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लिटिल स्टेप्स प्ले स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों ने द रियल दिवाली से लोगों को कराया अवगत

              (हिमांशू बियानी / जिला ब्यूरो)
अनूपपुर (अंचलधारा) एक जिंदगी बदलने वाली पहल की शुरुआत और हिंदुस्तान का सबसे बड़े त्यौहार को एक नया नजरिया दिया लिटिल स्टेप प्ले स्कूल के नन्हे-मुन्न बच्चों ने।

एक पहल शेयरिंग हैप्पीनेस :द रियल दिवाली के माध्यम से लिटिल स्टेप्स प्ले स्कूल के छोटे-छोटे मासूम बच्चों ने सभी को दिवाली का वास्तविक मतलब समझाने का प्रयास किया।
एक ऐसा प्रयास जिससे हम सच में दिवाली को खुशियों का त्योहार कह सकते हैं और बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ वृद्ध आश्रम, अनाथ आश्रम, कुम्हार के घर, आंगनबाड़ी केंद्र( हरि) और बरबसपुर) में जाकर कपड़े, मिठाइयां, बिस्किट्स, टॉफी, फ्रूट्स आदि सभी के साथ साझा किया और
वास्तविक खुशी का अनुभव किया | इसके अलावा बच्चों ने अपने स्कूल के पास ही अनूपपुर के कोतमा रोड पर हैप्पी दिवाली स्टॉल लगाकर सभी लोगों को मिठाइयां, बिस्किट्स, फ्रूट्स आदि शेयर किया और मुख्य अतिथि एवं हेल्थ गाइड के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए डॉक्टर खेस से सभी बच्चों ने इस दिवाली पटाखे कम से कम जलाने का, आवाज और धुआँ कम से कम हो और अपने घर के आस-पास सभी लोगों को मिठाईयां बांटने और दूसरों के जीवन में खुशी लाने का वादा किया।असिस्टेंट टीचर मंजू लता सिंह बताती हैं कि बच्चों में संस्कार हमेशा बचपन में ही दिए जाने चाहिए ताकि बच्चे में समाज के सभी वर्गों के लिए प्यार, समर्पण और त्याग की भावना बनी रहे और यह अभिभावकों, स्कूल और समाज के द्वारा ही हो सकता है और तभी हम आने वाले वक्त में एक बेहतर समाज और सुनहरे भविष्य की कामना कर सकते हैं।
प्रिंसिपल प्रशांत अग्रहरी ने बताया कि यह पहल अभी के माहौल को देखते हुए बहुत ज्यादा जरूरी है, बच्चा एक गीली मिट्टी की तरह होता है और उसे एक बहुत ही खूबसूरत आकार देना हम सभी की जिम्मेदारी होती है। बच्चे को समाज से ना जोड़ना, उसे उसकी जिम्मेदारी का एहसास ना दिलाना, उसे सिर्फ अपने बारे में सोचना सिखाना , हमारा उस मासूम बच्चे के साथ किया
गया अन्याय है और शायद समाज में जो वृद्धाश्रम, अनाथालय , इंसानियत को शर्मसार करने वाले अपराध, गंदगी एक दूसरे के प्रति जलन, एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश आदि इसी का नतीजा है। एक 3 साल के मासूम बच्चे के लिए कुछ भी गलत या सही नहीं होता वह हर चीज मां-बाप, स्कूल और समाज से सीखता है, और अगर बड़ा होकर वह जो भी बनेगा और करेगा। उसके जिम्मेदार हम सभी होंगे अब फैसला हमें करना है कि हम अपने बच्चे को भविष्य में किस तरह का समाज देना चाहते हैं। इस पूरे कार्यक्रम को कामयाब होने का सारा का सारा श्रेय लिटिल स्टेप्स प्ले स्कूल के सभी अभिभावकों को जाता है जिन्होंने अपने बच्चों को दिल खोलकर चीजें बांटने के लिए सामान दिए और बच्चों को ऐसे काम के लिए प्रोत्साहित किए और सभी बच्चों को जिन्होंने इतनी छोटी सी उम्र में हम सभी को इतना बड़ा काम करके दिखाया और सभी लिटिल स्टेप्स स्टाफ निकिता त्रिपाठी, वर्षा नामदेव, अर्चना द्विवेदी, मीना मिश्रा, जागृति रैकवार,अंजली मिश्रा और रविंद्र सिंह राठौर आदि सभी ने पहल को कामयाब बनाने के लिए अथक प्रयास लगा दी।

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