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कोविड-19 के नाम पर स्वास्थ्य विभाग हो गया फ्री हैंड प्रचार प्रसार के नाम पर 4 लाख 16 हजार 682 का खर्चा चर्चा में


अनूपपुर (अंचलधारा) जब से अनूपपुर में जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बी.डी.सोनवानी पदस्थ हुए हैं जब से जिला चिकित्सालय चर्चा में आ गया है । पूर्व में डॉक्टर आर.पी. श्रीवास्तव भी पदस्थ से लेकिन किसी बात की चर्चा कभी सुनने को नहीं मिली। पूर्व में मलेरिया विभाग में भर्ती काफी चर्चा में रही जिसे निरस्त करना पड़ा लेकिन कोर्ट से स्टे पर मामला अटका हुआ है। कोविड-19 का प्रकोप मार्च 2020 से हर तरफ फैला हुआ है सभी तरह के कार्य प्रतिबंधित है। उसके बावजूद भी एक पत्र कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश का जो की राज्य स्वास्थ्य सूचना शिक्षा संचार ब्यूरो मध्यप्रदेश भोपाल को 23/05/2020 को प्रेषित किया गया है। जिसमें कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव हेतु कि गई आई ई सी गतिविधियों की जानकारी देने के संबंध में था। जो कि राज्य स्वास्थ्य सूचना शिक्षा संचार ब्यूरो के प्रत्युत्तर में दिया गया। जिसमें 4 लाख 16 हजार 682 रुपए का खर्च प्रस्तुत किया गया। लेकिन वास्तविकता में यह खर्च धरातल पर हुआ है या नहीं यह जांच का विषय है। जिला मुख्यालय में अधिकांश समाचार पत्रों के ब्यूरो कार्यालय हैं लेकिन अपील विज्ञापन प्रकाशन के नाम पर 5 समाचार पत्रों के लिए 5000 रुपए की राशि का खर्च दिखाया गया है किन समाचार पत्रों में अपील का प्रकाशन हुआ यह कहीं पर स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा मीडिया कार्यशाला जिला स्तर पर की गई जिसमें 5000 रुपए खर्चा दिखाया गया है यह कार्यशाला कब हुई किसी को भनक तक नहीं लगी। जबकि कोविड-19 में किसी भी तरह के आयोजन पर प्रतिबंध केंद्रीय गृह मंत्रालय के गाइडलाइन से लगा हुआ था। स्थानीय स्तर पर केवल के माध्यम से प्रचार प्रसार पर 5000 रुपए खर्च दिखाया गया है, दीवार लेखन पर 1 लाख 53 हजार 200 रुपए खर्च दिखाया गया है ,मल्टी कलर पंपलेट पर 48 हजार 179 रुपए खर्च दिखाया गया है, विभागीय होल्डिंग के नाम पर 31 हजार का खर्च दिखाया गया है ,सीएचसी पीएचसी मैं बैनर फ्लेक्स के नाम पर 12 हजार 992 रुपए खर्च दिखाया गया है ,जिले में वाहन द्वारा गांव से शहर तक माइकिंग के नाम से 51890 रुपए खर्च दिखाया गया है ,पोस्टर के नाम से 10 हजार रुपए खर्च दिखाया गया है ,वही 10 टोल नाकों पर प्रचार प्रसार के लिए 11 हजार चार सो 21 रुपए का खर्च दिखाया गया है। लेकिन अधिकांश खर्च केवल कागजों तक ही सीमित है। जनता के मध्य ऐसे कोई भी खर्च देखने में नजर नहीं आए। इसकी शिकायत भी कुछ जागरूक लोगों ने 24/06/2020 को कलेक्टर अनूपपुर, मुख्यमंत्री ,प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, कमिश्नर शहडोल को भी की थी गई थी लेकिन उस पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई । कल सोशल मीडिया पर 23/05/2020 के खर्च का पत्रक जब वायरल हुआ तो चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। बताया गया कि एक सामाजिक कार्यकर्ता ने विश्व में फैली कोरोना महामारी से जागरूकता के संबध में जिले में निरंतर सामाजिक कार्य करते हुए कोरोना महामारी से बचाव के संबंध में किसी तरह की कोई भी प्रचार प्रसार के संबध में गतिविधियां नहीं की जा रही है। जिसके संबध में उसने स्वास्थ्य विभाग के जिले में प्रचार-प्रसार अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.बी. डी. सोनवानी से चर्चा कर प्रचार प्रसार कराये जाने हेतु निवेदन किया। किंतु कहीं पर भी किसी भी तरह का प्रचार प्रसार कार्य नहीं दिखा और विभिन्न विकासखण्डों में फीवर क्लीनिक का संचालन व प्रचार प्रसार नहीं होता पाया गया। इस शिकायत के बाद फीवर किलनिक तो खोल दिए गए लेकिन प्रचार प्रसार में कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस संबध में जब संबधित कार्यालय से जानकारी प्राप्त की गई तो बताया गया कि प्रचार प्रसार में लगभग 3 से 4 लाख रूपये खर्च कर दिये गये हैं। जबकि इतनी राशि खर्च करने के पश्चात भी संपूर्ण जिला कोरोना महामारी के प्रचार प्रसार से विहीन है। इस तरह अनूपपुर जिले में पदस्थ डिप्टी मीडिया अधिकारी , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी एवं कर्मचारी मिलकर कोविड-19 को कागजों तक सीमित रखा। इतना ही नहीं उपजिला मीडिया अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मलेरिया विभाग में शेष स्वीकृत पदों के विरूद्ध दिनांक 20/01/2020 को 12 पदों की भर्ती नियम विरूद्ध भर्ती प्रक्रिया एवं आरक्षण रोस्टर का पालन किये बिना ही कर ली गई। इतना ही नहीं इन पदों में 02 सर्विलेंस इंस्पेक्टर की भर्ती जो कि ग्रेड पे के आधार पर शासन स्तर से होनी थी, उसे भी स्थानीय स्तर पर कर ली गई एवं स्थानीय बेरोजगार युवकों के साथ धोखाधड़ी कर नियम विरूद्ध भर्ती कर रोजगार के अवसर से वंचित रखा गया।उक्त समस्त पदों पर की गई भर्ती में उपजिला मीडिया अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मिलकर भारी भ्रष्टाचार कर नियम विरूद्ध भर्ती आदेश जारी किये थे। जिसकी जांच उपरांत कमिश्नर शहडोल एवं कलेक्टर अनूपपुर द्वारा भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी एवं गलत तरीके से होने की शिकायत पर जांच टीम गठित की गई। जांच टीम द्वारा संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया के दस्तावेज की जांच कर प्रक्रिया के मापदण्डों का पालन न करने पर पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया। जिसका प्रकरण भी माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है। देखना है कोविड-19 के नाम पर जो चर्चा जनमानस के मध्य आई है उस पर जिला प्रशासन स्वास्थ्य विभाग पर आने वाले दिनों में क्या एक्शन लेता है?
जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बी.ड़ी.  सोनवानी से इस संबंध में जानकारी लेने की कोशिश की गई लेकिन उनका मोबाइल व्यस्त ही बताता रहा।

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