(मनोज द्विवेदी ,अनूपपुर, मप्र)
भारत एवं चीन के बीच लद्दाख के गवलान में पीपी - १४ के समीप हुए हिंसक झडप में भारतीय सेना के २० जांबाज सैनिकों की शहादत ने दुनिया का ध्यान दशकों पुरानी इस समस्या की ओर खींचा है। २०१७ में डोकलाम में लंबे तनातनी के बाद पीछे हटने को मजबूर हुई चीनी सेना मई २०२० में एकबार फिर लाकडाऊन के बीच पैंगाग झील के पास फिंगर ४ तथा गवलान घाटी मे पी पी १४ के पास कैम्प लगाकर सैनिकों, हथियारों, वाहनों का बडा जमावड़ा करने मे सफल रही। इसे लेकर झडपों के साथ दोनो सेनाओं के बीच कई स्तर की वार्ता के बाद तनाव कम करने के लिये पीछे हटने पर सहमति बनी। सहमति पर अमल हो रहा है या नहीं, यह देखने के लिये जब भारतीय सेना के कुछ लोग पेट्रोलिंग के लिये वहां पहुंचे तो चीनी सेना ने उन पर लोहे के राड, कंटीले तार लगे डंडों, पत्थरों से हमला कर दिया। उसके बाद हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के २० जवान शहीद हुए। जबकि समाचार एजेंसियों के अनुसार चीन के ४३ से अधिक सैनिक मारे गये।
इस खबर के आने के बाद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी तथा उनके पुत्र राहुल गांधी ने सरकार पर कई आरोप लगाते हुए कुछ ऐसे सवाल खडे किये ,जिससे उनकी मंशा पर गंभीर सवाल उठ खडे हुए हैं । ऐसा पहली बार नहीं है कि जब कांग्रेस ने सेना के पराक्रम पर सवाल खडे किये हों । सर्जिकल स्ट्राइक तथा बालाकोट हमले के बाद भी कांग्रेस का ऐसा ही आचरण था। कुछ अन्य नेताओं के साथ उस वक्त भी कांग्रेस की बेचैनी बढ गयी थी। तब भी ऐसे बयान इन्होंने दिये जिससे सेना का मनोबल गिरा तथा देश की छवि पर आंच आई।
गवलान में बीस सैनिकों की शहादत को कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर सवालों के घेरे में रखते हुए चीनी सेना को हुई बडी क्षति पर चुप्पी साधे रखी।
कुटिलता की पराकाष्ठा को पार करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कायर, डरपोक प्रचारित करने की साजिश की। साजिश इसलिए कि जब एक ओर दुनिया भर में चीन के विरुद्ध भारतीय सेना के शौर्य का डंका बज रहा है तो ठीक उसी समय कांग्रेस उपाध्यक्ष का प्रधानमंत्री को यह कह कर चैलेंज करना कि कहां छुपे हो, बाहर आओ, डरो मत....हम आपके साथ हैं....ना केवल हास्यास्पद है बल्कि देश का , सरकार का ,सेना का मनोबल तोडने की गहरी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है।
गवलान हिंसा के बाद देश के प्रधानमंत्री एक के
बाद एक महत्व पूर्ण बैठकों में व्यस्त थे। उन्हें विपक्ष तथा देश को कब , क्या ,कितनी जानकारी देना है ,यह सिर्फ विपक्ष या स्वयं कोई एक व्यक्ति तय नहीं कर सकता। देश की सुरक्षा के विषय पर राहुल ,सोनिया ने जिस व्यग्रता से आरोप लगाते हुए सवाल पूछे ,वह स्वयं सवालों के घेरे में है।
बाद एक महत्व पूर्ण बैठकों में व्यस्त थे। उन्हें विपक्ष तथा देश को कब , क्या ,कितनी जानकारी देना है ,यह सिर्फ विपक्ष या स्वयं कोई एक व्यक्ति तय नहीं कर सकता। देश की सुरक्षा के विषय पर राहुल ,सोनिया ने जिस व्यग्रता से आरोप लगाते हुए सवाल पूछे ,वह स्वयं सवालों के घेरे में है।
सेना , रक्षा मंत्री, सरकार आवश्यकता के अनुरुप समय- समय पर मीडिया के द्वारा देश को जो जानकारी देना था ,वो दे रहॆ थे। बयानों के माध्यम से राहुल, सोनिया ने सबसे अधिक अधीरता दिखलाई । राहुल का प्रधानमंत्री को डरपोक बतलाना दुश्मन देश का काम सरल कर रहा था। जब देश युद्ध के मुहाने पर खडा हो ...समूचा विपक्ष सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ खडे हों , तो मीडिया मे खुले मंच से सोनिया द्वारा सेना के इंटेलिजेंस , उसकी योग्यता पर सवाल उठाना , यह कहना कि चीन हमारे देश में अन्दर घुस आया, आप सोते रहे....क्या साबित करना चाहता है ?
