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अनूपपुर विधान सभा के बदलते समीकरण मे संगठित बिसाहूलाल बनाम असंगठित कांग्रेस


  (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) कलमकार एवं लेखक चैतन्य मिश्रा ने विधानसभा के उपचुनाव के पहले अपनी समीक्षा में कहा है कि मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव के तत्पश्चात बहुप्रतीक्षित मंत्रिमण्डल विस्तार उसके बाद प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों में विधानसभा के उपचुनाव होने सुनिश्चित है । लेकिन अभी से उपचुनाव को लेकर अनूपपुर मे चुनावी सरगर्मियां बढ़ने लगी है। अनूपपुर विधान सभा चुनाव में हमेशा भाजपा के रामलाल रोतेल और कांग्रेस के प्रत्याशी बिसाहूलाल सिंह के बीच मुक़ाबला होता आया है और इस विधानसभा की बागडोर भी इन्हीं दोनों के हाथो मैं रही है ।क्षलेकिन अब परिस्थितियों बदल चुकी है कमलनाथ सरकार को गिरने और बीजेपी मैं शामिल होने के बाद बिसाहूलाल सिंह और रामलाल दोनों अब साथ साथ हैै।  दोनो लाल साथ होने से बीजेपी का रंग और गाढ़ा हो गया है। आने वाले चुनाव में बीजेपी कांग्रेस की अपेक्षा मजबूत हो गई है।  15 वर्ष के लंबे समय के अंतराल के बाद अनूपपुर जिले के तीनों सीटों पर कब्जा ज़माने के साथ प्रदेश में भी कांग्रेस ने सरकार बनाई। कांग्रेस में मचे अंदरूनी कलह और खींचतान के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के पार्टी छोड़ते ही मात्र 15 महीने सरकार गंवा दिया, विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस के लिए बिसाहूलाल सिंह एक बड़े आदिवासी चेहरा थे । जो कि 1980 से पाच वार चुनाव जीते और तीन बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1993 में कांग्रेस शासन काल में मंत्री रहे,कांग्रेस पार्टी छोड़ने और भाजपा ज्वाइन करने के बाद से भाजपा की तरफ से उन्हें ही उम्मीदवार तय माना जा रहा है। कांग्रेस को अब अनूपपुर से भाजपा के बिसाहूलाल सिंह के सामने कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा है । जो इस आदिवासी नेता की बादशाहत को चुनौती देने में सक्षम हो। लिहाजा यहां से रमेश सिंह, विश्वनाथ सिंह, राजीव सिंह, उमाकांत समय समय पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। अनूपपुर मे लगभग 1,65,000. मतदाता है, बिसाहूलाल सिंह 2018 के चुनाव में 62,770 बोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी रामलाल रोतेल को 11,561 मतों से पराजित किया था। अनूपपुर आदिवासी जिला है जहां अनूपपुर और पुष्पराजगढ विधान सभा सीट अरक्षित सीटें है। यहां आदिवासी समाज बहुतायत में निवास करते हैं। अनूपपुर में 33 प्रतिशत आदिवासी मतदाता, राठौर समाज के 27 फीसदी के साथ सवर्ण मतदाताओं की प्रतिशत संख्या 24 है और 16 प्रतिशत दलित वोटर है जो कि विधान सभा चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैै, और आने वाले उप चुनाव मे जिले के साथ ही प्रदेश की राजनीति का भी फैसला करने वाले है। मध्यप्रदेश में बीजेपी दलित, आदिवासियों और ओबीसी को साधकर 15 साल तक सत्ता पर काबिज रही है। लेकिन पिछले साल आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार की मुख्य वजह सवर्ण समुदाय की नाराजगी को माना गया था। जिसके सीधा फायदा कांग्रेस को मिला। पिछले चुनाव से सबक लेकर बीजेपी सवर्णों को नाराज नहीं करना चाह रही है इसलिए अनूपपुर मे पहले ही राजेंद्र शुक्ला और संजय पाठक को चुनाव प्रभारी बना दिया है। जो सभी को साधने का प्रयास कर रहे हैं । स्थानीय नेताओ से लगातार बैठक भी ले रहे हैं, वही बिसाहूलाल सिंह भोपाल से वापस अनूपपुर आने के बाद अपनी पुरानी टीम को रीचार्ज करते नजर आ रहे हैं और लगातार अपने क्षेत्र में संपर्क कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी मैं विलय कराने मे अपनी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। इसके ठीक विपरीत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अनूपपुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल पर भरोसा चुनाव की तैयारी के लिए मुक्तहस्त दिया है। जो कि जिले के अन्य विधायकों सुनील सराफ व फ़ूदेलाल सिंह मार्को के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। अब देखना होगा कि अनूपपुर की जनता, मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना योगदान किस प्रकार से देती है।

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