ राज्य समन्वयक पॉक्सो, रतलाम द्वारा तैयार गई तथा कार्यक्रम का संचालन भी किया गया। प्रशिक्षण में लोक अभियोजन म.प्र. के समस्त उप-संचालक, जिला लोक अभियोजन अधिकारी, पॉक्सो एक्ट के विशेष लोक अभियोजक, प्रभारी विशेष लोक अभियोजक एवं जिला समन्वयकों ने सम्मिलित होकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। शहडोल संभाग से जिला शहडोल से जिला अभियोजन अधिकारी विश्वजीत पटेल, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी, रुक्मण चतुर्वेदी, व्यहारी, राजकुमार रावत बुढ़ार, और अभियोजन अधिकारी सी.पी. मिश्रा, श्रीमती कविता कैथवास, कुबेन्द्रशाह ठाकुर, श्रीमती सुषमा सिंह, मनोज पनिका, संतोष पाटले, संभगीय मीडिया प्रभारी अभियोजन नवीन कुमार बर्मा और जिला अनूपपुर से जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरि ,विशेष लोक अभियोजक पास्को हेमंत अग्रवाल, अभियोजन अधिकारी, राजगौरव तिवारी, राकेश कुमार पाण्डेय, नारेन्द्रदास महरा, शुश्री शशि धुर्वे, विशाल खरे और जिला उमरिया से जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती अर्चना रानी मरावी, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी सुशील शुक्ला, अभियोजन अधिकारी काशीराम पटेल, प्रकाश चंद सोनी, ब्रजकिशोर बर्मा, नारायण धुर्वे ने भाग लिया।
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