सेना , रक्षा मंत्री तथा स्वयं प्रधानमंत्री ने जब यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के एक इंच जमीन पर चीनी सेना ने कब्जा नहीं किया है, वह स्थिति को बदलने की साजिश रच रहा है, हमारे स्ट्रेटेजिक सडकों, पुलों , संसाधनों से बेचैन - परेशान है, तो इस पर कांग्रेस को भरोसा क्यों नहीं हो रहा ? शायद इसके पीछे उनके दशकों सत्ता में रहते यह सब ना कर पाने की विफलता का दंश है। उत्तर से लेकर पूर्वी सीमा तक सीमावर्ती क्षेत्रों मे एल ए सी के समानांतर सरकार ने बडी तेजी से स्ट्रेटेजिक सडकों का निर्माण लगभग पूरा कर लिया है। लद्दाख के अंतिम सीमावर्ती गांव श्योक तक पक्की सडक बन गयी है। गवलान तक हमारी सेनाएं अभी तक दुर्गम कष्ट प्रद पेट्रो लिंग करती थीं। अब यह सुगम हो गया है। चीन से लगी सीमाओं पर सेना की मुश्तैदी, मजबूती बहुत बढ गयी है। डोकलाम के बाद गवलान मे चीन को भारतीय सेना से मुंह की खानी पडी है, वह भी बडे नुकसान के साथ। चीन जानता है कि यदि वह समझौते या वार्ता से पैंगोग मे फिंगर ४ से फिंगर ८ तक वापस नहीं जाता तो भारतीय सेनाएँ उसे बलपूर्वक गवलान जैसे ही धकेल देंगी । कांग्रेस , चीन, दुनिया को यह समझ आ गया है कि भारत अपनी किसी जमीन को उसर, बंजर, बेकार नहीं मानता । यह नेहरु युग का १९६२ का नहीं ...मोदी युग का २०२० का नया, मजबूत भारत है। जिसके लिये देश महज जमीन का टुकडा नहीं , भारत माता हैं।
१९ मई को सर्व दलीय बैठक एवं उसके बाद देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष, चीन तथा दुनिया को दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि
एल ए सी में ना वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है। लद्दाख में हमारे 20 जांबाज शहीद हुए, लेकिन जिन्होंने भारत माता की तरफ आँख उठाकर देखा था, उन्हें वो सबक सिखाकर गए।
डिप्लायमेंट हो, एक्शन हो, काऊंटर एक्शन हो, जल-थल-नभ में हमारी सेनाओं को देश की रक्षा के लिए जो करना है,वो कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने दुनिया को संदेश दिया कि हमारे पास ये कैपेबिलिटी है कि कोई भी हमारी एक इंच जमीन की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देख सकता। भारत की सेनाएं, अलग-अलग सेक्टर्स में,एक साथ मूव करने में सक्षम हैं।
बीते वर्षों में देश ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए, बॉर्डर एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट को प्राथमिकता दी है। हमारी सेनाओं की दूसरी आवश्यकताओं, जैसे फाईटर प्लेंस, आधुनिक हेलीकॉप्टर, मिसाइल डिफेंस सिस्टम आदि पर भी हमने बल दिया है। मोदी ने देश को बतलाया कि हमारी इंटेलिजेंस फेल नहीं हुई ( जैसा कि सोनिया ने आरोप लगाया ) बल्कि नए बने हुए इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से खासकर एल ए सी में अब हमारी पेट्रोलिंग की कैपेसिटी भी बढ़ गई है। पेट्रोलिंग बढ़ने की वजह से अब सतर्कता बढ़ी है और वहाँ पर हो रही गतिविधियों के बारे में भी समय पर पता चलता है।
जिन क्षेत्रों पर पहले बहुत नजर नहीं रहती थी, अब वहां भी हमारे जवान, अच्छी तरह से मानिटर कर पा रहे हैं, रिस्पांड कर पा रहे हैं। अब तक जिनको कोई पूछता नहीं था, कोई रोकता-टोकता नहीं था, अब हमारे जवान डगर-डगर पर उन्हें रोकते हैं, टोकते हैं तो तनाव बढ़ता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश - दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि राष्ट्रहित और देशवासियों का हित हम सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।हमारी सेनाएं सीमाओं की रक्षा में सक्षम हैं। उन्हें यथोचित कार्रवाई के लिए पूरी छूट मिली हुई है।
सर्वदलीय बैठक में यद्यपि विपक्ष ने एक स्वर में सरकार का साथ दिया है। वीर शहीद के पिता ने जिस तरीके से राहुल के आरोपों पर जवाब दिया है, उससे कांग्रेस जैसे दलों को समझना होगा कि सेना तथा राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर मीडिया/ सोशल मीडिया के माध्यम से पूछे गये सवाल , लगाए गये आरोप महज कुटिल राजनीति, साजिश का हिस्सा होते हैं। जिसे देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। चीन की धोखेबाजी की पृष्ठ भूमि को देखते हुए देश बहुत सतर्क है। इसके बावजूद जनता यह जानती है कि चीन हमसे एक मामले में बहुत भाग्यशाली है कि वहाँ भारत की तरह राष्ट्र हितों से खेलने वाले नेता,मीडिया, बुद्धिजीवी तथा टुकड़े गैंग नहीं है । चीनी धोखेबाजी का पुख्ता इलाज एलएसी की स्पष्टता से करना होगा।
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